पर्यावरण संरक्षण में दौलत राम महाविद्यालय का परचम, ‘पर्यावरण चैंपियन अवार्ड 2025’ से सम्मानित

नई दिल्ली/देहरादून, बीएनएम न्यूज : विश्व पर्यावरण दिवस, 5 जून 2025 के ऐतिहासिक अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित दौलत राम महाविद्यालय के नाम एक और गौरवशाली अध्याय जुड़ गया। पर्यावरण संरक्षण, संधारणीयता और सामुदायिक जागरूकता के क्षेत्र में अपने अथक और अनुकरणीय प्रयासों के लिए महाविद्यालय को ‘पर्यावरण चैंपियन अवार्ड 2025’ के प्रतिष्ठित सम्मान से अलंकृत किया गया। यह भव्य पुरस्कार, भारत में वन्यजीव संरक्षण और गंगा पुनर्जीवन के दो शीर्ष संस्थानों भारतीय वन्य जीव संस्थान, देहरादून और नमामि गंगे मिशन द्वारा संयुक्त रूप से प्रदान किया गया। यह सम्मान न केवल महाविद्यालय की हरी-भरी पहलों की मान्यता है बल्कि यह उस अटूट प्रतिबद्धता का भी प्रमाण है जिसे महाविद्यालय अपने छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों के माध्यम से पोषित करता रहा है।
देहरादून के सुरम्य वातावरण में आयोजित एक गरिमामय समारोह में यह पुरस्कार विश्व प्रसिद्ध चिपको आंदोलन की जीवित किंवदंती और सक्रिय कार्यकर्ता आदरणीय सुदेशना देवी जी के कर-कमलों द्वारा प्रदान किया गया। जब सुदेशना देवी ने यह पुरस्कार दौलत राम महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) की कार्यक्रम अधिकारी डॉ. शारदा गौतम को सौंपा तो पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। यह एक प्रतीकात्मक क्षण था, जहाँ भारत के ऐतिहासिक पर्यावरण आंदोलन की आत्मा, युवा पीढ़ी के भविष्य के संरक्षकों को आशीर्वाद और जिम्मेदारी सौंप रही थी। डॉ. शारदा गौतम ने अत्यंत विनम्रता और गर्व के साथ यह सम्मान ग्रहण किया, जिसे उन्होंने एनएसएस के प्रत्येक स्वयंसेवक के निस्वार्थ परिश्रम को समर्पित किया।
इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने के लिए कई गणमान्य हस्तियां उपस्थित थीं। मुख्य अतिथि के रूप में प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और ‘सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज फाउंडेशन’ के संस्थापक अनूप नौटियाल जी ने अपनी उपस्थिति से समारोह को गौरवान्वित किया। उनके साथ पर्यावरण और जल संरक्षण के क्षेत्र में कार्यरत संगीता जी और युवा पर्यावरणविद् श्री सौफिल मलिक जी की गरिमामयी उपस्थिति ने कार्यक्रम के महत्व को और बढ़ा दिया।
क्यों मिला दौलत राम महाविद्यालय को यह सम्मान?
