कांग्रेस प्रदेश प्रभारी दीपक बाबरिया के बाद अब प्रदेश अध्यक्ष चौधरी उदयभान की छुट्टी करने की तैयारी में

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़ : हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद, कांग्रेस आलाकमान अब प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए अप्रत्याशित हार के लिए जिम्मेदार नेताओं पर कार्रवाई करने की कोशिशें कर रहा है। यह कोशिशें संभवतः प्रदेशाध्यक्ष चौधरी उदयभान और कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया को बदलने के साथ शुरू हो सकती हैं।
दीपक बाबरिया को हटाकर बीके हरि प्रसाद की नियुक्ति के बाद, अब प्रदेशाध्यक्ष चौधरी उदयभान को भी बदलने की तैयारी है। आरोप है कि उदयभान विधानसभा चुनाव में सभी दिग्गजों को साथ लेकर नहीं चल पाए, जिससे कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा।
नए प्रदेशाध्यक्ष के लिए पैनल भी तैयार
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक नए प्रदेशाध्यक्ष के लिए पैनल भी तैयार है, जिसमें राज्यसभा सदस्य रणदीप सिंह सुरजेवाला, लोकसभा सदस्य वरुण चौधरी, पूर्व विधायक राव दान सिंह, विधायक गीता भुक्कल और विधायक अशोक अरोड़ा शामिल हैं।
कांग्रेस आलाकमान की कोशिशें संभवतः इस बात से जुड़ी हैं कि पार्टी की गुटबाजी को कम किया जा सकता है। हरियाणा में कांग्रेस की स्थिति संभवतः गुटबाजी के कारण बहुत खराब थी। पार्टी में कई दिग्गज नेताओं के बीच तनाव था, जिससे कांग्रेस की वोट बैंक की कमजोरी बढ़ गई।
नए प्रदेशाध्यक्ष के लिए ये नाम हैं आगे
रणदीप सिंह सुरजेवाला का नाम कांग्रेस के नए प्रदेशाध्यक्ष के लिए सबसे आगे है। सुरजेवाला के समर्थन में उनके करीबी सांसद कुमारी सैलजा, पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह, लोकसभा सदस्य वरुण चौढ़ारी, पूर्व विधायक राव दान सिंह, विधायक गीता भुक्कल और विधायक अशोक अरोड़ा शामिल हैं।
अगर सुरजेवाला प्रदेशाध्यक्ष बने तो हुड्डा खेमे की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। चौधरी उदयभान अनुसूचित जाति से आते हैं, ऐसे में वंचित वर्ग में नाराजगी रोकने के लिए पार्टी सांसद वरुण चौधरी या गीता भुक्कल को प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप सकती है। दोनों की गिनती हुड्डा समर्थकों में होती है।
इसी तरह दक्षिण हरियाणा में बड़े ओबीसी चेहरे राव दान सिंह और कद्दावर नेता अशोक अरोड़ा पर भी पार्टी दांव खेल सकती है। हालांकि, गीता भुक्कल और अशोक अरोड़ा कांग्रेस विधायक दल के नेता बनने की दौड़ में भी शामिल हैं।
पांच साल में बदले तीन प्रभारी, चुनौतियां जस की तस
गुटबाजी के चलते हरियाणा में संगठन नहीं खड़ा कर पा रही कांग्रेस ने पांच साल में तीन प्रभारी बदले हैं। विवेक बंसल को प्रभारी नियुक्त किया था, जिसके बाद उन्हें हटाकर शक्ति सिंह गोहिल को प्रभारी बनाया गया, लेकिन वह छह महीने ही प्रभारी रह पाए। दीपक बाबरिया को भी प्रभारी बनाया गया, लेकिन वह भी अपने प्रभारी के रूप में सफल नहीं हो सके।
इनमें से कोई भी प्रभारी गुटबाजी को खत्म नहीं कर पाया। ऐसे में नए प्रभारी बीके हरि प्रसाद के सामने सबसे बड़ी चुनौती गुटबाजी को थामने की ही रहेगी। पहले भी हरियाणा के प्रभारी रह चुके हरि प्रसाद के सामने पहले कार्यकाल में जो चुनौतियां थीं, वह आज भी बरकरार हैं।
इनमें से कुछ चुनौतियां इस प्रकार हैं:
पार्टी की गुटबाजी को कम करना और एकजुट करना।
पार्टी के वोट बैंक को मजबूत करना।
पार्टी के दिग्गज नेताओं के बीच तनाव को कम करना।
पार्टी के संगठन को मजबूत करना।
पार्टी की छवि को सुधारना।
इन चुनौतियों से निपटने के लिए कांग्रेस आलाकमान द्वारा किए जा रहे बदलाव संभवतः कुछ सकारात्मक परिणाम दिखा सकते हैं।