कैथल में राइस मिल में भीषण अग्निकांड, चावल और बारदाना जलकर राख, करोड़ों का नुकसान

मिल में जला चावल व धान हटाती जेसीबी मशीन।

नरेन्‍द्र सहारण, कैथल: Kaithal News: कैथल जिले के क्योड़क गांव में बीती रात एक बड़ी औद्योगिक दुर्घटना सामने आई, जहां एक राइस मिल में भीषण आग लग गई। इस अग्निकांड में मिल में रखा करोड़ों रुपए का चावल, धान, बारदाना और अन्य कीमती सामान जलकर राख हो गया। प्रारंभिक जांच में आग लगने का कारण मिल के भीतर हुआ शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है। घटना देर रात करीब 12 बजे घटित हुई, जिसने इलाके में हड़कंप मचा दिया।

आग की सूचना मिलते ही तत्काल ढांड थाना पुलिस और फायर ब्रिगेड की गाड़ियां घटनास्थल पर पहुंची और आग पर काबू पाने के प्रयासों में जुट गईं। आग की भयावहता को देखते हुए नायब तहसीलदार अचिन, पटवारी भूप सिंह और फायर ऑफिसर रामेश्वर गिल भी तुरंत मौके पर पहुंचे और राहत कार्यों का जायजा लिया।

आग पर 8 फायर ब्रिगेड गाड़ियों ने पाया काबू

 

आग इतनी तेजी से फैली और इतनी प्रचंड थी कि फायर ब्रिगेड की शुरुआती एक या दो गाड़ियां इसे नियंत्रित करने में नाकाफी साबित हुईं। स्थिति की गंभीरता को भांपते हुए तुरंत फायर ब्रिगेड की आठ गाड़ियों को मौके पर बुलाया गया। इसके अतिरिक्त, आग बुझाने और मलबे को हटाने के लिए तीन जेसीबी मशीनें, ट्रैक्टर और किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए एम्बुलेंस सहित अन्य आवश्यक साधन भी घटनास्थल पर लाए गए।

बरोट रोड स्थित मिल में मची तबाही

 

यह राइस मिल क्योड़क गांव में बरोट रोड पर स्थित है और इसका नाम जीविशा फूड प्राइवेट लिमिटेड है। मिल के मालिक अमरजीत छाबड़ा ने घटना की जानकारी देते हुए बताया कि रात को शॉर्ट सर्किट के कारण मिल में आग लग गई। उन्होंने अनुमान लगाया कि इस अग्निकांड में उन्हें लगभग पांच करोड़ रुपए का भारी नुकसान हुआ है। जलकर राख हुए सामान में बड़ी मात्रा में तैयार चावल, बिना प्रोसेस किया हुआ धान और पैकेजिंग के लिए इस्तेमाल होने वाला बारदाना शामिल है। इसके अलावा, मिल की मशीनरी और अन्य उपकरण भी आग की चपेट में आकर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं।

 सुबह तक जारी रहा आग बुझाने का काम

 

इस भीषण अग्निकांड में सबसे राहत की बात यह रही कि किसी भी जान का नुकसान नहीं हुआ। रात भर फायर ब्रिगेड के कर्मचारी अथक प्रयास करते रहे और सुबह तक वे आग पर पूरी तरह से काबू पाने में सफल रहे। हालांकि, तब तक मिल और उसमें रखा सारा सामान पूरी तरह से जल चुका था, जिससे मिल मालिक को भारी आर्थिक क्षति पहुंची है।

अधिकारियों ने किया घटनास्थल का दौरा

 

फायर ऑफिसर रामेश्वर गिल ने घटना के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि जैसे ही उन्हें आग लगने की सूचना मिली, उनकी टीम तुरंत मौके पर पहुंच गई थी। उन्होंने बताया कि प्रशासनिक अधिकारियों ने भी घटनास्थल का दौरा किया और नुकसान का जायजा लिया। रामेश्वर गिल ने कहा कि आगजनी की इस घटना में काफी बड़ा नुकसान हुआ है और इस संबंध में उच्च अधिकारियों को भी विस्तृत रिपोर्ट भेज दी गई है।

शॉर्ट सर्किट बना बर्बादी का कारण

 

प्रारंभिक जांच में आग लगने का मुख्य कारण राइस मिल के भीतर बिजली के तारों में हुआ शॉर्ट सर्किट माना जा रहा है। हालांकि, आग लगने के सही कारणों का पता लगाने के लिए विस्तृत जांच की जाएगी। फोरेंसिक टीम भी घटनास्थल का दौरा कर सकती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आग लगने के पीछे कोई और वजह तो नहीं थी।