यह पुरस्कार किसी एक दिन की उपलब्धि का परिणाम नहीं है बल्कि यह वर्षों की निरंतर साधना, नवाचार और अटूट समर्पण की कहानी कहता है। दौलत राम महाविद्यालय की एनएसएस इकाई ने डॉ. शारदा गौतम के कुशल नेतृत्व और प्राचार्या प्रो.सविता रॉय के दूरदर्शी मार्गदर्शन में पर्यावरण संरक्षण को केवल एक गतिविधि नहीं बल्कि एक जीवन शैली के रूप में विकसित किया है। महाविद्यालय के प्रयासों को कई स्तरों पर देखा जा सकता है:
हरित परिसर और जैव विविधता का संरक्षण
महाविद्यालय ने अपने परिसर को एक शहरी नखलिस्तान में बदलने के लिए अथक प्रयास किए हैं। नियमित वृक्षारोपण अभियानों के माध्यम से हजारों पौधे लगाए गए हैं, जिनमें औषधीय जड़ी-बूटियों से लेकर देशी फलदार वृक्ष तक शामिल हैं। एनएसएस स्वयंसेवकों ने परिसर में एक ‘बटरफ्लाई गार्डन’ और ‘बायोडायवर्सिटी जोन’ विकसित किया है, जो न केवल सौंदर्य में वृद्धि करता है, बल्कि शहरी पारिस्थितिकी तंत्र में पक्षियों, तितलियों और अन्य छोटे जीवों के लिए एक महत्वपूर्ण आश्रय स्थल भी प्रदान करता है।
अपशिष्ट प्रबंधन और चक्रीय अर्थव्यवस्था
‘ज़ीरो-वेस्ट कैंपस’ के लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए, महाविद्यालय ने एक व्यापक अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली लागू की है। इसमें स्रोत पर ही कचरे का पृथक्करण, गीले कचरे से खाद बनाने के लिए कम्पोस्टिंग पिट्स की स्थापना, और सूखे कचरे के पुनर्चक्रण के लिए स्थानीय एजेंसियों के साथ सहयोग शामिल है। ‘प्लास्टिक-मुक्त परिसर’ अभियान के तहत, सिंगल-यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया गया है और छात्रों को कपड़े के थैले और पुन: प्रयोज्य बोतलों के उपयोग के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। ई-कचरे के सुरक्षित निपटान के लिए भी विशेष संग्रह अभियान चलाए जाते हैं।
जल संरक्षण और यमुना के प्रति कर्तव्य
नमामि गंगे मिशन द्वारा सह-पुरस्कृत होने का एक प्रमुख कारण महाविद्यालय का जल संरक्षण और नदी पुनर्जीवन के प्रति समर्पण है। परिसर में वर्षा जल संचयन (Rainwater Harvesting) प्रणालियों को स्थापित किया गया है ताकि भूजल स्तर को रिचार्ज किया जा सके। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि एनएसएस इकाई ने दिल्ली में गंगा की प्रमुख सहायक नदी यमुना की सफाई के लिए सक्रिय रूप से भाग लिया है। स्वयंसेवकों ने यमुना घाटों पर नियमित सफाई अभियान चलाए हैं, जागरूकता रैलियां आयोजित की हैं और नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से लोगों को नदी में प्रदूषण न फैलाने के लिए प्रेरित किया है।
सामुदायिक जुड़ाव और जागरूकता
दौलत राम महाविद्यालय का मानना है कि पर्यावरण संरक्षण की लड़ाई परिसर की चारदीवारी के भीतर नहीं जीती जा सकती। इसी सोच के साथ, एनएसएस स्वयंसेवकों ने आस-पास की बस्तियों और बाजारों में जाकर बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाए हैं। उन्होंने स्कूलों में कार्यशालाएं आयोजित की हैं, स्थानीय निवासियों को कचरा प्रबंधन और जल संरक्षण के सरल तरीके सिखाए हैं, और पर्यावरण के मुद्दों पर संवाद बनाने के लिए वेबिनार और ऑनलाइन अभियानों का सफलतापूर्वक उपयोग किया है।
प्रतिक्रियाओं की गूंज: गर्व और प्रेरणा के क्षण
