Kaithal News: कैथल में धर्मांतरण के आरोपों से तनाव, ग्रामीणों ने किया हंगामा

कार्यक्रम के लिए गोदाम में सजाया गया पंडाल
नरेन्द्र सहारण, कैथल। Kaithal News: हरियाणा के कैथल जिले के गदली गांव में उस समय तनाव और हंगामे की स्थिति पैदा हो गई जब ग्रामीणों ने एक खाली पड़े गोदाम में जबरन धर्म परिवर्तन कराने का आरोप लगाया। ग्रामीणों ने एकत्रित होकर गोदाम के मुख्य द्वार पर जमकर विरोध प्रदर्शन किया। जब ग्रामीण गोदाम के अंदर दाखिल हुए तो उन्हें वहां सत्संग के लिए पंडाल और धार्मिक सभा जैसा माहौल मिला जिससे स्थिति और भी जटिल हो गई।
ग्रामीणों के साथ तीखी बहस
इस घटनाक्रम के दौरान जिन लोगों पर ईसाई धर्म का प्रचार करने और धर्मांतरण में शामिल होने का आरोप लगाया गया, उनकी ग्रामीणों के साथ तीखी बहस हुई। मामले की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस प्रशासन तुरंत मौके पर पहुंचा और स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास किया। हालांकि, ग्रामीणों के आरोपों और पास्टर के स्पष्टीकरण के बीच, गांव में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है।
ईसाई धर्म का प्रचार
ग्रामीणों का आरोप है कि गदली पट्टी खोत इलाके में पिछले दो महीनों से कुछ लोगों द्वारा ईसाई धर्म का प्रचार किया जा रहा है और लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए प्रलोभन दिया जा रहा है। उनका कहना है कि यह गतिविधि गोदाम के अंदर गुप्त रूप से चल रही थी, जिसके बारे में बाहरी लोगों को कोई जानकारी नहीं थी। ग्रामीणों का गुस्सा तब भड़का जब उन्होंने गोदाम के बाहर एक बैनर देखा, जिससे उन्हें इस गतिविधि के बारे में पता चला।
ग्रामीणों का आक्रोश
बैनर देखने के बाद गांव के लोग इकट्ठा हुए और आपस में सलाह-मशविरा किया। उन्होंने निर्णय लिया कि वे इस गतिविधि को तत्काल बंद करवाएंगे। ग्रामीणों ने स्पष्ट रूप से कहा कि यदि आरोपित लोग आज ही गांव छोड़कर नहीं जाते हैं तो कल गांव के सभी निवासी एकजुट होकर उन्हें यहां से खदेड़ देंगे। ग्रामीणों का यह आक्रोश और दृढ़ संकल्प स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है।
पूरे गांव में फैल गई गतिविधि
गांव के निवासी सुदेश कुमार, राजेश और अन्य लोगों ने मीडिया को बताया कि यह गतिविधि पहले तो गोदाम के अंदर ही सीमित थी, लेकिन अब यह धीरे-धीरे पूरे गांव में फैल गई है। उन्होंने दावा किया कि रोजाना 200 से अधिक महिलाएं और पुरुष इस कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं। ग्रामीणों ने स्थानीय प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप करने और इस गतिविधि को गांव से स्थायी रूप से हटाने की मांग की है। उनका कहना है कि इस तरह की गतिविधियां गांव के सामाजिक और धार्मिक सौहार्द को बिगाड़ सकती हैं।
धर्म परिवर्तन के झूठे आरोप
दूसरी ओर पास्टर शायरा जिन पर धर्म परिवर्तन कराने का आरोप लगाया गया है ने इन सभी आरोपों को निराधार बताया है। उन्होंने कहा कि वे पिछले दो वर्षों से गांव में समय-समय पर इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करते रहे हैं। पास्टर शायरा ने जोर देकर कहा कि लोग जबरन उन पर धर्म परिवर्तन के झूठे आरोप लगा रहे हैं, जो बिल्कुल भी सच नहीं हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका मुख्य उद्देश्य लोगों को नशे और अन्य सामाजिक बुराइयों से बचाना और उन्हें नैतिक मूल्यों की शिक्षा देना है। पास्टर शायरा ने पैसे देकर धर्म परिवर्तन करवाने के आरोपों को भी पूरी तरह से खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि उनके कार्यक्रम स्वैच्छिक होते हैं और किसी पर भी धर्म परिवर्तन का दबाव नहीं डाला जाता है।
पुलिस टीम गदली गांव पहुंची
