Kailash Gehlot: भाजपा में शामिल हुए कैलाश गहलोत, बोले-ईडी या सीबाआई के दबाव में फैसला नहीं लिया

नई दि‍ल्ली, बीएनएम न्‍यूज। Kailash Gehlot Join BJP: नजफगढ़ से विधायक और दिल्ली सरकार में परिवहन मंत्री रहे कैलाश गहलोत सोमवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए। भाजपा मुख्यालय में केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई। इस मौके पर भाजपा के कई वरिष्ठ नेता भी उपस्थित थे। कैलाश गहलोत ने इस अवसर पर कहा कि वह कभी किसी दबाव में आकर कोई निर्णय नहीं लेते। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनके भाजपा में शामिल होने को सीबीआई के दबाव या किसी अन्य मजबूरी से जोड़ना पूरी तरह गलत है। यह निर्णय अचानक नहीं लिया गया बल्कि लंबे समय से विचार-विमर्श के बाद यह फैसला किया गया।

‘खास’ लोगों की पार्टी बनी आप

गहलोत ने कहा कि अन्ना हजारे के आंदोलन के बाद हजारों लोग एक विचारधारा से जुड़े थे और वे भी उनमें से एक थे। राजनीति में आने का उनका मकसद हमेशा लोगों की सेवा करना रहा है। हालांकि, उन्होंने देखा कि जिन मूल्यों और सिद्धांतों के लिए उन्होंने आम आदमी पार्टी (आप) को ज्वाइन किया था, वे अब पार्टी में नहीं बचे हैं। गहलोत ने कहा, “आप में मैंने मूल्यों का पतन देखा और यह देखना मेरे लिए चौंकाने वाला था। अब पार्टी के कई कार्यकर्ता यह महसूस कर रहे हैं कि आम आदमी पार्टी ‘खास’ लोगों की पार्टी बन चुकी है।”

आप की कार्यशैली पर सवाल

गहलोत ने आम आदमी पार्टी की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि केंद्र सरकार के साथ लगातार टकराव में समय बर्बाद करने से दिल्ली का विकास प्रभावित हो रहा है। उन्होंने दावा किया कि बतौर मंत्री, उन्होंने अपनी ओर से बेहतर करने की पूरी कोशिश की। भाजपा में शामिल होने के पीछे उनके इरादे स्पष्ट करते हुए गहलोत ने कहा कि वह अब दिल्ली के विकास में योगदान देने के लिए भाजपा के साथ मिलकर काम करना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी कानूनी प्रैक्टिस छोड़कर राजनीति में कदम रखा और आगे भी पूरी निष्ठा से काम करेंगे। गहलोत ने इस बात पर भी जोर दिया कि आम आदमी पार्टी छोड़ना उनके लिए आसान नहीं था। उन्होंने कहा, “पार्टी में आत्मविश्वास टूट गया है। हालात अब ठीक नहीं हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों से मैं प्रभावित हूं, और इसीलिए मैं भाजपा में आया हूं।”

तीन बार मंत्री बनाया गया

रविवार को ही कैलाश गहलोत ने आम आदमी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। 19 फरवरी 2015 को गहलोत ने पहली बार दिल्ली सरकार में परिवहन मंत्री के रूप में शपथ ली थी और उसके बाद उन्हें तीन बार मंत्री बनाया गया। इस्तीफे से पहले गहलोत ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर पार्टी की दिशा और नीतियों पर गंभीर आरोप लगाए।

कई वादे अधूरे रह गए

अपने पत्र में गहलोत ने लिखा कि आम आदमी पार्टी इस समय गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है। पार्टी में राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं लोगों की सेवा और प्रतिबद्धता पर हावी हो गई हैं, जिससे कई वादे अधूरे रह गए। उन्होंने कहा कि यमुना को साफ करने का सपना पूरा नहीं हो सका, बल्कि यमुना अब पहले से ज्यादा प्रदूषित हो गई है। इसके अलावा, मुख्यमंत्री आवास (शीशमहल) से जुड़े विवादों ने पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाया।

राजनीतिक एजेंडे को प्राथमिकता

गहलोत ने यह भी कहा कि अब आम आदमी पार्टी अपने राजनीतिक एजेंडे को प्राथमिकता देती है और जनता के अधिकारों के लिए लड़ने के वादे से भटक गई है। इससे दिल्ली के लोगों को बुनियादी सेवाएं उपलब्ध कराने की उनकी क्षमता कमजोर हो गई है। दिल्ली सरकार केंद्र के साथ लड़ाई में उलझी रहती है, जिससे शहर का विकास बाधित होता है। उन्होंने कहा कि राजनीति में उनकी यात्रा लोगों की सेवा करने के लिए शुरू हुई थी, और यही वजह है कि उन्होंने आप से अलग होने का निर्णय लिया।

गहलोत का इस्तीफा

दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने गहलोत का इस्तीफा स्वीकार कर लिया। आप का कहना है कि गहलोत के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर विभाग के कई मामले चल रहे थे। इन एजेंसियों ने गहलोत पर कई बार छापे मारे थे। आप के सूत्रों का दावा है कि इन दबावों से बचने के लिए गहलोत के पास भाजपा में शामिल होने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था। पार्टी ने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह भाजपा की एक सोची-समझी साजिश है। भाजपा दिल्ली में चुनाव जीतने के लिए ईडी और सीबीआई का दुरुपयोग कर रही है।

आम आदमी पार्टी के इन आरोपों के बीच गहलोत ने अपने फैसले को पूरी तरह निजी और सिद्धांतों पर आधारित बताया। उन्होंने कहा कि वह अब भाजपा के साथ मिलकर दिल्ली के विकास के लिए काम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

 

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