पुरस्कार ग्रहण करने के बाद महाविद्यालय में उत्सव और उल्लास का माहौल था। प्राचार्या प्रो. सविता रॉय ने अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा, “यह ‘पर्यावरण चैंपियन अवार्ड’ हमारे लिए अत्यंत गर्व का विषय है। यह सम्मान हमारे छात्रों और शिक्षकों के वर्षों के परिश्रम और पर्यावरण के प्रति हमारी गहरी प्रतिबद्धता का प्रतीक है। मैं राष्ट्रीय सेवा योजना की पूरी टीम, विशेष रूप से डॉ. शारदा गौतम और हमारे ऊर्जावान स्वयंसेवकों को हार्दिक बधाई देती हूं। यह पुरस्कार हमें अपने प्रयासों को दोगुना करने और संधारणीयता के नए मानक स्थापित करने के लिए प्रेरित करेगा।”
वहीं, सम्मान ग्रहण कर गौरवान्वित डॉ. शारदा गौतम ने अपनी भावनाओं को साझा करते हुए कहा, “यह सम्मान मेरा या महाविद्यालय का नहीं, बल्कि एनएसएस के उन सैकड़ों स्वयंसेवकों का सम्मान है जो धूप और बारिश की परवाह किए बिना निस्वार्थ भाव से पर्यावरण सेवा में लगे रहते हैं। उनकी ऊर्जा, उनका जुनून और उनकी रचनात्मकता ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है। श्रीमती सुदेशना देवी जी जैसी महान शख्सियत के हाथों यह पुरस्कार प्राप्त करना मेरे जीवन का अविस्मरणीय क्षण है। यह हमें चिपको आंदोलन की विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी का एहसास कराता है।”
चिपको की विरासत और सुदेशना देवी का आशीर्वाद
समारोह का सबसे मार्मिक पहलू श्रीमती सुदेशना देवी की उपस्थिति थी। जब उन्होंने पुरस्कार प्रदान किया तो यह केवल एक भौतिक वस्तु का हस्तांतरण नहीं था बल्कि यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक सिद्धांतों, मूल्यों और संघर्ष की मशाल का हस्तांतरण था। चिपको आंदोलन जिसने दुनिया को पेड़ों को बचाने के लिए उनसे चिपकने का शांतिपूर्ण तरीका सिखाया, महिलाओं के नेतृत्व और जमीनी सक्रियता का एक शक्तिशाली उदाहरण है। सुदेशना देवी उसी आंदोलन की एक निडर योद्धा रही हैं। उनकी उपस्थिति ने दौलत राम महाविद्यालय के प्रयासों को एक ऐतिहासिक और नैतिक वैधता प्रदान की, यह रेखांकित करते हुए कि आज के युवाओं के प्रयास उसी महान परंपरा का हिस्सा हैं।
भविष्य की ओर: एक हरित दृष्टि
‘पर्यावरण चैंपियन अवार्ड 2025’ दौलत राम महाविद्यालय के लिए एक पड़ाव है, मंजिल नहीं। इस सम्मान ने महाविद्यालय के कंधों पर एक बड़ी जिम्मेदारी डाली है। महाविद्यालय की भविष्य की योजनाओं में परिसर को पूरी तरह से सौर ऊर्जा पर संचालित करने की दिशा में काम करना, एक ‘पर्यावरण अनुसंधान और नवाचार प्रकोष्ठ’ स्थापित करना, और आस-पास के एक गाँव को ‘आदर्श हरित ग्राम’ के रूप में गोद लेना शामिल है।
दौलत राम महाविद्यालय को मिला यह सम्मान इस बात का एक ज्वलंत उदाहरण है कि कैसे शैक्षणिक संस्थान केवल डिग्री प्रदान करने वाले केंद्र न होकर, सामाजिक परिवर्तन और पर्यावरणीय चेतना के शक्तिशाली उत्प्रेरक बन सकते हैं। यह पुरस्कारमहाविद्यालय के उन गुमनाम नायकों छात्रों और शिक्षकों को समर्पित है, जो चुपचाप, बिना किसी श्रेय की अपेक्षा के इस धरती को एक बेहतर जगह बनाने के लिए अपना योगदान दे रहे हैं। उनकी कहानी हर भारतीय के लिए एक प्रेरणा है, जो हमें याद दिलाती है कि पर्यावरण की रक्षा हम में से प्रत्येक की सामूहिक और व्यक्तिगत जिम्मेदारी है।