Kaithal Accident: कैथल में बस और बाइक की टक्कर: 4 लोगों की मौत, शीशे तोड़कर निकाले यात्री

नरेन्द्र सहारण, कैथल: Kaithal News: सोमवार रात को हरियाणा के कैथल जिले में नेशनल हाईवे 165 एक भयानक हादसे से थर्रा उठा। शिमला गांव के पास रात के लगभग साढ़े आठ बजे समय का पहिया मानो कुछ देर के लिए थम सा गया, जब एक तेज रफ्तार बस ने मौत बनकर एक मोटरसाइकिल को अपनी चपेट में ले लिया और फिर स्वयं भी विनाश का शिकार हो गई। इस हृदय विदारक दुर्घटना ने न केवल चार जिंदगियों को असमय काल का ग्रास बना दिया बल्कि कई परिवारों को कभी न भरने वाले घाव भी दे गई। सोलह अन्य यात्री इस हादसे में घायल हुए, जो अब अस्पतालों में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं। यह घटना एक बार फिर सड़कों पर बेलगाम रफ्तार, यातायात नियमों की अनदेखी और हाईवे क्रॉसिंग पर सुरक्षा की गंभीर कमियों को उजागर करती है।
दुर्घटना का भयावह क्रम
प्रत्यक्षदर्शियों और पुलिस की प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, यह खौफनाक हादसा उस समय हुआ जब एक मोटरसाइकिल नेशनल हाईवे 165 को शिमला गांव से बाणा गांव की ओर जाने वाले लिंक रोड पर पार करने का प्रयास कर रही थी। बाइक पर एक युवक और एक बुजुर्ग महिला सवार थे, जो शायद अपने गंतव्य की ओर बढ़ रहे थे, इस बात से अनजान कि मौत उनका इंतजार कर रही है।
बाइक सवारों का दुर्भाग्यपूर्ण क्षण: जैसे ही मोटरसाइकिल सवार हाईवे के मुख्य मार्ग को पार करने लगे, कैथल से नरवाना की ओर जा रही ‘बालाजी ट्रैवल्स’ की एक निजी बस तेज गति से वहां आ धमकी। रात का समय होने और संभवतः बस की रफ्तार अत्यधिक होने के कारण बाइक सवार और बस चालक दोनों ही स्थिति को भांप नहीं पाए या उन्हें प्रतिक्रिया देने का मौका ही नहीं मिला।
जोरदार टक्कर और चीखें: पलक झपकते ही, तेज रफ्तार बस ने मोटरसाइकिल को एक जोरदार टक्कर मारी। टक्कर इतनी भीषण थी कि मोटरसाइकिल के परखच्चे उड़ गए और उस पर सवार युवक व बुजुर्ग महिला कई फुट हवा में उछलकर दूर जा गिरे। दोनों की मौके पर ही दर्दनाक मृत्यु हो गई। उनके क्षत-विक्षत शव सड़क पर बिखर गए, और हाईवे पर चीख-पुकार मच गई।
बस का अनियंत्रित होना और दूसरा कहर: मोटरसाइकिल को टक्कर मारने के बाद बस चालक का वाहन पर से नियंत्रण पूरी तरह खो गया। अनियंत्रित बस हाईवे के किनारे लगे एक हाईटेंशन बिजली आपूर्ति के भारी-भरकम पोल से जा टकराई। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि सीमेंट का मजबूत पोल भी क्षतिग्रस्त हो गया। पोल से टकराने के बाद बस का संतुलन और बिगड़ गया और वह सड़क किनारे एक गहरे गड्ढे में जा पलटी।
बस के अंदर का मंजर: बस के पलटते ही अंदर सवार यात्रियों में हाहाकार मच गया। कई यात्री सीटों के बीच फंस गए, कुछ एक-दूसरे पर जा गिरे। अंधेरे, धूल और घायलों की चीखों ने स्थिति को और भयावह बना दिया। इस दौरान बस में सवार एक पुरुष और एक महिला यात्री की भी गंभीर चोटों के कारण मौत हो गई।
देवदूत बने ग्रामीण
दुर्घटनास्थल के पास मौजूद शिमला गांव के आशीष और रणधीर व अन्य ग्रामीणों ने बताया कि वे हाईवे के पास ही थे जब उन्होंने एक कान फाड़ देने वाला जोरदार धमाका सुना। आवाज सुनकर वे और आसपास के अन्य लोग तुरंत घटनास्थल की ओर दौड़े। उन्होंने देखा कि एक बस गड्ढे में पलटी हुई थी और अंदर से लोगों की चीखने-चिल्लाने की आवाजें आ रही थीं।
