हरियाणवी मॉडल शीतल चौधरी की हत्या की वो अनकही कहानी, रील की चमक, प्यार का धोखा और एक खौफनाक अंत

मॉडल शीतल उर्फ सिम्मी चौधरी
नरेंद्र सहारण, पानीपत : सोशल मीडिया और यूट्यूब की दुनिया में जहां हर रील, हर वीडियो एक परफेक्ट कहानी सुनाता है, हरियाणा की उभरती हुई मॉडल शीतल उर्फ सिम्मी चौधरी की प्रोफाइल भी एक ऐसे ही सपने की तस्वीर पेश करती थी। अपने गानों में वह मुस्कुराती, नाचती और एक ऐसी जिंदगी जीती दिखती थी, जो महत्वाकांक्षा और कामयाबी की ओर बढ़ रही थी। लेकिन शनिवार की उस खौफनाक रात को इस चमकती हुई रील का ‘कट’ एक ऐसी सच्चाई पर हुआ, जो प्यार, जुनून, धोखे और एक बेहद क्रूर अंत की कहानी कहती है। हरियाणवी मॉडल शीतल उर्फ सिम्मी चौधरी की हत्या शनिवार को उसके प्रेमी इसराना के सुनील ने गला काटकर कर दी। सीआइए वन पुलिस ने सुनील को निजी अस्पताल से सोमवार देर सायं गिरफ्तार कर लिया है। सुनील ने शव को कार में डाल उसी रात एक बजे जाटल रोड के पास दिल्ली पैरलल नहर में उतार दी। वहां लोगों ने सुनील को निकाल लिया। उसने अचेत होने का ड्रामा किया। लोगों ने उसे अस्पताल पहुंचाया।
शीतल की हत्या सिर्फ एक अपराध की खबर नहीं है। यह उस अंधेरे की कहानी है जो अक्सर शोहरत की चकाचौंध के पीछे छिप जाता है। यह उन उलझे हुए रिश्तों की कहानी है, जहां प्यार और जुनून के बीच की महीन रेखा मिट जाती है और अधिकार जताने की भावना जानलेवा बन जाती है। यह एक ऐसे शातिर दिमाग की कहानी है जिसने हत्या को एक हादसे का रूप देने की हर संभव कोशिश की लेकिन कानून के लंबे हाथों से बच नहीं सका। पानीपत के एक नहर में फेंकी गई एक कार से शुरू हुई यह कहानी 60 किलोमीटर दूर सोनीपत की एक दूसरी नहर में मिले एक शव और उसके शरीर पर बने टैटू से होते हुए एक प्रेमी के कबूलनामे पर खत्म हुई।
शीतल – सपनों की उड़ान और बिखरे रिश्ते
29 वर्षीय शीतल चौधरी की पहचान सिर्फ एक मॉडल के रूप में नहीं थी। वह एक मां, एक बेटी, एक बहन और एक ऐसी महिला थी जो अपनी शर्तों पर जिंदगी जीना चाहती थी। उसका सफर हरियाणा के गांव सौंदापुर से शुरू हुआ था, जहाँ उसकी शादी संदीप नाम के व्यक्ति से हुई थी। वह दो बच्चों की माँ बनी लेकिन उसकी आंखों में कुछ और सपने थे। उसे पारंपरिक घरेलू जीवन की सीमाएं मंजूर नहीं थीं। वह एक अलग पहचान बनाना चाहती थी।
हरियाणवी म्यूजिक एलबम में काम
इसी ख्वाहिश ने उसे मॉडलिंग और अभिनय की दुनिया की ओर खींचा। उसने हरियाणवी म्यूजिक एलबम में काम करना शुरू किया। उसके चार गाने यूट्यूब पर प्रसारित भी हुए जिससे उसे एक पहचान मिलनी शुरू हो गई थी। अपने सपनों को पंख देने के लिए उसने एक बड़ा फैसला लिया। लगभग चार साल पहले वह अपने पति संदीप से अलग हो गई और पानीपत में अपनी बहन नेहा के पास सतकरतार कॉलोनी में किराए के मकान में रहने लगी। यह उसके जीवन का एक नया अध्याय था स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता की ओर एक कदम।
दोस्ती प्यार में बदल गई
लेकिन इसी दौर में उसकी जिंदगी में एक और शख्स की एंट्री हुई। करनाल में एक होटल में नौकरी करने के दौरान उसकी मुलाकात होटल के मालिक इसराना निवासी सुनील से हुई। सुनील के साथ उसकी दोस्ती जल्द ही प्यार में बदल गई। पिछले चार सालों से वे एक रिश्ते में थे। एक तरफ शीतल अपने करियर पर ध्यान केंद्रित कर रही थी तो दूसरी तरफ उसका यह रिश्ता धीरे-धीरे एक ऐसे मोड़ पर पहुंच रहा था जिसकी उसने शायद कभी कल्पना भी नहीं की थी।
सुनील – प्यार, जुनून या जानलेवा हक?
