कैथल में अपराधी ने कोर्ट में किया सरेंडर: भरी पंचायत में सरपंच के भाई पर गोली चलाई थी, विवाद सुलझाने गया था

नरेन्‍द्र सहारण, कैथल: Kaithal News:  हरियाणा के कैथल जिले में एक जानलेवा हमले का मामला सामने आया है, जिसमें आरोपी ने कड़ी पुलिस कार्रवाई के दबाव के चलते कोर्ट में सरेंडर कर दिया। यह मामला एक पंचायत के दौरान घटित हुआ, जब विवाद सुलझाने के प्रयास में एक व्यक्ति को गंभीर चोट आई। आइए विस्तार से जानते हैं इस घटना की पृष्ठभूमि, आरोपी की गिरफ्तारी और पंचायत की घटनाओं के बारे में।

घटना का सारांश

 

3 सितंबर को कैथल के एक गांव मंडवाल में जश्न और गोगा नामक दो युवकों में झगड़ा हो गया। इस विवाद को सुलझाने के लिए गांव में एक पंचायत बुलाई गई। वहां मौजूदा सरपंच तरसेम किसी काम से बाहर गए थे, जिसके चलते सरपंच का भाई जरनैल और एक अन्य व्यक्ति भूपेंद्र पंचायत में गए थे। पंचायत में जब दोनों युवकों ने विवाद को सामंजस्य से सुलझाने का प्रयास किया, तब वहां पर मौजूद भूपेंद्र उर्फ चौनी ने अचानक हाथ में देसी पिस्तौल लेकर जरनैल पर गोली चला दी।

गोलीबारी का घटनाक्रम

 

गोली लगने से जरनैल की दाहिनी जांघ में गंभीर चोट आई और इस घटना से वहां अफरा-तफरी मच गई। कुछ ही समय में अन्य हमलावर अपने साथ लाठी, डंडे और कुल्हाड़ी लेकर वहां पहुंचे और पंचायत में उपस्थित लोगों पर हमला कर दिया। इस हमले के दौरान डर के मारे उपस्थित लोग इकट्ठा होने लगे, तो आरोपी जान से मारने की धमकी देते हुए मौके से फरार हो गए।

पुलिस कार्रवाई और आरोपी की पहचान

 

घटना के तुरंत बाद भूपेंद्र सिंह ने राजौंद थाने में इस मामले की शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने तत्परता से कार्रवाई करते हुए दो अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन मुख्य आरोपी जनक सिंह फरार हो गया। पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी के लिए विभिन्न ठिकानों पर छापेमारी की, लेकिन वह पकड़ में नहीं आया।

आरोपी का सरेंडर

 

जनक सिंह, जो गांव मंडवाल का निवासी है, अंततः पुलिस के बढ़ते दबाव के चलते कोर्ट में सरेंडर करने के लिए मजबूर हुआ। उसने समझ लिया कि उसकी गिरफ्तारी से बचना संभव नहीं है। जनक ने अपनी स्थिति को देखते हुए सच्चाई का सामना करने का निर्णय लिया और न्यायालय में उपस्थित होकर सरेंडर कर दिया।

न्यायिक हिरासत में भेजा गया आरोपी

 

गुरुवार को जनक सिंह को कोर्ट में पेश किया गया, जहां न्यायाधीश ने उसे न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया। अब उसे आगामी सुनवाई के लिए अदालत में पेश किया जाएगा।

समुदाय में डर और चिंता

 

इस घटना ने गांव में डर के माहौल को जन्म दिया है। पंचायत का उद्देश्य एक समस्या का समाधान निकालना था, लेकिन इसमें ऐसी हिंसा हुई कि अब ग्रामीणों में सुरक्षा की भावना सिरे से खत्म हो गई है। पंचायत के सदस्यों ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है और गांव में फिर से शांति स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं।

जीवन को खतरे में डाला

 

इस घटना ने न केवल एक व्यक्ति के जीवन को खतरे में डाला, बल्कि एक छोटे से गांव के समाज में जटिलताएं भी पैदा कर दी हैं। अब वक्त आ गया है कि समुदाय एकजुट होकर इस समस्या का हल निकाले और अपने अंदर की एकता को मजबूत बनाए। पुलिस द्वारा उचित कानूनी कार्रवाई और समुदाय द्वारा सतर्क रहने से ऐसी घटनाओं को भविष्य में रोकने में मदद मिलेगी।

इन सब घटनाक्रमों के बीच, यह स्पष्ट हो गया है कि जब तक हर व्यक्ति अपने अधिकारों और दायित्वों को समझकर शांतिपूर्ण समाधान का रास्ता नहीं चुनता, तब तक समाज में विसंगतियां बनी रहेंगी। ऐसे में जरूरी है कि पंचायत अक्सर बुलाई जाए और विवादों का समाधान कूटनीतिक तरीके से किया जाए, ताकि हिंसा की जगह समझौता और एकता का वातावरण स्थापित हो सके।

 

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