तत्काल सहायता: ग्रामीणों ने बिना किसी देरी के बचाव कार्य शुरू कर दिया। हाईवे से गुजर रहे अन्य वाहन चालकों ने भी अपने वाहन रोककर मदद में हाथ बंटाया। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, कुछ लोगों ने तुरंत पुलिस और एंबुलेंस सेवाओं को सूचित किया।
शीशे तोड़कर निकाला: बस के दरवाजे जाम हो चुके थे और खिड़कियां भी बंद थीं। अंदर फंसे घायलों को निकालने के लिए ग्रामीणों ने हिम्मत दिखाते हुए बस के शीशे तोड़े। एक-एक करके घायल यात्रियों को बाहर निकाला गया। कुछ यात्री गंभीर रूप से घायल थे और दर्द से कराह रहे थे।
स्थानीय लोगों का हुजूम: टक्कर की आवाज इतनी तेज थी कि शिमला गांव के ग्रामीण जो अपने घरों में थे, वे भी घबराकर बस स्टैंड और हाईवे की तरफ दौड़ पड़े। देखते ही देखते घटनास्थल पर भारी भीड़ जमा हो गई। लोगों ने अपने स्तर पर घायलों को प्राथमिक उपचार देने और उन्हें ढांढस बंधाने की कोशिश की।
घायलों की स्थिति और चिकित्सा सहायता
इस भीषण हादसे में बस में सवार कुल 16 यात्री घायल हो गए। ग्रामीणों और मौके पर पहुंची एंबुलेंस की मदद से सभी घायलों को तुरंत कैथल के नागरिक अस्पताल (पीजीआई) पहुंचाया गया।
अस्पताल में अफरा-तफरी: घायलों के पहुंचने पर अस्पताल में भी अफरा-तफरी का माहौल बन गया। डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ ने तुरंत उनका उपचार शुरू किया। कुछ घायलों की हालत नाजुक बताई जा रही है, जिन्हें सिर, छाती और शरीर के अन्य हिस्सों में गंभीर चोटें आई हैं। पहचान और सूचना: अस्पताल प्रशासन और पुलिस मृतकों की पहचान करने और उनके परिजनों को सूचित करने की कोशिश में जुटी है। यह प्रक्रिया अत्यंत दुखद और चुनौतीपूर्ण होती है, खासकर जब मृतक अपने घर से दूर हों। इस हादसे में कुल चार लोगों की जान चली गई।
बाइक सवार: मोटरसाइकिल पर सवार युवक और बुजुर्ग महिला की शिनाख्त की प्रक्रिया जारी है। उनके पास से मिले दस्तावेजों या अन्य पहचान चिन्हों के आधार पर उनके परिजनों तक पहुंचने का प्रयास किया जा रहा है।
बस यात्री: बस में मृत पाए गए दो यात्रियों में से एक पुरुष की पहचान जींद जिले के खरकबुरा गांव निवासी 41 वर्षीय व्यक्ति के रूप में हुई है। उसके परिजनों को इस दुखद घटना की सूचना दे दी गई है। दूसरी मृत महिला यात्री की पहचान अभी नहीं हो पाई है।
पोस्टमार्टम: सभी मृतकों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए कैथल के नागरिक अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से मौत के सही कारणों का पता चल सकेगा।
पुलिस की कार्रवाई और जांच के पहलू
घटना की सूचना मिलते ही ट्रैफिक पुलिस एसएचओ राजकुमार राणा अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे।
प्रारंभिक जांच: पुलिस ने घटनास्थल का मुआयना किया, क्षतिग्रस्त वाहनों को कब्जे में लिया और प्रत्यक्षदर्शियों के बयान दर्ज किए। हाईवे पर यातायात को सुचारू करने के लिए भी कदम उठाए गए।
मामला दर्ज: पुलिस ने संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है और दुर्घटना के कारणों की गहन जांच शुरू कर दी है। जांच के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हो सकते हैं:
बस की गति: क्या बस निर्धारित गति सीमा से अधिक तेज चल रही थी?
