Refresher Course: दौलत राम कॉलेज में आयोजित विज्ञान के लिए अनुसंधान पद्धति पर पुनश्चर्या पाठ्यक्रम

नई दिल्‍ली, बीएनएम न्‍यूज। देश में उच्च शिक्षा का क्षेत्र लगातार विकसित हो रहा है और इसमें गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान का महत्व अनिवार्य हो गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 ने नई दिशाएं निर्धारित की हैं, जिनका उद्देश्य शिक्षण और अनुसंधान के क्षेत्र में वैज्ञानिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देना है। इस संदर्भ में उच्च शिक्षण संस्थानों के शिक्षकों का निरंतर प्रशिक्षण और जागरूकता आवश्यक है ताकि वे नई नीतियों के अनुरूप अपने कार्यों को विकसित कर सकें। इसी क्रम में दौलत राम कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय ने एक महत्वपूर्ण पहल की, जिसने पूरे देश के विज्ञान संकायों के प्राध्यापकों के लिए अनुसंधान पद्धति पर दो सप्ताह का राष्ट्रीय स्तर का पुनश्चर्या कोर्स आयोजित किया।

आयोजन का उद्देश्य और पृष्ठभूमि

 

दौलत राम कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय, यूजीसी (यूनेस्को विश्वविद्यालय कर्मचारी परिषद) और शिक्षा मंत्रालय के एक केंद्र, मदन मोहन मालवीय शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र, एसजीटीबी खालसा कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में यह विशेष कोर्स आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य उच्च शिक्षण संस्थानों के विज्ञान संकायों के प्राध्यापकों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप नई अनुसंधान पद्धतियों, नवाचारों और वैज्ञानिक उत्कृष्टता के लिए आवश्यक कौशल से लैस करना था।

यह कोर्स 24 जून, 2025 से शुरू होकर 7 जुलाई, 2025 तक चला, जिसमें भारत के विभिन्न राज्यों से आए शिक्षकों और शोधकर्ताओं ने भाग लिया। इस अवधि में प्रतिभागियों को अनुसंधान के आधुनिक तरीकों, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय शोध अवसरों, सरकारी अनुदान, प्रोजेक्ट प्रबंधन, वैज्ञानिक लेखन, नैतिकता, डेटा विश्लेषण और नवीनतम तकनीकों के बारे में विस्तृत प्रशिक्षण प्रदान किया गया।

मुख्य अतिथि और उद्घाटन सत्र

कोर्स का उद्घाटन समारोह अत्यंत गरिमामय और प्रेरणादायक था। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. बलराम पाणि, डीन ऑफ कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय उपस्थित थे। प्रो. पाणि ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा, “आज का समय तेज़ी से बदल रहा है। हमें अपनी शिक्षण और अनुसंधान की पद्धतियों को अपडेट करने की आवश्यकता है ताकि हम नई शिक्षा नीति के उद्देश्यों को प्राप्त कर सकें। इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम अत्यंत आवश्यक हैं, क्योंकि वे शिक्षकों को नवीनतम अनुसंधान विधियों से परिचित कराते हैं।”

उन्होंने एनईपी 2022 के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए शिक्षकों की भूमिका पर बल देते हुए कहा, “शिक्षकों का कार्य केवल ज्ञान देना नहीं बल्कि शोध और नवाचार को बढ़ावा देना है। यदि हम अपने छात्रों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण, शोध के नैतिक मानकों और नवीन तकनीकों से लैस करेंगे तभी हम उत्कृष्टता प्राप्त कर सकते हैं।”

प्रो. रत्नाबाली, डीन अकादमिक मामले, दिल्ली विश्वविद्यालय ने कहा, “यूजीसी और एनईपी 2022 की योजनाओं के अनुरूप अनुसंधान के उद्देश्यों को सही ढंग से समझना और लागू करना आवश्यक है। इससे न केवल हमारा शोध कौशल मजबूत होगा, बल्कि इससे देश की वैज्ञानिक उन्नति भी सुनिश्चित होगी।”

वक्ताओं और विशेषज्ञों का विशिष्ट योगदान

कोर्स में कई विशेषज्ञ वक्ताओं ने अपने अनुभव और ज्ञान से प्रतिभागियों को समृद्ध किया। DRDO के पूर्व निदेशक डॉ. शिव कुमार ने संकायों और छात्रों के लिए विभिन्न शोध अवसरों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “शोध का क्षेत्र अपार है, और यदि हम सही दिशा में प्रयास करें, तो हम वैश्विक स्तर पर भारत का प्रतिष्ठित स्थान स्थापित कर सकते हैं।”

डॉ. गुरमोहिंदर सिंह, प्रिंसिपल, एसजीटीबी खालसा कॉलेज, और प्रो. एके बख्शी ने वर्चुअल माध्यम से इस कोर्स का समर्थन किया। दोनों ने प्रतिभागियों को प्रेरित किया कि वे इस रिफ्रेशर कोर्स से प्राप्त ज्ञान का सदुपयोग कर अपनी शिक्षण पद्धतियों में सुधार करें और अनुसंधान के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करें। उन्होंने कहा कि यह कोर्स एक अद्भुत अवसर है, जिससे शिक्षकों को अपने व्यक्तिगत और पेशेवर विकास का मार्ग प्रशस्त करने का मौका मिलेगा।

