कैथल में साइबर ठगी का शिकार हुआ शुगर मिल कर्मचारी, क्रेडिट कार्ड लिमिट बढ़ाने के झांसे में गंवाए 1.49 लाख रुपये

नरेन्द्र सहारण, कैथल: Kaithal News: हरियाणा के कैथल जिले के नरड़ गांव में एक चौंकाने वाली साइबर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। एक अज्ञात साइबर अपराधी ने एक शुगर मिल कर्मचारी को क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने और उस पर लगे अतिरिक्त शुल्क को वापस दिलाने का लालच देकर 1 लाख 49 हजार 399 रुपये की ठगी कर ली। पीड़ित ने धोखेबाज द्वारा भेजे गए एक संदिग्ध लिंक पर क्लिक करके अपनी क्रेडिट कार्ड की संवेदनशील जानकारी दर्ज कर दी, जिसके तुरंत बाद उसके खाते से बड़ी रकम कट गई। इस संबंध में पीड़ित कर्मचारी ने साइबर थाने में शिकायत दर्ज कराई है, और पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
नरड़ गांव के निवासी महाबीर सिंह जो कैथल स्थित शुगर मिल में कार्यरत हैं ने साइबर थाने में अपनी शिकायत में बताया कि उन्होंने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) से एक क्रेडिट कार्ड जारी करवाया हुआ है, जिसमें उनका मोबाइल नंबर पंजीकृत है। कुछ समय पहले, उनके मोबाइल फोन पर एक अज्ञात नंबर से कॉल आई। फोन करने वाले व्यक्ति ने खुद को एसबीआई बैंक के क्रेडिट कार्ड विभाग से बताते हुए महाबीर सिंह से उनके क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने के बारे में पूछताछ की। धोखेबाज ने यह भी कहा कि उनके क्रेडिट कार्ड पर कुछ अतिरिक्त शुल्क लगे हुए हैं, जिन्हें बैंक द्वारा वापस (रिफंड) कर दिया जाएगा।
दिखाया फर्जी आईडी कार्ड और भेजी संदिग्ध फाइल
पीड़ित महाबीर सिंह ने अपनी शिकायत में बताया कि शुरू में उन्हें इस कॉल पर संदेह हुआ और उन्होंने क्रेडिट कार्ड की कोई भी जानकारी देने से इनकार कर दिया। इसके बाद, धोखेबाज ने उनके साथ विश्वास बनाने की कोशिश की। उसने महाबीर सिंह के व्हाट्सएप नंबर पर एसबीआई मोटो चार्ज (SBI Moto Charge) के नाम से एक एपीके (APK) फाइल भेजी। यह एक प्रकार की एंड्रॉइड एप्लिकेशन फाइल होती है। जब महाबीर सिंह ने इस फाइल को डाउनलोड करने और इंस्टॉल करने से मना कर दिया, तो आरोपी ने एक और चाल चली। उसने व्हाट्सएप पर ही एक बैंक का फर्जी आईडी कार्ड (पहचान पत्र) भेज दिया, जिस पर एसबीआई का लोगो और किसी कर्मचारी का नाम और पदनाम दर्शाया गया था।
फर्जी आईडी कार्ड देखने के बाद महाबीर सिंह धोखेबाज के झांसे में आ गए और उन्होंने उस एपीके फाइल को खोलकर उसमें अपने क्रेडिट कार्ड की सभी महत्वपूर्ण जानकारी, जैसे कि कार्ड नंबर, एक्सपायरी डेट, सीवीवी (CVV) नंबर और अन्य गोपनीय विवरण दर्ज कर दिए। जैसे ही उन्होंने यह प्रक्रिया पूरी की, कुछ ही देर बाद उनके क्रेडिट कार्ड से 1 लाख 49 हजार 399 रुपये की बड़ी राशि कट गई। जब उन्हें इस धोखाधड़ी का एहसास हुआ, तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। उन्होंने तुरंत बैंक से संपर्क किया और फिर साइबर थाने में जाकर अपनी शिकायत दर्ज कराई।
साइबर पुलिस ने दर्ज किया मामला, गहन जांच शुरू
कैथल साइबर थाने के प्रभारी सुभ्रांशु ने इस घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि पुलिस ने अज्ञात आरोपी के खिलाफ सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की संबंधित धाराओं के तहत धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया है। उन्होंने कहा कि साइबर पुलिस की एक विशेष टीम इस मामले की गहन जांच कर रही है और धोखेबाज की पहचान करने और उसे पकड़ने के लिए सभी संभावित तकनीकी और पारंपरिक तरीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
साइबर थाना प्रभारी सुभ्रांशु ने लोगों से अपील की है कि वे इस प्रकार के अज्ञात कॉल्स और संदेशों से सावधान रहें। उन्होंने कहा कि बैंक कभी भी फोन पर या किसी अनजान लिंक के माध्यम से ग्राहकों से उनकी क्रेडिट कार्ड या बैंक खाते से संबंधित गोपनीय जानकारी नहीं मांगते हैं। उन्होंने लोगों को सलाह दी कि वे किसी भी संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें और न ही किसी अनजान व्यक्ति को अपनी व्यक्तिगत या वित्तीय जानकारी साझा करें।