घटना की सूचना मिलने पर सिटी थाना के एसआई सत्यवान के नेतृत्व में पुलिस टीम तुरंत गदली गांव पहुंची। एसआई सत्यवान ने मीडिया को बताया कि उन्हें ग्रामीणों से धर्म परिवर्तन करवाने की शिकायत मिली थी। पुलिस टीम ने मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया और गोदाम के अंदर निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान, पुलिस को वहां सत्संग जैसा कार्यक्रम चलता हुआ मिला। एसआई सत्यवान ने कहा कि पुलिस ग्रामीणों द्वारा दी गई शिकायत की गहनता से जांच करेगी और तथ्यों को सत्यापित करेगी। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि जांच के निष्कर्षों के आधार पर ही आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
सांप्रदायिक तनाव की स्थिति
इस घटना ने गदली गांव में सांप्रदायिक तनाव की स्थिति पैदा कर दी है। एक तरफ ग्रामीण अपने धार्मिक और सामाजिक ताने-बाने को बचाने के लिए एकजुट हो रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ आरोपित पास्टर अपने कार्यों को सामाजिक सुधार और धार्मिक शिक्षा का हिस्सा बता रहे हैं। पुलिस की जांच इस मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, क्योंकि यह निर्धारित करेगी कि वास्तव में गोदाम में क्या हो रहा था और क्या कोई गैरकानूनी गतिविधि संचालित की जा रही थी।
धर्म परिवर्तन कराने का आरोप
यह घटना हरियाणा में धर्मांतरण के मुद्दे पर चल रही बहस को भी उजागर करती है। कई हिंदू संगठन और दक्षिणपंथी समूह अक्सर ईसाई मिशनरियों और अन्य धार्मिक समूहों पर गरीब और कमजोर लोगों को प्रलोभन देकर या दबाव डालकर धर्म परिवर्तन कराने का आरोप लगाते रहे हैं। इसके विपरीत, ईसाई समुदाय और अन्य अल्पसंख्यक समूह अक्सर इन आरोपों को निराधार बताते हैं और अपनी धार्मिक स्वतंत्रता और सामाजिक कार्यों की रक्षा करने का अधिकार जताते हैं।
आरोप – प्रत्यारोप
गदली गांव की घटना इस जटिल मुद्दे का एक और उदाहरण है, जहां आरोप और प्रत्यारोप के बीच सच्चाई को खोजना पुलिस और प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। ग्रामीणों का तत्काल और उग्र प्रतिक्रिया देना यह दर्शाता है कि वे अपने गांव में किसी भी ऐसी गतिविधि को बर्दाश्त नहीं करेंगे जिसे वे अपने धर्म और संस्कृति के लिए खतरा मानते हैं। वहीं, पास्टर का अपने बचाव में आना और अपने कार्यों को जनकल्याणकारी बताना इस मामले को और भी पेचीदा बना देता है।
उचित कार्रवाई की जाए
अब सभी की निगाहें पुलिस की जांच पर टिकी हुई हैं। पुलिस को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से जांच करनी होगी ताकि सच्चाई सामने आ सके और किसी भी निर्दोष व्यक्ति को परेशान न किया जाए। साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होगा कि यदि कोई गैरकानूनी गतिविधि पाई जाती है तो कानून के अनुसार उचित कार्रवाई की जाए।
इस घटना के बाद गांव में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है ताकि किसी भी अप्रिय घटना को टाला जा सके। पुलिस ग्रामीणों और आरोपित समूह के लोगों से बातचीत कर शांति बनाए रखने की अपील कर रही है। स्थानीय प्रशासन भी स्थिति पर नजर रखे हुए है और सभी पक्षों से संयम बरतने का आग्रह कर रहा है।
गांव में तनाव का माहौल
गदली गांव की यह घटना धार्मिक स्वतंत्रता, जबरन धर्मांतरण और सामाजिक सद्भाव जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर एक बार फिर से ध्यान केंद्रित करती है। यह देखना होगा कि पुलिस की जांच किस दिशा में आगे बढ़ती है और इस पूरे मामले का क्या निष्कर्ष निकलता है। फिलहाल गांव में तनाव का माहौल बना हुआ है और लोग पुलिस की कार्रवाई का इंतजार कर रहे हैं। यह घटना न केवल गदली गांव बल्कि पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है और धर्मांतरण के संवेदनशील मुद्दे पर एक नई बहस को जन्म दे सकती है।