दौलत राम कॉलेज की प्रिंसिपल प्रो. सविता राय ने इस कार्यक्रम की संकल्पना और पहल का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य शिक्षकों को तैयार करना है ताकि वे नए सिरे से अपने कार्यक्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल कर सकें। यह कोर्स इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”

कार्यक्रम की संरचना और विषयवस्तु

 

यह दो सप्ताह का कोर्स अत्यंत व्यापक और विविधतापूर्ण था। इसमें निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया गया:

अनुसंधान के मौलिक सिद्धांत और उपकरण: शोध डिजाइन, डेटा संग्रह, विश्लेषण तकनीकें, नैतिकता।
वर्तमान तकनीकों का प्रयोग: आर्टिफिशयल इंटलीजेंस, मशीन लर्निंग, बिग डेटा एनालिटिक्स, साइंटिफिक पेपर लेखन।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय शोध अवसर: सरकारी अनुदान, फंडिंग एजेंसियां, इंटरनेशनल कोलैबोरेशन्स।
शिक्षक और शोधकर्ता के रूप में भूमिका: नैतिक जिम्मेदारी, शोध नैतिकता, नैतिक मानकों का पालन।
साक्षात्कार और प्रोजेक्ट प्रबंधन: अनुसंधान प्रस्ताव, बजट प्रबंधन, रिपोर्ट लेखन।
आगामी योजनाएं और नीतिगत बदलाव: एनईपी 2020 के तहत नई दिशाएँ, शिक्षण और अनुसंधान में सुधार।
प्रशिक्षण सत्रों में इंटरैक्टिव वर्कशॉप, केस स्टडी, समूह चर्चा, और प्रैक्टिकल असाइनमेंट का समावेश था, ताकि प्रतिभागी अपने ज्ञान को व्यवहारिक रूप में भी लागू कर सकें।

प्रतिभागियों का अनुभव और प्रतिक्रिया

 

कार्यक्रम में भाग लेने वाले शिक्षकों और शोधकर्ताओं ने इसे अत्यंत उपयोगी और प्रेरणादायक बताया। अनेक प्रतिभागियों ने कहा कि इस कोर्स ने उन्हें नई दृष्टि दी है और वे अब अपने शोध प्रोजेक्ट्स को अधिक व्यवस्थित और वैज्ञानिक आधार पर विकसित कर सकते हैं। एक प्रतिभागी ने कहा, “मुझे इस कोर्स में नवीनतम अनुसंधान तकनीकों का ज्ञान मिला, जो मेरे शिक्षण और शोध कार्य के लिए अत्यंत लाभकारी हैं। मैं अब अपने छात्रों को भी इन नई विधियों से परिचित कराना चाहूंगा।” एक अन्य प्रतिभागी ने कहा, “यह कोर्स हमें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करता है। इससे हम अपने शोध कार्यों को अधिक प्रभावी बना सकते हैं।”

समर्थन और भागीदारी: आयोजक टीम की भूमिका

 

दौलत राम कॉलेज की आयोजन टीम जिसमें डॉ. कामना विमल (समन्वयक), डॉ. सोनिका शर्मा (संयोजक), डॉ. मधु (सह-संयोजक), प्रो. दर्शन और डॉ. ज्योति सिंह (सह-समन्वयक) शामिल हैं, ने इस कार्यक्रम को सफलता पूर्वक संचालित किया। इन सभी ने मिलकर सुनिश्चित किया कि सभी सत्र समय पर हों, प्रतिभागियों की समस्याओं का समाधान हो और कार्यक्रम की गुणवत्ता उच्च स्तरीय बनी रहे। प्रो. सविता रॉय ने इस पहल को शुरू करने का श्रेय दिया और कहा, “हमारा लक्ष्य है कि हमारे शिक्षक और शोधकर्ता राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें।”

भविष्य की दिशा में कदम

यह कोर्स केवल एक प्रशिक्षण कार्यक्रम नहीं बल्कि उच्च शिक्षा में बदलाव का एक प्रतीक है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि भारत अपनी शिक्षा और अनुसंधान में नई ऊंचाइयों को छूने के लिए प्रतिबद्ध है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य है कि शिक्षकों को नवीनतम ज्ञान, कौशल और नैतिक मूल्यों से लैस किया जाए। दौलत राम कॉलेज का यह प्रयास इसी दिशा में एक मील का पत्थर है। इस तरह के आयोजनों से न केवल शिक्षकों का आत्मविश्वास बढ़ेगा बल्कि देश का वैज्ञानिक और शैक्षिक परिदृश्य भी मजबूत होगा।

एक समर्पित प्रयास

यह सफलतापूर्वक संपन्न कोर्स उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक नई दिशा दिखाने वाला कदम है। इसमें भाग लेने वाले शिक्षकों ने अपने ज्ञान में वृद्धि की है और अपने कार्यक्षेत्र में बदलाव लाने के लिए प्रेरित हैं। आशा है कि ऐसा ही प्रयास भविष्य में भी जारी रहेगा, ताकि भारत अपने युवा वैज्ञानिकों और शिक्षकों के साथ विश्व स्तर पर अपनी पहचान मजबूत कर सके।

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