Haryana News: फोगाट बहनें विनेश फोगाट और बबीता फोगाट आईं आमने-सामने, एक दूसरे पर खूब बरसीं

नरेन्‍द्र सहारण, चंडीगढ़ : Haryana News: खेलों में अपने अभूतपूर्व प्रदर्शन के बाद राजनीति में कदम रखने वाली फोगाट बहनों के बीच हालिया बयानबाज़ी ने ध्यान खींचा है। विनेश फोगाट, जो कि कांग्रेस के टिकट पर जुलाना विधानसभा से विधायक हैं और बबीता फोगाट जोकि भाजपा की सक्रिय सदस्य हैं अब आमने-सामने आ गई हैं। दोनों बहनों की ये राजनैतिक और व्यक्तिगत तकरार उस समय बढ़ी जब बबीता ने विनेश की कुछ बातों पर टिप्पणी की, जो कि पुरस्कार राशि से संबंधित थी। यह मामला न केवल खेलों में उपलब्धियों की चर्चा को लेकर बल्कि राजनीति में खेलों के स्थान को लेकर भी है।

बबीता फोगाट का बयान: पुराने समय की यादें

 

बबीता फोगाट ने एक संदर्भ में कहा कि अगर उन्हें खेल की सुविधाएं 15 साल पहले मिलतीं तो वे खेल नहीं छोड़तीं। यह बबीता की जिंदगी की एक वास्तविकता को उकेरता है, जिन्होंने ओलंपिक खेलों का हिस्सा बनने से लेकर उन भावनाओं और चुनौतियों का सामना किया है जो एक अन्य खिलाड़ी को है। वह द्रोणाचार्य अवार्डी महावीर फोगाट की बेटी हैं और उनका अनुभव बेशक कीमती है। उनका यह बयान, अपने आप में विनेश की उपलब्धियों पर व्यंग्य करने जैसा माना जा रहा है, खासकर तब जब विनेश ने हाल ही में सरकार के सामने यह मुद्दा उठाया कि उन्हें ओलंपिक के पुरस्कार के तौर पर रजत पदक के बराबर राशि नहीं मिली।

विनेश फोगाट की प्रतिक्रिया: आत्म-सम्मान और संघर्ष

 

विनेश फोगाट ने बबीता के बयान पर सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “दो रुपये लेकर ट्वीट करने वालों और फ्री का ज्ञान बांटने वालों… जरा ध्यान से सुनो। तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूं, अब तक करोड़ों के ऑफर ठुकरा चुकी हूं।” इस ट्वीट में विनेश ने स्पष्ट किया कि उन्होंने अपनी मेहनत और ईमानदारी से अपनी पहचान बनाई है और किसी भी प्रकार के समझौते से दूर रही हैं। उनके द्वारा उठाए गए इस मामले ने स्पष्ट किया कि वह आत्म-सम्मान से समझौता नहीं करेंगी।

खेलों का राजनीतिकरण: बबीता की चिंता

 

बबीता ने खेलों के राजनीतिकरण की चिंता जताई, इस सोच के साथ कि खिलाड़ियों को हमेशा समर्थन मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब खिलाड़ी संकट में होते हैं, तो भाजपा सरकार हमेशा उनके साथ खड़ी रही है। बबीता का यह तर्क, संभावित रूप से उस समय के आंदोलन की ओर इशारा करता है जब दिल्ली में खिलाड़ियों ने अपने अधिकारों के लिए प्रदर्शन किया था। वह यह भी दिखाना चाहती हैं कि राजनीति को खिलाड़ियों की बेहतरी के लिए सकारात्मक रूप से इस्तेमाल किया जा सकता है।

विनेश का गर्व और आत्म-सम्मान

 

विनेश ने अपनी ट्वीट्स में यह भी स्पष्ट किया कि आत्म-सम्मान उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि वह उस धरती की बेटी हैं, जहां आत्म-सम्मान मां के दूध में मिलाया गया है। उनका यह बयान यह अपने आप में समझाता है कि एक खेल नेता के तौर पर वह अपने पूर्वजों की शिक्षाओं को मानती हैं और किसी भी कीमत पर अपने हक के लिए लड़ने को तैयार हैं।

भविष्य की संभावनाएं

 

यह विवाद अभी खत्म होता दिखाई नहीं दे रहा है। फोगाट बहनों के व्यक्तिगत और राजनीतिक मतभेद आगे चलकर और भी गहराते जा सकते हैं। दोनों पक्षों के बयान और प्रति-बयान संभव है कि भविष्य में और भी विवाद पैदा करें। यह खेल और राजनीति के सामंजस्य को और अधिक चुनौती देगा, जिससे उनकी व्यक्तिगत रिश्ते पर प्रभाव पड़ सकता है।

खेल, राजनीति और परिवार के बीच संतुलन

फोगाट बहनों के बीच चल रहे इस विवाद ने यह सवाल खड़ा किया है कि खेल और राजनीति को कैसे अलग रखा जा सकता है। खिलाड़ियों के लिए सुविधाओं और पुरस्कारों की बात हो या फिर राजनीतिक समर्थन की आवश्यकता, यह देखना महत्वपूर्ण है कि बहनों के रिश्ते पर इन सबका क्या असर पड़ता है।

जैसे-जैसे समय बीतता जाएगा, यह देखना दिलचस्प होगा कि ये बहनें अपने व्यक्तिगत और राजनीतिक मतभेदों को कैसे सुलझाती हैं। क्या वे भविष्य में एक साथ मिलकर खेलों के विकास के लिए काम करेंगी या उनके बीच के मतभेद उन्हें अलग बनाए रखेंगे? वक्त ही बताएगा।

 

 

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