Kaithal News: कैथल के 11 युवा अमेरिका से हुए डिपोर्ट: परिवार ने बेची दो एकड़ जमीन, मिला टेंपरेरी वीजा, रिश्तेदारों से लिया कर्ज

नरेन्द्र सहारण, कैथल। Kaithal News: हाल ही में अमेरिका से डिपोर्ट हुए भारतीयों की सूची में कैथल जिले के 11 युवा शामिल हैं, जिनमें एक महिला भी है। ये युवा अपने सपनों को पूरा करने और बेहतर जीवन के लिए विदेशी धरती पर पहुंचे थे, लेकिन अब उन्हें वापस लौटना पड़ा है। डिपोर्ट किए गए लोगों में अभिषेक (गांव प्योदा), साहिल (गांव धुंधरेहड़ी), जितेश वालिया (कैथल शहर), अमन कुमार (गांव अटेला), ओमी देवी (गांव खेड़ी साकरा), अंकित (कसान), संदीप (गांव मटौर), रमेश (कैथल शहर), गुरप्रीत (गांव अरनौली), प्रिंस (गांव काकौत) और मनदीप (श्योमाजरा) शामिल हैं। प्रशासन अब इन युवाओं के रिकॉर्ड की गहन जांच करेगा, और यह देखेगा कि क्या इनमें से किसी की आपराधिक पृष्ठभूमि तो नहीं है।
सपने चूर-चूर हो गए
हालांकि, ये युवा अपने परिवारों के लिए आशा की किरण बनकर अमेरिका गए थे, लेकिन अब उन्होंने जो सपने देखे थे, वे चूर-चूर हो गए हैं। उनके परिवार वालों की चिंता और दुख का कोई ठिकाना नहीं है। इनमें से कई युवाओं ने तो अपनी संपत्ति बेचकर या कर्ज लेकर विदेश यात्रा की थी, जिससे उनकी परेशानी और अधिक बढ़ गई है।
एजेंट को 42 लाख रुपये का भुगतान किया
संदीप, जो मटौर गांव का रहने वाला है ने बताया कि उसने 2023 में अमेरिका जाने का फैसला किया था। लेकिन अमेरिका में उसे केवल टेंपरेरी वीजा पर काम करने का अवसर मिला। 1 फरवरी को उसे डिपोर्ट कर दिया गया। संदीप के परिवार ने अपनी दो एकड़ जमीन बेची थी और उसके लिए एजेंट को 42 लाख रुपये का भुगतान किया था। संदीप ने कहा, “मेरी उम्मीदें टूट गई हैं। बेरोजगारी और बढ़ती अनिश्चितता ने मुझे अपार मानसिक तनाव में डाल दिया है।”
अमन कुमार के परिवार ने बताया कि अमन करीब 5 महीने पहले अमेरिका गया था। वहां पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया, और वह वहां एक शरणार्थी की तरह जी रहा था। उसके पिता, कृष्ण, ने बताया कि वह अमेरिका भेजने के लिए 35 लाख रुपये की व्यवस्था कर रहे थे। उन्होंने रिश्तेदारों और दोस्तों से पैसे इकट्ठा किए थे, ताकि अमन वहां जाकर आर्थिक स्थिति को बेहतर बना सके। लेकिन अब उनकी सारी उम्मीदें धूमिल हो गई हैं।
अब हमें कर्ज चुकाना है
कृष्ण ने कहा, “हमने सोचा था कि अमन की कमाई से हमारा जीवन बदल जाएगा। लेकिन अब हमें कर्ज चुकाना है और आर्थिक संकट का सामना करना होगा। खेती-बाड़ी हमारा एकमात्र साधन है, और अब हमें इसकी भी चिंता है।” अमेरिका के इस अनुभव ने इन युवाओं और उनके परिवारों के लिए नई चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं। अब उन्हें अपनी उम्मीदें और सपने दोबारा ना केवल जीने, बल्कि उन्हें हासिल करने के सपने को भी फिर से बुनना होगा।
डीएसपी वीरभान ने मामले की गंभीरता का जिक्र करते हुए कहा कि अभी तक डिपोर्ट किए गए लोगों की आधिकारिक सूची सरकार या उच्च अधिकारियों से प्राप्त नहीं हुई है। वह आश्वस्त हैं कि जैसे ही सूची उपलब्ध होगी, सभी व्यक्तियों के रिकॉर्ड की जांच की जाएगी। इसके अलावा, यदि किसी की आपराधिक पृष्ठभूमि पाई गई तो प्रशासन उचित कानूनी कार्रवाई करेगा।
इस डिपोर्टेशन की खबर ने उन युवाओं के परिवारों को एक आहत किया है जो अपनी मेहनत और निवेश का परिणाम देखने की उम्मीद में थे। अब उन्हें अपनी रोज़मर्रा की जिंदगी और आर्थिक संकट से निकलने के लिए एक बार फिर से सोचने और योजना बनाने की जरूरत है।
सामाजिक समस्या का संकेत
इन युवाओं और उनके परिवारों की समस्याएं केवल व्यक्तिगत नहीं हैं; यह एक बड़ी सामाजिक समस्या का संकेत हैं। युवा भारत की रीढ़ हैं, और जब वे विदेशों में अवसरों की खोज में जाते हैं, तो यह सामान्य बात है कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति पर इसका तत्काल प्रभाव पड़ता है।
अब सवाल यह है कि क्या हमारे देश में ऐसे युवाओं के लिए बेहतर अवसर और व्यवस्था मुहैया कराई जा सकती है, ताकि उन्हें विदेश जाने की जरूरत ना पड़े? यह मात्र एक स्वप्न नहीं, बल्कि एक वास्तविकता होनी चाहिए कि युवा अपनी मूलभूमि पर ही अपने सपनों को पूरा करें।
अंततः यह कहानी उन सभी युवाओं के लिए एक चेतावनी है जो बेहतर जीवन के लिए विदेशों में जाने की सोच रहे हैं। उन्हें यह समझना चाहिए कि हर सपना जो विदेशों में देखे जाते हैं, वह वास्तविकता में कितनी चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं। इस संदर्भ में, प्रशासन और समाज को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसे युवाओं के लिए बेहतर अवसर और मार्गदर्शन उपलब्ध हो सके।
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