कैथल में भ्रष्टाचार का मामला: नगर पालिका पार्षद जितेन्द्र कुमार पर 50 लाख रिश्वत मांगने का आरोप, ACB ने दर्ज किया केस

पार्षद जितेंद्र।

नरेंद्र सहारण, कैथल: Kaithal News: हरियाणा के कैथल जिले में एक गंभीर भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है, जिसने स्थानीय राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था को हिलाकर रख दिया है। नगर पालिका चीका के वार्ड-14 से चुने गए पार्षद जितेन्द्र कुमार पर आरोप लगा है कि उन्होंने वोट के बदले रिश्वत की मांग की है। एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने इस मामले में तुरंत कार्रवाई करते हुए उनके खिलाफ मामला दर्ज किया है। यह घटना उस समय प्रकाश में आई जब शिकायतकर्ता विजय कुमार ने ACB को शिकायत दर्ज कराई और अपनी रिकॉर्डिंग प्रस्तुत की जिसमें पार्षदों द्वारा रिश्वत की मांग के सबूत मौजूद हैं। यह केस सिर्फ एक रिश्वतखोरी का मामला नहीं है, बल्कि राजनीति के सिद्धांत, नैतिकता और जवाबदेही के खतरों का प्रतीक भी बन चुका है।

रिश्वत की मांग का खुलासा

कैथल के चीका इलाके के रहने वाले विजय कुमार ने नगर पालिका अध्यक्ष रेखा रानी और उपाध्यक्ष पूजा शर्मा का विश्वस्त सहयोगी होने का दावा किया है। उन्होंने बताया कि कुछ समय से नगर पालिका में अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की चर्चा चल रही थी, और इसी संदर्भ में पार्षदों के बीच बातचीत हुई।

शिकायत में आरोप

विजय कुमार ने कहा कि 3 जुलाई को होने वाली वोटिंग से पहले पार्षद जितेन्द्र कुमार (वार्ड-14) एवं दो अन्य पार्षदों ने उससे संपर्क किया। उन्होंने बताया कि वे अविश्वास प्रस्ताव में समर्थन नहीं देंगे, यदि उन्हें 50 लाख रुपये की रिश्वत दी जाए। उन्होंने बातचीत के दौरान 6 लाख रुपये की नकद अग्रिम राशि की भी मांग की, और बाकी राशि बाद में देने का प्रस्ताव रखा। विजय कुमार ने यह सब अपने मोबाइल फोन से रिकॉर्ड किया और अब वह इन सबूतों को ACB को सौंप चुका है।

रिकॉर्डिंग का महत्व

 

विजय ने बताया कि उसने पार्षदों से हुई बातचीत की वीडियो और ऑडियो रिकॉर्डिंग अपने पास रखी है, जिसे उसने ACB को सौंप दिया है। इससे जांच में स्पष्ट और विश्वसनीय साक्ष्य मिल रहे हैं कि पार्षदों ने भ्रष्टाचार की मंशा से रिश्वत की मांग की थी। इस रिकॉर्डिंग के आधार पर ही अब एफआईआर दर्ज की गई है।

ACB की जांच और कार्रवाई

 

अंबाला में स्थित ACB के निरीक्षक महेंद्र कुमार ने बताया कि जांच के दौरान उन्हें पता चला कि पार्षद जितेन्द्र कुमार ने भ्रष्टाचार की मंशा से 50 लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी। इस आधार पर उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। फिलहाल, पार्षद जितेन्द्र कुमार का मोबाइल स्विच ऑफ होने के कारण उनसे संपर्क नहीं हो पाया है, लेकिन पुलिस ने उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है।

अन्य संभावित कार्रवाई

 

जांच में यदि कोई और पार्षद या संबंधित लोग भी भ्रष्टाचार में संलिप्त पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। विशेष रूप से उन 12 पार्षदों पर भी शिकंजा कसा जाएगा जिन्होंने डीसी कैथल को पत्र लिखकर अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन किया था। इन सभी पार्षदों का संबंध इस पूरे घटनाक्रम से जुड़ा हुआ है, और कई की भूमिका की भी जांच चल रही है।

