Haryana News: यमुनानगर में तिहरे हत्याकांड समेत कई मामलों में वांछित शूटर मुठभेड़ में ढेर,दो लाख का ईनामी था बदमाश

रोमिल वोहरा!

नरेंद्र सहारण, नई दिल्ली : Haryana News:  मंगलवार तड़के हरियाणा-दिल्ली सीमा पर किशनगढ़ में हुई एक भीषण मुठभेड़ में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और हरियाणा एसटीएफ ने मिलकर खूंखार बदमाश रोमिल वोहरा को मार गिराया, जिसके साथ कई गंभीर आपराधिक मामलों का एक अध्याय समाप्त हो गया। कुरुक्षेत्र में झज्जर के शराब कारोबारी शांतनु की हत्या, यमुनानगर में दो शराब कारोबारियों और परिवार के एक सदस्य के तिहरे हत्याकांड सहित अन्य जघन्य अपराधों में वांछित रोमिल हरियाणा और दिल्ली में आतंक का पर्याय बन चुका था। उस पर हरियाणा पुलिस की ओर से 3.10 लाख रुपये का इनाम घोषित था और उसके खिलाफ दोनों राज्यों में 10 से अधिक संगीन आपराधिक मामले दर्ज थे। यह मुठभेड़ न केवल पुलिस के लिए एक बड़ी सफलता है, बल्कि यह संगठित अपराध के खिलाफ चल रही लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर भी है।

आतंक का अध्याय: रोमिल वोहरा की आपराधिक दुनिया

रोमिल वोहरा मूल रूप से यमुनानगर का निवासी था और वह कुख्यात गैंगस्टर वीरेंद्र प्रताप उर्फ काला राणा और सूर्य प्रताप उर्फ नोनी राणा गिरोह का एक सक्रिय शूटर था। यह गिरोह पिछले दो महीनों से हरियाणा में शराब कारोबारियों को लगातार धमका कर रंगदारी वसूलने में सक्रिय था जिससे पूरे राज्य में भय का माहौल बना हुआ था। रोमिल की आपराधिक गतिविधियां केवल रंगदारी तक सीमित नहीं थीं। वह हत्या, हत्या के प्रयास, जबरन वसूली और अवैध हथियारों के व्यापार सहित कई अन्य जघन्य अपराधों में भी शामिल था। उसकी क्रूरता और बेखौफ अंदाज ने उसे पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बना दिया था।

कुरुक्षेत्र में झज्जर के शराब कारोबारी शांतनु की हत्या, यमुनानगर में दो शराब कारोबारियों और परिवार के एक सदस्य की तिहरी हत्या जैसी घटनाओं ने रोमिल और उसके गिरोह की क्रूरता को उजागर किया था। इन वारदातों ने न केवल पीड़ितों के परिवारों को तबाह किया बल्कि स्थानीय समुदायों में भी दहशत फैला दी थी। रोमिल की गिरफ्तारी या खात्मा पुलिस के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता बन गया था, ताकि संगठित अपराध के इस नेटवर्क को तोड़ा जा सके और आम जनता में विश्वास बहाल किया जा सके।

निर्णायक मुठभेड़: किशनगढ़ का रणक्षेत्र

 

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की काउंटर इंटेलिजेंस यूनिट और हरियाणा एसटीएफ ने रोमिल वोहरा को पकड़ने के लिए एक सुनियोजित अभियान चलाया था। कई दिनों की खुफिया जानकारी और तकनीकी निगरानी के बाद, मंगलवार तड़के पुलिस टीम को रोमिल के दिल्ली की तरफ आने की सूचना मिली। सुबह करीब चार बजे हरियाणा सीमा के पास किशनगढ़ में पुलिस टीम ने बिना नंबर की बाइक से आ रहे रोमिल को घेरने की कोशिश की।

लेकिन रोमिल ने आत्मसमर्पण करने के बजाय पुलिस टीम पर गोलियां चलाना शुरू कर दिया। स्पेशल सेल के अतिरिक्त आयुक्त प्रमोद सिंह कुशवाहा के अनुसार, “मुठभेड़ में दोनों तरफ से करीब 10 राउंड फायरिंग हुई।” पुलिस ने भी जवाबी कार्रवाई की, और इस गोलीबारी में रोमिल घायल हो गया। उसे तुरंत पास के अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। उसके पास से एक पिस्टल भी बरामद हुई है, जो उसकी आपराधिक मंशा को स्पष्ट करती है।

इस मुठभेड़ में पुलिस को भी नुकसान उठाना पड़ा। स्पेशल सेल के सब इंस्पेक्टर प्रवीण यादव और हरियाणा एसटीएफ के सब इंस्पेक्टर रोहण गोली लगने से घायल हो गए। हालांकि, उनकी चोटें गंभीर नहीं हैं और वे खतरे से बाहर हैं। इस घटना ने एक बार फिर पुलिसकर्मियों के साहस और कर्तव्यनिष्ठा को उजागर किया, जो अपराध से लड़ने में अपनी जान जोखिम में डालते हैं।