30 वर्षीय सुनील, जो पहली नजर में एक सफल होटल मालिक और शीतल का प्रेमी लगता था उसके चरित्र का एक दूसरा स्याह पहलू भी था। शीतल की बहन नेहा के अनुसार, यह रिश्ता प्यार का कम और सुनील के जुनून और हक जताने का ज्यादा बन गया था।
नेहा ने पुलिस को दिए अपने बयान में आरोप लगाया कि सुनील लगातार शीतल पर शादी करने का दबाव बना रहा था। शीतल जो पहले से शादीशुदा थी और शायद अपने करियर पर ध्यान देना चाहती थी इस शादी के लिए तैयार नहीं थी। उसका इनकार सुनील को नागवार गुजरता था। नेहा के मुताबिक, सुनील अक्सर शीतल के साथ मारपीट करता था जिससे वह मानसिक रूप से बेहद परेशान रहने लगी थी।
टॉक्सिक रिलेशनशिप
यह एक क्लासिक टॉक्सिक रिलेशनशिप का मामला बनता जा रहा था, जहां एक साथी दूसरे को अपनी संपत्ति समझने लगता है। शीतल की आजादी, उसका करियर और उसका लोगों से मिलना-जुलना सुनील के लिए जलन का कारण बन गया था। वह उसे पूरी तरह से नियंत्रित करना चाहता था। जो रिश्ता कभी शीतल के लिए एक सहारा रहा होगा वही अब उसके लिए एक पिंजरा बन चुका था एक ऐसा पिंजरा जिससे बाहर निकलने की कोशिश की कीमत उसे अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।
वो आखिरी रात – शूटिंग, झगड़ा और एक खौफनाक वीडियो कॉल
शनिवार का दिन शीतल के लिए एक सामान्य कामकाजी दिन की तरह शुरू हुआ था। वह अपनी टीम के साथ शूटिंग के लिए अहर गांव गई हुई थी। काम में उसे देर हो गई। लेकिन उसे नहीं पता था कि उसका प्रेमी सुनील, जो उसके हर कदम पर नजर रख रहा था, वहां भी अपनी कार लेकर पहुंच जाएगा। सुनील के वहां पहुंचते ही दोनों के बीच झगड़ा शुरू हो गया। बहस किस बात पर हुई, यह शायद अब सुनील के कबूलनामे से ही पता चलेगा, लेकिन अनुमान है कि यह शादी के उसी दबाव और शीतल के देर रात तक काम करने को लेकर हुआ होगा। यह झगड़ा कार में भी जारी रहा।
आखिरी वीडियो कॉल
रात के लगभग एक बजे जब शीतल की बहन नेहा घर पर उसके लौटने का इंतजार कर रही थी उसके फोन पर शीतल की एक वीडियो कॉल आई। वह मंजर नेहा के जेहन में हमेशा के लिए कैद हो गया। फोन पर शीतल घबराई हुई थी रो रही थी। उसने अपनी बहन को बताया, सुनील मेरे साथ मारपीट कर रहा है। उसने हिम्मत दिखाते हुए कहा, मैं कुछ देर में घर पहुंच जाऊंगी। लेकिन यह उसकी आखिरी आवाज थी जो नेहा ने सुनी। इसके तुरंत बाद, शीतल का मोबाइल बंद हो गया।
इस वीडियो कॉल और उसके बाद फोन बंद हो जाने के बीच के कुछ पलों में ही सुनील ने अपने रिश्ते, इंसानियत और कानून की हर सीमा को लांघ दिया। उसने कार में ही चाकू से शीतल पर हमला कर दिया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट इस बात की गवाही देती है कि शीतल ने अपनी जान बचाने के लिए कड़ा संघर्ष किया होगा। उसने चाकू के वार को रोकने के लिए अपना हाथ आगे किया होगा, जिससे उसकी कलाई पर एक गहरा घाव बन गया। लेकिन वह खुद को बचा नहीं सकी। सुनील ने बेरहमी से उसका गला काट दिया, जिससे अधिक खून बहने के कारण उसकी मौत हो गई।
