बृजभूषण के जलसे पर विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया का फूटा गुस्‍सा, लिखा- लश्कर भी तुम्हारा…सरदार भी तुम्हारा

बृजभूषण सिंह, विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया। फाइल फोटो

नरेंद्र सहारण, जींद : भारतीय कुश्ती के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह को हाल ही में पाक्सो एक्ट में राहत मिलते ही राजनीतिक और खेल जगत में नई बहस छिड़ गई है। कोर्ट से राहत मिलते ही बृजभूषण शरण सिंह ने अयोध्या में विशाला रोड शो किया!इस पूरे घटनाक्रम के बीच पहलवानों और उनके समर्थकों ने अपनी नाराजगी जताई है।

बृजभूषण शरण सिंह का राजनीतिक और खेल जीवन

बृजभूषण शरण सिंह का नाम भारतीय राजनीति में एक खास स्थान रखता है। वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में कई बार सुर्खियां बटोरी हैं, लेकिन उनका नाम हाल के दिनों में एक नए विवाद के साथ जुड़ा है। वे भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। कुश्ती के क्षेत्र में उनका योगदान रहा है, लेकिन कई वर्षों से उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगे हैं। इन आरोपों ने पूरे देश का ध्यान खींचा है, विशेषकर तब जब पहलवानों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर आंदोलन कर अपनी बात रखी।

यौन उत्पीड़न के आरोप और पहलवानों का आंदोलन

महिला पहलवानों ने बृजभूषण पर यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाए। साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट जैसे दिग्गज पहलवानों ने उनके खिलाफ आवाज उठाई। दिल्ली में जंतर-मंतर पर चल रहे इस आंदोलन का मकसद था कि उनके साथ हुई परेशानी की न्यायिक जांच हो और आरोपी को सख्त सजा मिले। अधिकारी और खेल प्रबंधन ने इन आरोपों की जांच का आश्वासन दिया, लेकिन आंदोलन लंबा खिंचता गया। इस दौरान मई 2023 में दिल्ली पुलिस ने दो एफआईआर दर्ज की। एक एफआईआर यौन उत्पीड़न के मामले में और दूसरी में पाक्सो एक्ट के तहत।

पाक्सो एक्ट में राहत और विवाद

 

जब बृजभूषण सिंह को पाक्सो एक्ट में राहत मिली तो इस पर पूरे देश में तीखी प्रतिक्रिया हुई। इस राहत के बाद पहलवानों और विपक्षी नेताओं ने इसे सरकार और न्यायिक व्यवस्था की निष्पक्षता पर सवाल उठाए।

ख्याति प्राप्त पहलवान और कांग्रेस विधायक विनेश फोगाट ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने ट्वीट किया, “लश्कर भी तुम्हारा है, सरदार भी तुम्हारा है। तुम झूठ को सच लिख दो, अखबार भी तुम्हारा है। हम इसकी शिकायत करते तो कहां करते, सरकार तुम्हारी है, गवर्नर भी तुम्हारा है।”

उनका यह ट्वीट इस बात का संकेत था कि वे इस राहत से नाखुश हैं और मानती हैं कि यह निर्णय राजनीतिक प्रभाव के कारण हुआ है। विनेश फोगाट ने यह भी सवाल उठाया कि यदि उनके खिलाफ कोई शिकायत हो, तो वह कहां दर्ज कराएं जब सरकार और प्रशासन उनके साथ हैं।

विनेश फोगाट का ट्वीट, जिस पर

बजरंग पूनिया की तीखी टिप्पणी

 

पहलवान बजरंग पूनिया ने भी सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जताते हुए कहा, “बृजभूषण अभी भी बाकी 6 महिला पहलवानों पर दबाव बना रहा है कि वे भी अपने केस वापस लें। वह फिर से सेक्शुअल हरासमेंट की पीड़िताओं को झुकाकर, कोर्ट-कचहरी में कमजोर कर, और अपनी ताकत दिखाने का प्रयास कर रहा है। कई बार लगता है कि आज भी कानून राज गुंडों के सामने बौना है।” उनका यह बयान साफ संकेत था कि पहलवानों को अभी भी धमकियों और दबाव का सामना करना पड़ रहा है और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई में भी रुकावटें आ रही हैं।