पुलिस का दृष्टिकोण: व्यवस्थित और रणनीतिक कार्रवाई

 

यह मुठभेड़ दिल्ली पुलिस और हरियाणा एसटीएफ के बीच बेहतरीन समन्वय और एक मजबूत खुफिया नेटवर्क का परिणाम थी। प्रमोद सिंह कुशवाहा ने बताया कि पुलिस टीम को रोमिल के दिल्ली की तरफ आने की विशेष जानकारी मिली थी। “दिल्ली की सीमा में घुसते ही पुलिस टीम ने उसे घेर लिया। यह दर्शाता है कि पुलिस ने रोमिल की हर हरकत पर पैनी नजर रखी हुई थी।

खुफिया जानकारी इकट्ठा करना, संदिग्धों की निगरानी करना और फिर सटीक समय पर कार्रवाई करना, ये सभी संगठित अपराध से निपटने के लिए पुलिस की रणनीति के महत्वपूर्ण पहलू हैं। रोमिल जैसे कुख्यात अपराधियों का नेटवर्क अक्सर राज्य की सीमाओं से परे फैला होता है, और इसलिए विभिन्न राज्यों की पुलिस एजेंसियों के बीच सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है। इस मामले में, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और हरियाणा एसटीएफ का संयुक्त अभियान एक सफल मॉडल प्रस्तुत करता है।

पुलिस अधिकारियों का मानना है कि रोमिल के खात्मे से काला राणा-नोनी राणा गिरोह को एक बड़ा झटका लगेगा। यह गिरोह पिछले कुछ समय से हरियाणा में शराब कारोबारियों को निशाना बनाकर आतंक फैला रहा था। रोमिल इस गिरोह का एक महत्वपूर्ण ‘शूटर’ था, जिसका मतलब है कि वह गिरोह के हिंसक अभियानों को अंजाम देने में सक्रिय था। उसके मारे जाने से गिरोह की संगठनात्मक क्षमता और उसकी अपराध करने की क्षमता पर सीधा असर पड़ेगा।

सार्वजनिक सुरक्षा और न्याय का संदेश

रोमिल वोहरा का मारा जाना केवल एक अपराधी का खात्मा नहीं है, बल्कि यह समाज में एक मजबूत संदेश भी भेजता है। यह संदेश देता है कि कानून-व्यवस्था को चुनौती देने वाले और निर्दोष नागरिकों की जान लेने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। यह उन लोगों के लिए भी एक चेतावनी है जो संगठित अपराध में शामिल हैं या उसका समर्थन करते हैं।

पुलिस का यह कदम उन पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए भी न्याय का एक रूप है, जिन्होंने रोमिल और उसके गिरोह की क्रूरता का सामना किया था। झज्जर के शराब कारोबारी शांतनु और यमुनानगर के तिहरे हत्याकांड के पीड़ितों के लिए, यह घटना शायद पूरी तरह से दर्द को कम न कर सके, लेकिन यह निश्चित रूप से उन्हें यह आश्वासन देगी कि उनके प्रियजनों के हत्यारों को उनके किए का फल मिल रहा है।

इसके अलावा, यह मुठभेड़ जनता में पुलिस के प्रति विश्वास को भी बहाल करती है। जब पुलिस प्रभावी ढंग से कार्य करती है और खतरनाक अपराधियों को पकड़ने या निष्क्रिय करने में सफल होती है, तो जनता का कानून-व्यवस्था में विश्वास बढ़ता है। यह उन्हें सुरक्षित महसूस कराता है और उन्हें यह विश्वास दिलाता है कि उनकी सुरक्षा के लिए अधिकारी सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।

अवैध संपत्तियों पर शिकंजा: अपराध की जड़ों पर प्रहार

रोमिल वोहरा के मारे जाने के बाद नगर निगम ने उसकी अवैध संपत्ति पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। यमुनानगर में नगर निगम ने मंगलवार को रोमिल के अशोक विहार कॉलोनी में बने घर पर नोटिस चस्पा कर दिया। निगम के डीटीपी मनोज कुमार का कहना है कि रोमिल के पिता कपिल वोहरा ने यह मकान बिना नक्शा पास कराए और अवैध कब्जा करके बनाया है। यह कार्रवाई नगर निगम आयुक्त के निर्देशों पर की गई है।

इस नोटिस में रोमिल वोहरा के स्वजनों को 15 दिन के भीतर अवैध कब्जा हटाने के आदेश दिए गए हैं। यदि निर्धारित समय अवधि में कब्जा नहीं हटाया जाता है, तो नगर निगम उनके घर को ध्वस्त कर देगा। यह कदम एक महत्वपूर्ण रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत अपराधियों की वित्तीय रीढ़ तोड़ने और उनकी अवैध रूप से अर्जित संपत्ति पर कार्रवाई करने पर जोर दिया जा रहा है।

