हरियाणा शहरी निकाय चुनाव में मत का दान करने में उदार नहीं रहे शहरी, जानें कहां रही कितनी मतदाताओं की भागीदारी

नरेन्‍द्र सहारण, चंडीगढ़ : Haryana Urban Body Elections: हरियाणा में हुए शहरी निकाय चुनावों का लंबे समय से इंतजार किया जा रहा था, लेकिन इस बार मतदान को लेकर लोगों की रुचि अपेक्षाकृत कम नजर आई। इस चुनाव में विभिन्न जिलों के परिणामों ने यह साफ किया कि जहां कुछ स्थलों पर मतदान प्रतिशत काफी अच्छा रहा, वहीं अन्य स्थानों पर यह निराशाजनक रूप से कम रहा है। इस बार के चुनाव में 80 प्रतिशत से अधिक मतदान केवल फतेहाबाद, भिवानी, महेंद्रगढ़-नारनौल और पलवल जिलों में देखने को मिला, जबकि अन्य क्षेत्रों में यह प्रतिशत 50 प्रतिशत से भी कम रहा।

12 मार्च को मतगणना

 

हरियाणा के शहरी निकायों में कुल 51 लाख 6 हजार 134 मतदाता हैं, जिनमें से मात्र 23 लाख 61 हजार 917 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। चुनाव के दौरान शाम 7 बजे तक औसत मतदान प्रतिशत केवल 46.3 था, जो कि बेहद ही कम है। पानीपत में आगामी 9 मार्च को मतदान होना है और इसके बाद 12 मार्च को राज्य के सभी 40 शहरी निकायों में मतगणना की जाएगी और उसी दिन नतीजे भी घोषित किए जाएंगे।

इस चुनाव में एक और समस्या उभरी, जब कई स्थानों पर ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) में तकनीकी परेशानियों की वजह से मतदान प्रक्रिया में बाधा आई। उदाहरण के लिए, सिरसा में डीएसपी और कांग्रेस विधायक गोकुल सेतिया के बीच झड़प भी हुई। इसके अलावा, राज्य के विभिन्न स्थानों से फर्जी और बोगस वोटिंग की सूचनाएं भी प्राप्त हुई हैं, जिससे मतदान प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं।

ग्रामीण पृष्ठभूमि वाले क्षेत्रों में ज्यादा मतदान

 

विभिन्न जिलों में मतदान के आंकड़ों पर नजर डालने से यह स्पष्ट होता है कि ग्रामीण पृष्ठभूमि वाले क्षेत्रों में ज्यादा मतदान हुआ है। फतेहाबाद में सर्वाधिक 85.2 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि महेंद्रगढ़-नारनौल में 81.6 प्रतिशत, भिवानी में 82.1 प्रतिशत और पलवल में 80.1 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट डाले। वहीं, शहरी क्षेत्रों में, जैसे अंबाला में केवल 43 प्रतिशत, फरीदाबाद में 40.1 प्रतिशत और गुरुग्राम में 45 प्रतिशत मतदान हुआ। सोनीपत में यह आंकड़ा मात्र 31 प्रतिशत था, जो कि आंतरिक चुनावी उदासीनता को दर्शाता है।

स्थानीय मुद्दों का महत्व

 

छोटे और विशुद्ध ग्रामीण क्षेत्रों में मतदान के प्रतिशत की बढ़ोतरी होने का एक मुख्य कारण वहां स्थानीय मुद्दों का महत्व है। ग्रामीण परिवेश में, स्थानीय विकास के मुद्दे और जनहित की योजनाएं अधिक प्रभावी होती हैं। दूसरी ओर, शहरी क्षेत्रों में मतदाताओं की प्राथमिकताएं अक्सर विभिन्न राजनीतिक दलों की कार्यप्रणाली और उनकी नीतियों में अनिर्णय के कारण बदल जाती हैं। इसके अतिरिक्त, आचार संहिताओं के चलते बहुत से मतदाता सक्रिय रूप से चुनावी प्रक्रिया में भाग नहीं ले सके, जिससे मतदान प्रतिशत में कमी आई।

कुछ स्थानों पर, जैसे कि कैथल में 77.5 प्रतिशत, नूंह में 78 प्रतिशत, जींद में 71.8 प्रतिशत और झज्जर में 77.9 प्रतिशत मतदान हुआ। इसके विपरीत, हिसार में 53.8 प्रतिशत, कुरुक्षेत्र में 51.4 प्रतिशत और रोहतक में 54.7 प्रतिशत मतदान देखने को मिला। इस प्रकार, यह स्पष्ट है कि मतदान के प्रति मतदाताओं की रुचि स्थान के अनुसार बदल रही थी।

मतदाता उत्साह में कमी

 

इन चुनावों में पार्टियों की भूमिका भी महत्वपूर्ण रही। कांग्रेस, इनेलो, जजपा और आम आदमी पार्टी ने चुनाव में भागीदारी नाममात्र की थी। कांग्रेस की अनुपस्थिति के कारण मतदाता उत्साह में कमी आई, जिससे लोग घरों से बाहर निकलने में रुचि नहीं रखते थे। कई जगह ऐसे भी थे जहां पार्षद और मेयर के वार्डों का आरक्षण होने के बाद मतदाताओं की रुचि में कमी आई, लीकों मतदान प्रक्रिया पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।

चुनावी प्रक्रिया की अखंडता भी सवालों के घेरे में

 

सामाजिक मुद्दों और अनियमितताओं पर ध्यान दें तो चुनावी प्रक्रिया की अखंडता भी सवालों के घेरे में आ गई है। मतदाता कैसा अनुभव कर रहे हैं, इससे साफ है कि चुनाव आयोग और सरकार को इसके सुधार के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। ईवीएम में तकनीकी समस्याएं, असामान्य पुलिस कार्रवाई और राजनीतिक दलों की निष्क्रियता चुनावी प्रक्रिया के प्रति प्रत्येक मतदाता की सोच को प्रभावित कर रही है।

हरियाणा के चुनावों का यह परिणाम यह दर्शाता है कि राजनीतिक दलों को मतदाताओं के सामने अपनी समस्याओं और समाधानों को लेकर सक्रिय रहना होगा। चुनावों में औसत मतदान प्रतिशत को देखकर यह समझ में आता है कि हरियाणा के मतदाता अब अधिक जागरूक हो रहे हैं और उनके मत का उपयोग केवल तभी करेंगे जब वे अपने हितों के प्रति पूर्ण संतुष्ट हों।

इस परिप्रेक्ष्य में यह आवश्यक है कि राजनीतिक पार्टियां अपने संदेश को स्पष्ट और प्रभावी ढंग से पहुंचाएं और मतदाताओं को उनकी महत्वपूर्ण स्थिति का अहसास दिलाएं। तभी जाकर हम आगामी चुनावों में बेहतर मतदान प्रतिशत की उम्मीद कर सकते हैं और एक स्वस्थ लोकतांत्रिक प्रक्रिया की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।

इस चुनाव में जो भी खामियां रहीं, उन्हें दूर करके और मतदाताओं के साथ संवाद बढ़ाकर ही हम इस प्रक्रिया को बेहतर बना सकते हैं। हरियाणा के शहरी निकाय चुनाव न केवल राजनीतिक व्यवस्था का हिस्सा हैं बल्कि यह समाज के एक महत्वपूर्ण हिस्से की आवाज भी हैं, जिनकी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए।

 

 

JOIN WHATSAAP CHANNEL

भारत न्यू मीडिया पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज, Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट , धर्म-अध्यात्म और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi  के लिए क्लिक करें इंडिया सेक्‍शन

You may have missed