भाखड़ा पानी विवाद: हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने के फैसले पर पंजाब का विरोध, सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में हरियाणा

नरेन्‍द्र सहारण, चंडीगढ़ : Punjab Haryana Water Issue: भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) के हरियाणा को 4,500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी देने के निर्णय को पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की अगुवाई में शुक्रवार को हुई सर्वदलीय बैठक में सिरे से खारिज कर दिया गया। इसके विपरीत, बीबीएमबी से संबंधित राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के मुख्य सचिवों की दिल्ली में हुई बैठक में केंद्रीय गृह सचिव ने सलाह दी कि हरियाणा को आठ दिनों के लिए 4,500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़ा जाए। इस बैठक में यह भी कहा गया कि बांधों के भरने की अवधि में बीबीएमबी पंजाब की किसी भी आवश्यकता को पूरा करने के लिए अतिरिक्त पानी देगा। हालांकि, यह सवाल अभी भी बना हुआ है कि जब बांधों में जलस्तर पहले से ही काफी नीचे जा चुका है, तो बीबीएमबी हरियाणा को 4,500 क्यूसेक पानी देने के साथ-साथ पंजाब की अतिरिक्त मांग को कैसे पूरा करेगा।

दिल्ली में मुख्य सचिवों की बैठक: केंद्र का हस्तक्षेप से इनकार

 

केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन की अध्यक्षता में शुक्रवार को दिल्ली में हुई मुख्य सचिवों की बैठक में पानी के बंटवारे के मुद्दे पर विस्तृत चर्चा हुई। केंद्रीय गृह सचिव ने हरियाणा के अधिकारियों से 4,500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी की मांग के बारे में पूछा, जिसके जवाब में हरियाणा के अधिकारियों ने कहा कि राज्य को पहले भी यह पानी मिलता रहा है। पंजाब के अधिकारियों ने इस मांग का विरोध करते हुए कहा कि हरियाणा की पीने के पानी की आवश्यकता मात्र 1,700 क्यूसेक है, जबकि पंजाब पहले से ही मानवीय आधार पर 4,000 क्यूसेक पानी दे रहा है।

केंद्रीय गृह सचिव ने हरियाणा के अधिकारियों से यह भी पूछा कि यदि आज पंजाब उन्हें अतिरिक्त पानी दे देता है, तो वे इसे कब और कैसे लौटाएंगे। साथ ही, उन्होंने बीबीएमबी के चेयरमैन मनोज त्रिपाठी से पूछा कि जब बांध में पानी पहले से ही कम है, तो अतिरिक्त पानी देने पर इसे कैसे पूरा किया जाएगा। बैठक के बाद, बीबीएमबी ने शनिवार को संबंधित राज्यों के अधिकारियों की एक बैठक बुलाई है, जिसमें इस मुद्दे पर कोई अंतिम निर्णय लिया जाएगा। केंद्र सरकार ने इस मामले में सीधे हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए दोनों राज्यों को आपसी बातचीत से समाधान निकालने की सलाह दी है।

चंडीगढ़ में सर्वदलीय बैठक: पंजाब का एकजुट विरोध

 

इधर, चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री भगवंत मान की अध्यक्षता में हुई सर्वदलीय बैठक में पंजाब के सभी राजनीतिक दलों ने हरियाणा को अतिरिक्त पानी नहीं देने के सरकार के निर्णय का समर्थन किया। बैठक में यह सुझाव भी दिया गया कि सभी राजनीतिक दलों का एक प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर इस मुद्दे पर बात करे। मुख्यमंत्री मान ने कहा कि पंजाब सरकार ने सोमवार को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है, जिसके बाद इस पर फैसला लिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि यदि आवश्यकता पड़ी, तो वे प्रधानमंत्री से मिलने का समय भी ले सकते हैं।