यह पहला मौका नहीं है जब नगर निगम ने ऐसी कार्रवाई की है। इससे पहले भी जून 2024 में नगर निगम कुख्यात काला कबाड़ी की अवैध संपत्ति को ध्वस्त कर चुका है। यह दर्शाता है कि अधिकारी अब केवल अपराधियों को पकड़ने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे उनकी अवैध संपत्तियों को निशाना बनाकर उनके आपराधिक साम्राज्य को नष्ट करने का भी प्रयास कर रहे हैं। इस तरह की कार्रवाई से यह संदेश भी जाता है कि अपराध से अर्जित धन और संपत्ति को सुरक्षित नहीं रखा जा सकता है, और अंततः कानून अपना काम करेगा।

यह रणनीति न केवल अपराधियों को आर्थिक रूप से कमजोर करती है, बल्कि यह भविष्य में अपराध करने से भी उन्हें हतोत्साहित करती है। जब अपराधी यह देखते हैं कि उनकी संपत्ति और परिवार पर भी कार्रवाई हो सकती है, तो यह उन्हें अपराध के मार्ग पर आगे बढ़ने से रोकने में मदद करता है। यह एक बहु-आयामी दृष्टिकोण है जो संगठित अपराध को कमजोर करने के लिए आवश्यक है।

भविष्य की चुनौतियां और आगे की राह

हालांकि रोमिल वोहरा का खात्मा एक बड़ी सफलता है, लेकिन यह संगठित अपराध के खिलाफ लड़ाई का अंत नहीं है। काला राणा-नोनी राणा गिरोह अभी भी सक्रिय है, और पुलिस को उनके बाकी सदस्यों को पकड़ने और उनके नेटवर्क को पूरी तरह से नष्ट करने के लिए लगातार प्रयास करने होंगे। रंगदारी और शराब कारोबारियों को धमकी देने का सिलसिला अभी भी एक चुनौती बना हुआ है।

पुलिस को अपनी खुफिया जानकारी इकट्ठा करने की क्षमताओं को और मजबूत करना होगा, विशेष रूप से ऐसे मामलों में जहां अपराधी विभिन्न राज्यों में अपनी गतिविधियों को अंजाम देते हैं। इंटर-स्टेट कोऑर्डिनेशन और डेटा शेयरिंग को और अधिक प्रभावी बनाना महत्वपूर्ण होगा।

साथ ही, कानून प्रवर्तन एजेंसियों को आधुनिक तकनीक और फोरेंसिक क्षमताओं में निवेश करना जारी रखना चाहिए ताकि वे तेजी से जटिल होते आपराधिक मामलों को सुलझा सकें। साइबर अपराध और ऑनलाइन रंगदारी जैसे नए आपराधिक तरीकों का मुकाबला करने के लिए भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होगी।

समाज को भी इस लड़ाई में अपनी भूमिका निभानी होगी। नागरिकों को किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी पुलिस को देनी चाहिए और अपराध के खिलाफ एकजुट होकर खड़ा होना चाहिए। अपराधियों को समाज से बहिष्कृत करना और उनकी गतिविधियों को किसी भी तरह का समर्थन न देना, इस युद्ध में एक महत्वपूर्ण योगदान होगा।

आतंक पर लगाम और कानून का राज

रोमिल वोहरा के मुठभेड़ में मारे जाने की घटना हरियाणा और दिल्ली में संगठित अपराध के खिलाफ चल रही लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह न केवल एक खूंखार अपराधी का अंत है बल्कि यह उन सभी के लिए एक स्पष्ट संदेश भी है जो कानून-व्यवस्था को चुनौती देने की हिम्मत करते हैं। पुलिस की त्वरित और प्रभावी कार्रवाई ने यह दिखाया है कि अपराधियों को कहीं भी छिपाने की जगह नहीं मिलेगी।

पुलिस का यह कदम उन अनगिनत पीड़ितों के लिए न्याय का प्रतीक है, जिन्होंने रोमिल और उसके गिरोह की क्रूरता का खामियाजा भुगता था। साथ ही, अवैध संपत्तियों पर नगर निगम की कार्रवाई यह दर्शाती है कि अपराध से अर्जित धन भी सुरक्षित नहीं रहेगा और अपराधियों को उनकी गैरकानूनी गतिविधियों के लिए पूरी कीमत चुकानी पड़ेगी।

यह मुठभेड़ पुलिस और जनता के बीच विश्वास को मजबूत करती है और यह सुनिश्चित करती है कि कानून का राज कायम रहे। हालांकि अभी भी बहुत काम बाकी है। रोमिल वोहरा का खात्मा संगठित अपराध के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण जीत है जो एक सुरक्षित और भयमुक्त समाज की दिशा में एक कदम है। यह घटना भविष्य की कार्रवाइयों के लिए एक मानक स्थापित करती है और अपराधियों को यह चेतावनी देती है कि कानून की पहुंच लंबी है, और कोई भी बच नहीं पाएगा।

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