Delhi Politics: दिल्ली में पदयात्रा के दौरान युवक ने अरविंद केजरीवाल पर फेंका तरल पदार्थ, आप और भाजपा में आरोप-प्रत्यारोप

पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर शख्स ने लिक्विड फेंका।

नई दिल्ली, बीएनएम न्‍यूज : Delhi Politics: दिल्ली के ग्रेटर कैलाश विधानसभा क्षेत्र के सावित्री नगर में शनिवार को आम आदमी पार्टी (आप) की पदयात्रा के दौरान उस समय हड़कंप मच गया, जब एक युवक ने पार्टी संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर तरल पदार्थ फेंकने का प्रयास किया। इस घटना ने राजनीतिक गलियारों में नई बहस छेड़ दी है। घटना के बाद आप ने इसे भाजपा द्वारा प्रायोजित हमला करार दिया, जबकि पुलिस का कहना है कि यह केवल पानी फेंकने की कोशिश थी।

घटना कैसे हुई?

शाम करीब 5:50 बजे, अरविंद केजरीवाल अपने समर्थकों के साथ सावित्री नगर से मेघना मोटर्स तक पदयात्रा में शामिल थे। पदयात्रा के दौरान वे लोगों से हाथ मिला रहे थे। तभी अचानक, अशोक झा नाम के एक व्यक्ति ने केजरीवाल पर तरल पदार्थ फेंकने का प्रयास किया।

उनकी सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों ने तुरंत आरोपी को पकड़ लिया और उसे मालवीय नगर थाने ले जाया गया। पुलिस के अनुसार, शुरुआती जांच में पता चला कि आरोपी अशोक झा खानपुर डिपो में बस मार्शल के पद पर कार्यरत था। उसने यह कदम क्यों उठाया, इसका पता लगाने के लिए उससे पूछताछ की जा रही है।

आप का आरोप: जलाने की कोशिश का दावा

आम आदमी पार्टी ने इस घटना को एक सुनियोजित हमले के रूप में पेश किया। पार्टी के अनुसार, आरोपी ने केजरीवाल पर “स्पिरिट” फेंकी और उनके पास माचिस भी थी। आप का कहना है कि यह हमला अरविंद केजरीवाल को जलाने की साजिश थी। पार्टी ने आरोप लगाया कि अशोक झा भाजपा का कार्यकर्ता है और इस घटना के पीछे भाजपा का हाथ है।

पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि केजरीवाल पर हमले की यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी नांगलोई और छतरपुर में इसी तरह की घटनाएं हो चुकी हैं। पार्टी के नेताओं ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा नेताओं की रैलियों पर कभी इस तरह के हमले नहीं होते।

पुलिस का बयान: पानी फेंकने की कोशिश

दक्षिणी जिले के डीसीपी अंकित चौहान ने आप के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि शुरुआती जांच में सामने आया है कि आरोपी ने केवल पानी फेंकने की कोशिश की थी। डीसीपी के अनुसार, पदयात्रा की पूर्व अनुमति नहीं ली गई थी, लेकिन सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की गई थी।

आरोपी का बैकग्राउंड

पुलिस के अनुसार, आरोपी अशोक झा खानपुर बस डिपो में मार्शल के पद पर कार्यरत था। हालांकि, उसकी नौकरी छूट चुकी थी और वह इस घटना को लेकर नाराज बताया जा रहा है। पूछताछ के दौरान उसके इस कदम के पीछे के सही कारणों का पता लगाया जा रहा है।

केजरीवाल की प्रतिक्रिया: अमित शाह पर निशाना

घटना के बाद अरविंद केजरीवाल ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सीधे तौर पर गृहमंत्री अमित शाह पर निशाना साधते हुए कहा, “अमित शाह जी, मुझे रोकने से क्या होगा? दिल्ली में क्राइम रोकिए।” उन्होंने सवाल किया कि क्या उन्हें रोकने से दिल्ली में बढ़ते अपराध रुक जाएंगे? क्या इससे दिल्ली की महिलाओं और व्यापारियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो जाएगी?

राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप

यह घटना आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच तीखे राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का कारण बन गई है। आप ने इसे भाजपा द्वारा प्रायोजित हमला बताया, जबकि भाजपा ने इन आरोपों को खारिज किया है।

आम आदमी पार्टी का दावा: भाजपा पर सवाल

आप नेताओं ने कहा कि भाजपा अरविंद केजरीवाल की लोकप्रियता से डरती है और उन्हें राजनीतिक रूप से कमजोर करने के लिए हमलों का सहारा ले रही है। आप ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा के कार्यकर्ता इस तरह की घटनाओं को अंजाम देकर लोकतांत्रिक मूल्यों का उल्लंघन कर रहे हैं।

पुलिस जांच जारी

पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। आरोपी अशोक झा से पूछताछ की जा रही है और इस बात की पुष्टि करने का प्रयास किया जा रहा है कि उसने ऐसा क्यों किया। पुलिस ने आप और भाजपा दोनों के आरोपों की जांच करने का भरोसा दिया है।

घटनास्थल पर मौजूदगी और सुरक्षा की समीक्षा

यह घटना दिल्ली में राजनेताओं की सुरक्षा को लेकर नई बहस को जन्म देती है। इस मामले में पुलिस की ओर से सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की जा रही है।

क्या कहता है यह मामला?

यह घटना भारतीय राजनीति में बढ़ती असहिष्णुता और तनाव को दिखाती है। जहां एक ओर राजनीतिक दल एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर यह घटना यह सवाल खड़ा करती है कि क्या लोकतंत्र में हिंसा और हमले राजनीतिक असहमति का नया तरीका बन गए हैं।

अरविंद केजरीवाल पर तरल पदार्थ फेंकने की इस घटना ने न केवल दिल्ली बल्कि पूरे देश में हलचल मचा दी है। अब देखना यह होगा कि पुलिस इस मामले में किस निष्कर्ष पर पहुंचती है और क्या आरोप-प्रत्यारोप से परे जाकर सच सामने लाया जा सकेगा। यह घटना एक बार फिर याद दिलाती है कि राजनीति में असहमति को संवाद और तर्क के माध्यम से सुलझाने की जरूरत है, न कि हिंसा के जरिए।

 

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