सामाजिक मीडिया और सार्वजनिक बहस

बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट जैसे दिग्गजों ने सोशल मीडिया का सहारा लेकर अपनी बात रखी है। उनके ट्वीट्स और बयान न केवल उनके समर्थन में खड़े लोगों का समर्थन जुटाते हैं, बल्कि इस पूरे मामले को राजनीतिक मोड़ भी दे रहे हैं। सामाजिक मीडिया पर कई समर्थक पहलवानों का मानना है कि इस तरह के मजबूत खिलाड़ियों को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। वहीं कुछ लोग मानते हैं कि कानून का पालन हर किसी के लिए समान होना चाहिए। यदि आरोप सही हैं तो न्याय जरूर होना चाहिए लेकिन यदि झूठे हैं तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

विवाद का संदर्भ और राजनीतिक माहौल

 

यह मामला केवल एक खेल और यौन उत्पीड़न का नहीं है, बल्कि यह सरकार, न्यायपालिका और खेल संघ के बीच चल रहे जटिल संघर्ष का उदाहरण भी है। जब किसी आरोपी को राहत मिलती है तो विपक्षी दल और जनता में नाराजगी की लहर दौड़ जाती है। सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली पुलिस की भूमिका भी इस विवाद में महत्वपूर्ण हो जाती है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कई बार गंभीर टिप्पणियां की हैं और पुलिस ने शुरुआती जांच के बाद दो एफआईआर दर्ज की थीं। लेकिन राहत मिलने के बाद सवाल उठे हैं कि क्या इस निर्णय में राजनीतिक पक्षपात था या फिर सही न्याय हुआ है।

राजनीति का खेल

यह मामला राजनीतिक भी हो चुका है। विपक्षी दल सरकार पर निशाना साध रहे हैं कि वह पहलवानों के खिलाफ षड्यंत्र कर रही है। वहीं समर्थक अभी भी बृजभूषण सिंह का समर्थन कर रहे हैं, मानते हुए कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप राजनीति से प्रेरित हैं।

आगे का रास्ता और संभावित प्रभाव

 

यह तय है कि इस विवाद में अभी और बहुत कुछ होने वाला है। महिला पहलवानों ने अपने समर्थन की घोषणा की है और उनका मानना है कि वे अपने हक के लिए लड़ते रहेंगे। कानून के लिहाज से यदि आरोप सही हैं तो आरोपी को सजा मिलनी चाहिए। अगर झूठे हैं तो उन्हें भी कठोर सजा मिलनी चाहिए। न्यायपालिका का कर्तव्य है कि वह निष्पक्षता से मामले की जांच करे और सही फैसला सुनाए।

सामाजिक और खेल जगत पर असर

 

यह विवाद खेल जगत में भी बड़ा असर डाल रहा है। देश के युवा और खिलाड़ी यह देख रहे हैं कि क्या राजनीति और सत्ता के दबाव में न्याय हो रहा है या नहीं। यदि न्याय नहीं हुआ तो इससे खेल का माहौल और युवा पीढ़ी का मनोबल गिर सकता है। साथ ही यह मामला महिलाओं के खिलाफ यौन शोषण के मामलों की गंभीरता को भी उजागर करता है।

विवाद एक नई दिशा में

 

बृजभूषण शरण सिंह के पाक्सो एक्ट में राहत पाने के बाद यह विवाद एक नई दिशा में पहुंच गया है। जहां एक ओर उनके समर्थक इसे न्याय का प्रतीक मान रहे हैं, वहीं पहलवान और उनके समर्थक इसे राजनीतिक प्रतिशोध का परिणाम बता रहे हैं। इस संघर्ष ने समाज में एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है क्या न्याय प्रणाली निष्पक्ष है या फिर राजनीतिक प्रभाव में आ गई है? यह जरूरी हो जाता है कि न्यायपालिका इस मामले में निष्पक्षता और त्वरितता से फैसला करे। साथ ही खेल जगत और राजनीति को चाहिए कि वे इस तरह के विवादों को खत्म करने के लिए मिलकर काम करें, ताकि देश के युवा और खेल का माहौल बेहतर हो सके। आखिरकार न्याय का रास्ता तभी साफ हो सकता है, जब सभी पक्ष अपने दावों को सही और निष्पक्ष तरीके से पेश करें और समाज में भरोसा कायम हो। तभी हम एक स्वस्थ, न्यायसंगत और प्रगतिशील देश की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।

 

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