चालक की लापरवाही: क्या बस चालक ने यातायात नियमों का उल्लंघन किया? क्या वह नशे में था या थका हुआ था?
सड़क की स्थिति: क्या दुर्घटनास्थल पर सड़क की डिजाइन में कोई खामी थी या रोशनी का अभाव था?
वाहन की फिटनेस: क्या बस और मोटरसाइकिल तकनीकी रूप से फिट थे?
शिनाख्त की प्राथमिकता: एसएचओ राजकुमार राणा ने बताया कि पुलिस की पहली प्राथमिकता शेष तीन मृतकों की पहचान करना और उनके परिवारों को सूचित करना है।
दुर्घटना के व्यापक प्रभाव और चिंताएं
यह दुर्घटना केवल कुछ आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह कई गंभीर सामाजिक और प्रशासनिक मुद्दों पर भी ध्यान आकर्षित करती है:
सड़क सुरक्षा का अभाव: नेशनल हाईवे पर अक्सर वाहनों की गति बहुत तेज होती है। ऐसे में लिंक रोड क्रॉसिंग पर उचित सुरक्षा उपायों (जैसे स्पीड ब्रेकर, सिग्नल, अंडरपास या ओवरब्रिज) का न होना घातक सिद्ध होता है।
मानवीय चूक: अधिकांश सड़क दुर्घटनाएं मानवीय चूक का परिणाम होती हैं, जिसमें तेज गति, गलत तरीके से ओवरटेक करना, नशे में ड्राइविंग और थकान शामिल हैं।
हाईटेंशन पोल्स का खतरा: हाईवे के किनारे हाईटेंशन बिजली के पोल्स का होना एक अतिरिक्त खतरा पैदा करता है। वाहनों के टकराने से न केवल जान-माल का नुकसान होता है, बल्कि बिजली आपूर्ति भी बाधित होती है और करंट फैलने का डर भी बना रहता है।
आपातकालीन सेवाओं की भूमिका: हालांकि इस मामले में ग्रामीणों ने त्वरित सहायता प्रदान की, लेकिन ऐसे हादसों में प्रशिक्षित आपातकालीन सेवाओं की समय पर उपलब्धता अत्यंत महत्वपूर्ण होती है ताकि घायलों को “गोल्डन आवर” में उचित चिकित्सा मिल सके।
ट्रॉमा और मानसिक स्वास्थ्य: दुर्घटना के शिकार हुए लोग, उनके परिजन और यहां तक कि बचाव कार्य में शामिल प्रत्यक्षदर्शी भी गंभीर मानसिक आघात से गुजरते हैं, जिसके लिए उन्हें मनोवैज्ञानिक सहायता की आवश्यकता हो सकती है।
गंभीरता से लेने की आवश्यकता
एक सबक और भविष्य की राह कैथल के पास नेशनल हाईवे 165 पर हुआ यह भीषण सड़क हादसा एक और दुखद याद दिलाता है कि सड़क सुरक्षा को कितनी गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। यह घटना प्रशासन, परिवहन विभाग, वाहन चालकों और आम नागरिकों सभी के लिए एक चेतावनी है। जब तक यातायात नियमों का सख्ती से पालन नहीं किया जाएगा, सड़कों की इंजीनियरिंग को सुधारा नहीं जाएगा और वाहन चालकों में जिम्मेदारी की भावना विकसित नहीं होगी, तब तक हम ऐसी त्रासदियों को झेलते रहेंगे। मृतकों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए, यह उम्मीद की जानी चाहिए कि इस दुर्घटना की गहन जांच होगी, दोषियों को सजा मिलेगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे। सड़क पर हर जान कीमती है, और इसे बचाने के लिए सामूहिक प्रयास ही एकमात्र रास्ता है।