Justice For Atul Subhash: 24 पन्ने के सुसाइड नोट में मांगा ‘न्याय’, वीडियो बनाकर बंगलूरू में यूपी के उपमहाप्रबंधक ने मौत को लगाया गले
नई दिल्ली, बीएनएम न्यूज। Justice For Atul Subhash: बेंगलुरु के मंजूनाथ लेआउट स्थित डेल्फीनियम रेजीडेंसी में एक निजी कंपनी के 34 वर्षीय उपमहाप्रबंधक अतुल सुभाष मोदी ने आत्महत्या कर ली। उनके द्वारा छोड़ा गया 24 पन्नों का सुसाइड नोट और डेढ़ घंटे का एक आखिरी वीडियो अब चर्चा का विषय बन गए हैं। इस घटना ने न्यायिक प्रणाली, वैवाहिक विवाद और पारिवारिक प्रताड़ना के गंभीर मुद्दों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सुसाइड नोट में इंसाफ की मांग
अतुल सुभाष ने अपने सुसाइड नोट में हर पन्ने पर लिखा, “इंसाफ बाकी है।” उन्होंने अपनी पत्नी, ससुराल वालों और अदालत के एक जज व पेशकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने लिखा कि उनकी पत्नी और ससुराल वाले झूठे केस में फंसाकर उनसे तीन करोड़ रुपये की मांग कर रहे थे। इन आरोपों और प्रताड़ना के चलते वह मानसिक और शारीरिक रूप से टूट गए थे।
अतुल ने अपने नोट में स्पष्ट रूप से लिखा कि उनकी अस्थियां तब तक विसर्जित न की जाएं, जब तक उन्हें इंसाफ न मिल जाए। अगर इंसाफ नहीं मिलता, तो उनकी अस्थियों को अदालत के बाहर गटर में बहा दिया जाए।
घटना का विवरण
होयसाला पुलिस कंट्रोल रूम को सोमवार सुबह छह बजे सूचना मिली कि अतुल ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है। अतुल उत्तर प्रदेश के जौनपुर के निवासी थे और बेंगलुरु में आप्टम ग्लोबल सोल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड में इंजीनियर के रूप में कार्यरत थे।
अतुल के भाई बिकास कुमार ने बेंगलुरु पुलिस में मुकदमा दर्ज कराया है। उन्होंने अतुल की पत्नी, सास, साले और पत्नी के चाचा पर झूठे मुकदमे दर्ज कराने और तीन करोड़ रुपये की मांग करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि उनके भाई का मानसिक और शारीरिक शोषण किया गया, जिसकी वजह से उन्होंने आत्महत्या कर ली।
पत्नी और ससुराल वालों पर आरोप
सुसाइड नोट में अतुल ने लिखा कि उनकी पत्नी ने उनके खिलाफ हत्या, यौन शोषण, दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा जैसे नौ झूठे मुकदमे दर्ज कराए थे। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी पत्नी ने उन्हें उनके बच्चे से अलग कर दिया था।
अतुल ने अपने वीडियो में अपील की कि उनकी पत्नी और ससुराल वालों को उनके शव के पास न आने दिया जाए। उन्होंने कहा कि उनका बेटा उनके माता-पिता को सौंप दिया जाए।
न्यायपालिका पर गंभीर आरोप
अतुल ने जौनपुर स्थित फैमिली कोर्ट के एक जज और पेशकार पर भी भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि अदालत में पेशकार खुलेआम रिश्वत लेता है और जज के सामने भी भ्रष्टाचार होता है। यह आरोप न्यायपालिका की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं।
वैवाहिक विवाद और अदालती लड़ाई
अतुल की पत्नी निकिता ने उन पर दहेज उत्पीड़न और प्रताड़ना के आरोप लगाए थे। उन्होंने अदालत में दावा किया था कि शादी के बाद ससुराल वाले 10 लाख रुपये दहेज की मांग कर रहे थे।
निकिता ने अपने और बेटे के लिए दो लाख रुपये मासिक भरण-पोषण की मांग की थी। अदालत ने जुलाई 2024 में निकिता का प्रार्थना पत्र निरस्त करते हुए बेटे को वयस्क होने तक 40,000 रुपये प्रतिमाह भरण-पोषण देने का आदेश दिया था।
अतुल का संघर्ष
अतुल ने अपनी सैलरी का एक बड़ा हिस्सा अदालत द्वारा निर्धारित भरण-पोषण में देने के बावजूद मानसिक शांति खो दी थी। उनके सुसाइड नोट और वीडियो में यह साफ झलकता है कि वे अपने परिवार और सिस्टम से निराश हो चुके थे। उन्होंने लिखा कि ऐसी दुनिया में जीने का कोई अर्थ नहीं है, जहां न्याय खरीदना पड़े।
एनजीओ को भेजा वीडियो और सुसाइड नोट
अतुल ने अपनी मौत से पहले एक वीडियो रिकॉर्ड किया और इसे एक एनजीओ के व्हाट्सएप ग्रुप में भेजा। वीडियो में उन्होंने कहा कि उन्हें इंसाफ चाहिए और उनके शव के पास उनकी पत्नी या उसके रिश्तेदारों को न आने दिया जाए। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी पत्नी ने उन पर झूठे आरोप लगाए हैं, जो उनकी मानसिक स्थिति को बर्बाद कर चुके हैं।
मुकदमे और अदालती आदेश
अतुल की पत्नी ने दावा किया था कि उनके पति ने उन्हें 2021 में घर से निकाल दिया था। हालांकि, अतुल ने इन आरोपों को झूठा बताते हुए कहा कि वे लगातार अपनी पत्नी और बच्चे की जिम्मेदारी निभा रहे थे। उन्होंने अदालत से भरण-पोषण का आदेश मिलने के बाद भी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह किया।
सामाजिक और न्यायिक सवाल
अतुल सुभाष की आत्महत्या ने वैवाहिक विवादों, न्यायिक प्रक्रियाओं और भ्रष्टाचार से जुड़े गहरे मुद्दों को उजागर किया है।
वैवाहिक विवादों का दुरुपयोग: यह मामला इस बात को रेखांकित करता है कि किस प्रकार वैवाहिक विवादों को झूठे आरोप लगाकर गंभीर रूप दिया जा सकता है।
न्यायपालिका में भ्रष्टाचार: सुसाइड नोट में लगाए गए आरोप न्यायपालिका की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल उठाते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य और समाज की भूमिका: ऐसे मामलों में मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना और सही समय पर मदद पहुंचाना महत्वपूर्ण है।
अतुल का आखिरी संदेश
अतुल ने अपने वीडियो में समाज और परिवार से न्याय की गुहार लगाई। उन्होंने कहा कि उनकी मौत के बाद उनकी अस्थियों को तब तक विसर्जित न किया जाए, जब तक उन्हें न्याय न मिल जाए।
समाज के लिए संदेश
यह घटना समाज को वैवाहिक विवादों और न्यायिक प्रणाली में सुधार की आवश्यकता की ओर इशारा करती है। अतुल सुभाष की आत्महत्या केवल एक व्यक्ति की त्रासदी नहीं है, बल्कि यह सिस्टम और समाज की विफलता का प्रतिबिंब है। इस मामले में न्याय होना और इससे जुड़े सवालों के जवाब ढूंढना आवश्यक है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
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