शातिर साजिश – हत्या को हादसा बनाने का ड्रामा
शीतल की हत्या करने के बाद सुनील घबराया नहीं बल्कि उसने एक ऐसी ठंडे दिमाग वाली साजिश रची जो किसी भी अपराधी के शातिरपन को दर्शाती है।
शव के साथ एक घंटा: उसने शीतल के शव को कार की सीट पर ही रहने दिया और लगभग एक घंटे तक शहर की सड़कों पर कार घुमाता रहा। यह समय उसने शायद यह सोचने में बिताया कि शव को कैसे ठिकाने लगाया जाए और खुद को कैसे बचाया जाए।
नहर में डुबाई कार: मध्यरात्रि के बाद लगभग एक बजे वह कार को जाटल रोड के पास दिल्ली पैरलल नहर के किनारे ले गया। उसने कार को सीधे नहर में उतार दिया ताकि यह एक भयानक सड़क हादसे जैसा लगे जिसमें शीतल की डूबने से मौत हो गई हो और वह खुद भी एक पीड़ित हो।
बेहोशी का नाटक: सुनील तैरना जानता था। कार नहर में गिरने के बाद वह आसानी से बाहर निकल आया। लेकिन जैसे ही उसने देखा कि आसपास के लोग इकट्ठा हो गए हैं उसने बेहोश होने का नाटक किया। लोगों ने उसे एक पीड़ित समझकर नहर से बाहर निकाला।
खुद को घायल किया: अपनी कहानी को और विश्वसनीय बनाने के लिए उसने खुद ही चाकू से अपनी बाजू पर भी वार कर लिया था, ताकि ऐसा लगे कि हादसे में उसे भी चोटें आई हैं।
अस्पताल में भर्ती: लोगों ने उसे तुरंत पास के एक निजी अस्पताल में भर्ती करा दिया। वह एक हत्यारा था, जो अब एक पीड़ित का मुखौटा पहने अस्पताल के बिस्तर पर लेटा हुआ था, और उसे यकीन था कि उसने पुलिस को सफलतापूर्वक गुमराह कर दिया है।
जांच का चक्रव्यूह – टैटू से कातिल तक का सफर
रविवार सुबह: शीतल जब घर नहीं लौटी तो घबराई हुई नेहा ने उरलाना पुलिस चौकी में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने जांच शुरू की लेकिन उनके पास शीतल के फोन की आखिरी लोकेशन के अलावा कोई सुराग नहीं था।
रविवार रात: कहानी में एक नया मोड़ आया। पानीपत से करीब 60 किलोमीटर दूर सोनीपत के खांडा व झरोठी गांव के बीच एनसीआर वाटर चैनल में एक महिला का शव बहता हुआ मिला। शव की हालत खराब थी और तत्काल पहचान संभव नहीं थी।
सोमवार – पहचान की गुत्थी: सोनीपत पुलिस ने आसपास के जिलों की पुलिस से संपर्क साधा। जब उन्होंने पानीपत पुलिस को शव के विवरण के बारे में बताया तो चीजें जुड़ने लगीं। शव की पहचान में सबसे बड़ी भूमिका उसके शरीर पर बने टैटू ने निभाई।
हाथ पर ‘विशाल’ का नाम: शीतल के हाथ पर अंग्रेजी में ‘विशाल’ नाम का टैटू था। नेहा ने पुलिस को बताया कि शीतल पहले विशाल नाम के लड़के से शादी करना चाहती थी, लेकिन किन्हीं कारणों से हो नहीं सकी थी। इस टैटू ने अतीत की एक कहानी को उजागर किया और पहचान की दिशा में एक महत्वपूर्ण सुराग दिया।