साइबर धोखाधड़ी: एक बढ़ता हुआ खतरा
आज के डिजिटल युग में साइबर धोखाधड़ी एक गंभीर और बढ़ता हुआ खतरा बन गया है। धोखेबाज नए-नए तरीके अपनाकर लोगों को ठगने की कोशिश करते रहते हैं। क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने, लोन दिलाने, ऑनलाइन लॉटरी जीतने या सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने जैसे लुभावने वादे करके वे लोगों को अपनी जाल में फंसाते हैं और उनकी गाढ़ी कमाई लूट लेते हैं।
इस प्रकार की धोखाधड़ी में अक्सर अपराधी पीड़ितों को फर्जी वेबसाइटों या एप्लिकेशन के लिंक भेजते हैं, जिन पर क्लिक करके अपनी व्यक्तिगत और वित्तीय जानकारी दर्ज करने के लिए कहा जाता है। एक बार जब यह जानकारी धोखेबाजों के हाथ लग जाती है, तो वे इसका दुरुपयोग करके पीड़ितों के बैंक खातों से पैसे निकाल लेते हैं या उनके क्रेडिट कार्ड से खरीदारी कर लेते हैं।
साइबर धोखाधड़ी से बचने के लिए सावधानियां
साइबर धोखाधड़ी से बचने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सावधानियां बरतना आवश्यक है:
अज्ञात कॉल्स और संदेशों से सावधान रहें: यदि आपको किसी अज्ञात नंबर से कोई ऐसा कॉल या संदेश आता है जिसमें आपकी वित्तीय जानकारी मांगी जा रही हो या कोई लुभावना प्रस्ताव दिया जा रहा हो, तो उस पर बिल्कुल भी भरोसा न करें।
व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें: कभी भी फोन पर, ईमेल पर या किसी अनजान वेबसाइट पर अपनी बैंक खाते की जानकारी, क्रेडिट कार्ड नंबर, सीवीवी, ओटीपी (वन-टाइम पासवर्ड) या अन्य गोपनीय जानकारी साझा न करें।
संदिग्ध लिंक्स पर क्लिक न करें: किसी भी ऐसे लिंक पर क्लिक न करें जो आपको किसी अज्ञात स्रोत से प्राप्त हुआ हो, खासकर यदि उसमें कोई वित्तीय लेनदेन करने या व्यक्तिगत जानकारी दर्ज करने के लिए कहा गया हो।
एपीके फाइलों से बचें: अनजान स्रोतों से प्राप्त एपीके फाइलों को डाउनलोड और इंस्टॉल न करें, क्योंकि इनमें मैलवेयर हो सकता है जो आपकी डिवाइस और डेटा को नुकसान पहुंचा सकता है।
एंटीवायरस सॉफ्टवेयर का उपयोग करें: अपने कंप्यूटर और मोबाइल फोन में एक अच्छा एंटीवायरस सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करें और उसे नियमित रूप से अपडेट करते रहें।
मजबूत पासवर्ड का उपयोग करें: अपने ऑनलाइन खातों के लिए मजबूत और अद्वितीय पासवर्ड का उपयोग करें और उन्हें नियमित रूप से बदलते रहें।
टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन सक्षम करें: जहां भी संभव हो, अपने ऑनलाइन खातों के लिए टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (दो-चरणीय प्रमाणीकरण) को सक्षम करें, जो सुरक्षा की एक अतिरिक्त परत प्रदान करता है।
वित्तीय लेनदेन के लिए सुरक्षित वेबसाइटों का उपयोग करें: ऑनलाइन वित्तीय लेनदेन करते समय हमेशा यह सुनिश्चित करें कि आप एक सुरक्षित (https://) वेबसाइट का उपयोग कर रहे हैं।
नियमित रूप से अपने बैंक स्टेटमेंट जांचें: अपने बैंक और क्रेडिट कार्ड के स्टेटमेंट को नियमित रूप से जांचते रहें ताकि किसी भी अनधिकृत लेनदेन का पता चल सके।
धोखाधड़ी की सूचना तुरंत दें: यदि आपको लगता है कि आप साइबर धोखाधड़ी का शिकार हो गए हैं, तो तुरंत अपने बैंक और साइबर पुलिस को इसकी सूचना दें।
पीड़ित को न्याय का इंतजार
नरड़ गांव के महाबीर सिंह को अब साइबर पुलिस की जांच और कार्रवाई का इंतजार है। उन्होंने अपनी मेहनत की कमाई गंवा दी है और उन्हें उम्मीद है कि पुलिस जल्द ही धोखेबाज को पकड़कर उनके पैसे वापस दिलाएगी। यह घटना उन सभी लोगों के लिए एक सबक है जो ऑनलाइन वित्तीय लेनदेन करते हैं और अज्ञात लोगों के साथ अपनी व्यक्तिगत जानकारी साझा करते हैं। साइबर अपराध से बचाव के लिए सतर्कता और जागरूकता ही सबसे बड़ा हथियार है। पुलिस इस मामले की जांच को तेजी से आगे बढ़ा रही है और उम्मीद है कि जल्द ही इस साइबर ठगी के आरोपी को पकड़ा जा सकेगा।
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