मिल मालिक सदमे में, सरकार से मदद की उम्मीद

 

मिल मालिक अमरजीत छाबड़ा इस अप्रत्याशित घटना से गहरे सदमे में हैं। उन्होंने बताया कि यह मिल उनकी आजीविका का मुख्य स्रोत थी और इसमें लगी आग ने उनके सारे सपने और मेहनत को पल भर में राख कर दिया। उन्होंने सरकार से आर्थिक मदद की गुहार लगाई है ताकि वे इस बड़े नुकसान से उबर सकें और अपने व्यवसाय को फिर से शुरू कर सकें।

स्थानीय लोगों ने दिखाई एकजुटता

 

इस मुश्किल घड़ी में क्योड़क गांव के स्थानीय लोगों ने भी एकजुटता दिखाई। बड़ी संख्या में ग्रामीण मौके पर पहुंचे और आग बुझाने में फायर ब्रिगेड कर्मचारियों की मदद की। उन्होंने मिल मालिक और उनके परिवार को ढांढस बंधाया और हर संभव सहायता का आश्वासन दिया।

औद्योगिक सुरक्षा पर उठे सवाल

 

क्योड़क की इस घटना ने एक बार फिर औद्योगिक इकाइयों में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। इतनी बड़ी राइस मिल में आग लगने की घटना यह दर्शाती है कि कहीं न कहीं सुरक्षा मानकों का पालन करने में चूक हुई है। अब यह जरूरी हो गया है कि जिले की सभी औद्योगिक इकाइयों में सुरक्षा व्यवस्था की गहन जांच की जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उचित कदम उठाए जाएं।

प्रशासन की ओर से सहायता का आश्वासन

 

घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय प्रशासन भी हरकत में आ गया है। नायब तहसीलदार अचिन ने बताया कि प्रशासन पीड़ित मिल मालिक को हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि नुकसान का आकलन किया जा रहा है और नियमों के अनुसार जो भी सहायता संभव होगी, वह प्रदान की जाएगी।

आर्थिक नुकसान का आकलन जारी

 

अग्निकांड में हुए कुल आर्थिक नुकसान का अभी पूरी तरह से आकलन किया जा रहा है। हालांकि, मिल मालिक के शुरुआती अनुमान के अनुसार, यह नुकसान लगभग पांच करोड़ रुपए का है। इसमें जले हुए चावल, धान, बारदाना, मशीनरी और मिल की इमारत को हुए नुकसान को शामिल किया गया है। विस्तृत आकलन के बाद नुकसान का सही आंकड़ा सामने आ पाएगा।

भविष्य में बचाव के लिए उठाए जाने वाले कदम

 

इस दुखद घटना के बाद यह जरूरी हो गया है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचाव के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। इसके लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

नियमित बिजली उपकरणों की जांच: सभी औद्योगिक इकाइयों में बिजली के तारों और उपकरणों की नियमित रूप से जांच की जानी चाहिए ताकि शॉर्ट सर्किट के खतरे को कम किया जा सके।
अग्नि सुरक्षा उपकरणों की उपलब्धता: सभी इकाइयों में पर्याप्त मात्रा में अग्नि शमन यंत्र और अन्य अग्नि सुरक्षा उपकरण उपलब्ध होने चाहिए और कर्मचारियों को उनका उपयोग करने का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
सुरक्षा ऑडिट: समय-समय पर औद्योगिक इकाइयों का सुरक्षा ऑडिट कराया जाना चाहिए ताकि किसी भी संभावित खतरे की पहचान की जा सके और उसे दूर किया जा सके।
कर्मचारियों का प्रशिक्षण: इकाइयों में काम करने वाले सभी कर्मचारियों को आग लगने की स्थिति में क्या करना है, इसका उचित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
आपातकालीन योजना: प्रत्येक इकाई के पास एक सुव्यवस्थित आपातकालीन योजना होनी चाहिए ताकि आग लगने जैसी स्थिति में जान और माल की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

क्योड़क की यह घटना एक सबक है कि औद्योगिक सुरक्षा को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए। उचित सावधानी और सुरक्षा उपायों को अपनाकर ऐसी विनाशकारी घटनाओं से बचा जा सकता है। फिलहाल, पीड़ित मिल मालिक और उनके परिवार को इस बड़े संकट से उबरने के लिए सहारे और सहयोग की जरूरत है। उम्मीद है कि प्रशासन और स्थानीय समुदाय उन्हें इस मुश्किल समय में हर संभव मदद पहुंचाएंगे।

 

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