छाती और अन्य टैटू: छाती और शरीर के अन्य हिस्सों पर बने टैटू का मिलान जब नेहा द्वारा दिए गए विवरण से किया गया तो यह पुष्टि हो गई कि यह शव लापता हरियाणवी मॉडल शीतल चौधरी का ही है।
सोमवार शाम – गिरफ्तारी: जैसे ही शव की पहचान हुई पानीपत सीआइए वन पुलिस का शक तुरंत उस व्यक्ति पर गया जो उसी रात नहर में गिरी कार से “बचाया” गया था – यानी सुनील। उसकी हादसे की कहानी और शीतल की गुमशुदगी का समय एक ही था। पुलिस टीम सीधे अस्पताल पहुंची और सोमवार देर शाम सुनील को वहीं से गिरफ्तार कर लिया। शुरू में आनाकानी करने के बाद जब पुलिस ने सबूतों का जाल बिछाया तो वह टूट गया और उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया।
निष्कर्ष और अनसुलझे सवाल
सोमवार देर शाम खानपुर कलां स्थित बीपीएस महिला मेडिकल कॉलेज में दो डॉक्टरों के बोर्ड ने शीतल के शव का पोस्टमार्टम किया। रिपोर्ट ने हत्या की क्रूरता की पुष्टि की। उसी शाम खन्ना रोड स्थित शिवपुरी में उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया। एक सपना, एक जिंदगी, एक पहचान, सब कुछ चिता की आग में विलीन हो गया।
पानीपत के सीआइए वन प्रभारी संदीप सिंह ने बताया कि आरोपित सुनील को मंगलवार को न्यायालय में पेश कर रिमांड पर लिया जाएगा। रिमांड के दौरान पुलिस उससे हत्या में इस्तेमाल किया गया चाकू बरामद करने और हत्या की सटीक जगह की निशानदेही कराने की कोशिश करेगी, ताकि मामले में एक मजबूत चार्जशीट तैयार की जा सके।
शीतल चौधरी की कहानी अपने पीछे कई गंभीर सवाल छोड़ जाती है:
-क्या शोहरत की दुनिया में रिश्ते निभाना ज्यादा मुश्किल हो जाता है?
- एक रिश्ते में खतरे के संकेतों को कैसे पहचाना जाए? शीतल की बहन को पता था कि सुनील हिंसक है, लेकिन शायद किसी ने यह नहीं सोचा था कि उसकी हिंसा इस हद तक बढ़ जाएगी।
- यह घटना समाज में महिलाओं की स्थिति पर भी एक टिप्पणी है। एक महिला जो स्वतंत्र रूप से जीने का फैसला करती है, अपने करियर को आगे बढ़ाती है, उसे अक्सर अपने ही करीबी लोगों से विरोध और हिंसा का सामना क्यों करना पड़ता है?
- सोशल मीडिया पर दिखने वाली परफेक्ट जिंदगी और असल जिंदगी के भयावह सच में कितना बड़ा अंतर हो सकता है?
- शीतल की कहानी एक चेतावनी है। यह हमें याद दिलाती है कि प्यार और जुनून के बीच एक पतली रेखा होती है, और जब वह रेखा पार हो जाती है, तो परिणाम विनाशकारी होते हैं।
- न्याय का तकाजा है कि सुनील को उसके किए की सख्त से सख्त सजा मिले, लेकिन सच्चा न्याय तब होगा जब समाज में ऐसी मानसिकता खत्म हो, जो महिलाओं को अपनी जागीर समझती है और उनके ‘ना’ को स्वीकार नहीं कर पाती।