बैठक में आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अमन अरोड़ा, कांग्रेस की ओर से पूर्व स्पीकर राणा केपी सिंह और पूर्व मंत्री तृप्त रजिंदर सिंह बाजवा, शिरोमणि अकाली दल से वरिष्ठ नेता बलविंदर सिंह भूंदड़ और पूर्व मंत्री दलजीत सिंह चीमा, भाजपा से प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ और पूर्व मंत्री मनोरंजन कालिया, और पूर्व सांसद और बसपा के प्रदेश प्रमुख अवतार सिंह करीमपुरी भी शामिल हुए।

हरियाणा सरकार की कानूनी लड़ाई की तैयारी

 

हरियाणा सरकार इस मामले को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ने की तैयारी में है। पंजाब सरकार की कार्रवाई को चुनौती देने के लिए शुक्रवार को दिनभर कानूनी विशेषज्ञों की टीम ने मंथन किया। हरियाणा की सिंचाई मंत्री श्रुति चौधरी ने कहा कि प्रदेश सरकार पानी की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाएगी। सरकार के वकीलों ने इस संबंध में पूर्व में दिए गए फैसलों के बारे में भी जानकारी जुटाई है। उन्होंने बताया कि आगे छुट्टियां होने के कारण सरकार जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेगी।

श्रुति चौधरी ने पंजाब की भगवंत मान सरकार से आग्रह किया कि वे आम लोगों को परेशान न करें। उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने दिल्ली में पानी में जहर मिलाने की बात कही थी, और उसी राह पर चलते हुए भगवंत मान ने पानी रोकने का काम किया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह पानी पूरी तरह से बीबीएमबी का है और इस पर सभी का हक है। हरियाणा सरकार एसवाईएल (सतलुज यमुना लिंक नहर) के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के दिए फैसले को भी भाखड़ा केस में आधार बनाएगी।

विवाद के मुख्य बिंदु

 

अतिरिक्त पानी की मांग: हरियाणा 4,500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी की मांग कर रहा है, जबकि पंजाब इसे देने से इनकार कर रहा है।
पीने के पानी की आवश्यकता: पंजाब का दावा है कि हरियाणा की पीने के पानी की आवश्यकता मात्र 1,700 क्यूसेक है, जबकि वे पहले से ही 4,000 क्यूसेक पानी दे रहे हैं।
बांधों में जलस्तर: बांधों में पहले से ही कम जलस्तर होने के कारण अतिरिक्त पानी देने की संभावना पर सवाल उठ रहे हैं।
केंद्र सरकार की भूमिका: केंद्र सरकार ने सीधे हस्तक्षेप से इनकार करते हुए दोनों राज्यों को आपसी बातचीत से समाधान निकालने की सलाह दी है।
कानूनी लड़ाई: हरियाणा सरकार इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में है।

विवाद का संभावित समाधान

 

इस विवाद का समाधान केवल बातचीत और आपसी सहमति से ही संभव है। दोनों राज्यों को एक ऐसा समाधान निकालना होगा जो दोनों के हितों की रक्षा करे। केंद्र सरकार को भी इस मामले में मध्यस्थता करनी चाहिए और दोनों राज्यों को एक समझौते पर पहुंचने में मदद करनी चाहिए। जल संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करना और जल संकट से निपटने के लिए दीर्घकालिक योजनाएं बनाना भी आवश्यक है।

संवेदनशील मुद्दा

 

भाखड़ा बांध जल विवाद हरियाणा और पंजाब के बीच एक संवेदनशील मुद्दा है। इसका समाधान केवल आपसी सहमति और सहयोग से ही संभव है। दोनों राज्यों को राजनीतिक मतभेदों को भुलाकर जल संसाधनों के न्यायसंगत बंटवारे के लिए काम करना चाहिए। केंद्र सरकार को भी इस मामले में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए और दोनों राज्यों को एक स्थायी समाधान खोजने में मदद करनी चाहिए। हरियाणा सरकार के सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी इस मुद्दे को और भी जटिल बना सकती है, लेकिन उम्मीद है कि दोनों राज्य आपसी बातचीत से एक संतोषजनक समाधान निकाल लेंगे।

 

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