आगे की प्रक्रिया

 

जांच अधिकारी ने कहा कि अभी मामले की जांच जारी है और यदि किसी और का नाम इस मामले में सामने आता है तो उस पर भी सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही इस मामले में राजनीतिक दबाव और नैतिक जिम्मेदारी की भी चर्चा हो रही है, क्योंकि यह घटना सार्वजनिक विश्वास और जवाबदेही के लिए चिंताजनक है।

राजनीति और नैतिकता का सवाल

यह मामला केवल रिश्वतखोरी का ही नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र और राजनीति में नैतिकता और जवाबदेही का भी प्रश्न है। भ्रष्टाचार के इस रूप ने जनता के विश्वास को ठेस पहुंचाई है, और इससे राजनीतिक व्यवस्था की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा हो रहा है। यदि पार्षद जैसे चुने हुए प्रतिनिधि ही इस तरह के कृत्यों में लिप्त पाए जाते हैं, तो जनता का शासन व्यवस्था पर से भरोसा उठ सकता है, जो लोकतंत्र के लिए खतरा है।

जनता का आक्रोश

क्षेत्रीय जनता भी इस घटना से आक्रोशित है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि हमारे प्रतिनिधि ही इस तरह के भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, तो जनता का विश्वास कैसे कायम रहेगा? लोग अब इस मामले की निष्पक्ष जांच और कड़ी सजा की मांग कर रहे हैं, ताकि न केवल आरोपी पार्षद को सजा मिले, बल्कि ऐसी घटनाओं को दोहराने से रोका जा सके।

राजनीतिक दलों और अधिकारियों की प्रतिक्रिया

यह मामला राजनीतिक दलों और स्थानीय अधिकारियों के बीच भी चर्चा का विषय बन गया है। कुछ दल इस घटना को राजनीति से प्रेरित बताते हुए आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, वहीं कुछ इसे व्यक्तिगत रंजिश का परिणाम मान रहे हैं। हालांकि, इस पूरे मामले में निष्पक्ष और तेज़ जांच की आवश्यकता पर सभी का सहमति है।

सरकार की भूमिका

 

हरियाणा सरकार और संबंधित विभागों ने कहा है कि भ्रष्टाचार को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस मामले की जांच तेजी से पूरी कर दोषियों को सजा दिलाने का आश्वासन दिया गया है। सरकार का यह भी कहना है कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाएगी और जनता का भरोसा बरकरार रखने के लिए हर संभव प्रयास करेगी।

भविष्य की आशंकाएं और समाधान

इस तरह के भ्रष्टाचार के मामलों को रोकने के लिए जरूरी है कि:

सख्त कानून व्यवस्था: भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और समयबद्ध न्याय हो।
पारदर्शिता: चुनाव और निर्णय प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाए।
सार्वजनिक जागरूकता: जनता को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक किया जाए।
तकनीक का इस्तेमाल: रिकॉर्डिंग, वीडियो, और डिजिटल साक्ष्यों का अधिक प्रयोग किया जाए ताकि भ्रष्टाचार के सबूत आसानी से मिल सकें।

जनता का विश्वास तोड़ा

 

कैथल का यह भ्रष्टाचार का मामला एक बड़ा उदाहरण है कि कैसे राजनीति में नैतिक मूल्यों का ह्रास हो रहा है। भ्रष्टाचार के इस रूप ने न केवल जनता का विश्वास तोड़ा है बल्कि लोकतंत्र की नींव को भी हिला दिया है। यह आवश्यक है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो, दोषियों को सजा मिले और भविष्य में इस तरह के कृत्यों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं। जनता को भी चाहिए कि वह जागरूक होकर अपने प्रतिनिधियों का चयन करे और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाए ताकि स्वच्छ और जवाबदेह सरकार का निर्माण हो सके।

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