JDMC One day national seminar: भाषा संवाद से संस्कृति का महासागर है : प्रो. स्वाति पाल

नई दिल्‍ली, बीएनएस न्‍यूज। जानकी देवी मेमोरियल महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय की राजभाषा कार्यान्वयन समिति ने केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के संयुक्त तत्वावधान में “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 : भाषायी प्रावधान” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का सफल आयोजन किया। इस महत्वपूर्ण संगोष्ठी का उद्देश्य नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अंतर्गत भारतीय भाषाओं के संवर्धन, शिक्षा में उनकी भूमिका और भाषायी प्रावधानों की व्यावहारिकता पर गहन विमर्श करना था। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों से जुड़े विद्वानों, प्राध्यापकों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया, जिससे यह विमर्श मंच अत्यंत समृद्ध और बहुआयामी बन गया।

उद्घाटन सत्र: भारतीय भाषाओं की शक्ति और NEP 2020 संगोष्ठी का भव्य शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ।

प्राचार्य का स्वागत उद्बोधन

 

महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो. स्वाति पाल ने अतिथियों का स्वागत करते हुए भाषा को ‘संवाद से संस्कृति का महासागर’ बताया। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सराहना करते हुए कहा कि यह नीति भारतीय भाषाओं को शिक्षा और प्रशासन दोनों स्तरों पर सुदृढ़ करने की जो दिशा दे रही है, वह हमारे लिए गौरव का विषय है।

प्रो. पाल ने मातृभाषा में शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि इससे छात्रों की अभिव्यक्ति क्षमता बढ़ेगी। ज्ञान का गहन आत्मसात संभव होगा। यह छात्रों में आत्मविश्वास का विकास करेगी। ह उन्हें अपनी जड़ों से जुड़ने का अवसर प्रदान करेगी। उन्होंने इस नीति को भारतीय भाषाओं को शिक्षा की मुख्यधारा में स्थापित करने का सशक्त प्रयास बताया।

उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता और बीज वक्तव्य

अध्यक्षता: केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा की क्षेत्रीय निदेशक प्रो. अपर्णा सारस्वत ने उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता की।

बीज वक्ता: इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय से प्रो. नरेंद्र मिश्र ने संगोष्ठी के विषय पर बीज वक्तव्य दिया। उन्होंने NEP 2020 के अंतर्गत तीन-भाषा सूत्र, मातृभाषा आधारित शिक्षा और अनुवाद की आवश्यकता जैसे मूलभूत भाषायी प्रावधानों पर विस्तार से प्रकाश डाला।

प्रथम सत्र: भाषायी विविधता और संरक्षण

 

प्रथम अकादमिक सत्र का केंद्रीय विषय भाषायी विविधता को भारत की शक्ति के रूप में स्थापित करना और उसके संरक्षण पर चर्चा करना रहा। 

भाषायी विविधता भारत की शक्ति

 

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से प्रो. बंदना झा प्रथम सत्र की मुख्य अतिथि थीं। उन्होंने जोर देकर कहा कि भाषायी विविधता भारत की शक्ति है। उनके अनुसार, शिक्षा नीति 2020 में भाषाओं के संरक्षण व संवर्धन के लिए किए गए प्रावधान भारत को एक नई दिशा देंगे।

विशिष्ट अतिथि: समझ और रचनात्मकता में वृद्धि

 

दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रो. भारती गोरे ने विशिष्ट अतिथि के रूप में कहा कि मातृभाषा में शिक्षा से छात्रों की समझ और रचनात्मकता में वृद्धि होती है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि शिक्षा नीति के इस महत्वपूर्ण प्रावधान को ज़मीनी स्तर पर लागू करना अत्यंत आवश्यक है।

द्वितीय सत्र: तकनीक, शोध और सांस्कृतिक पहचान

द्वितीय सत्र में भारतीय भाषाओं को तकनीक, शोध और राष्ट्रीय पहचान के संदर्भ में देखने पर बल दिया गया।

तकनीक और शोध में भारतीय भाषाएं

 

केंद्रीय हिंदी निदेशालय, दिल्ली के निदेशक प्रो. हितेंद्र मिश्र ने द्वितीय सत्र की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि हिंदी सहित सभी भारतीय भाषाएं तकनीक और शोध के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रही हैं। अतः उन्होंने इन भाषाओं को शिक्षा और प्रशासन दोनों क्षेत्रों में व्यापक रूप से प्रयोग में लाने की आवश्यकता पर बल दिया।

सांस्कृतिक पहचान का आधार

 

पीजीडीएवी कॉलेज, दिल्ली के आचार्य प्रो. अवनिजेश अवस्थी इस सत्र के मुख्य अतिथि थे। उन्होंने भारतीय भाषाओं की भूमिका का विस्तार करते हुए कहा कि ये भाषाएं केवल संचार का माध्यम नहीं हैं, बल्कि सांस्कृतिक पहचान और आत्मनिर्भरता का आधार भी हैं।

अनुवाद और पाठ्यपुस्तक की गुणवत्ता

 

नागपुर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर प्रो. मनोज पाण्डेय ने विशिष्ट अतिथि के रूप में कहा कि शिक्षा नीति का प्रभाव तभी दीर्घकालिक होगा जब अनुवाद, शोध, और पाठ्यपुस्तक निर्माण की गुणवत्ता पर गंभीरता से ध्यान दिया जाए। उन्होंने कार्यान्वयन के स्तर पर उच्च गुणवत्ता सुनिश्चित करने पर ज़ोर दिया।

समापन सत्र

 

समापन सत्र का उद्देश्य पूरे दिन के विचार-विमर्श का सार प्रस्तुत करना और भविष्य की दिशा तय करना था।

अध्यक्षता एवं निष्कर्ष प्रस्तुति

 

इस सत्र की अध्यक्षता महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. स्वाति पाल ने की। इसमें पूरे दिवस हुई गहन चर्चाओं और महत्वपूर्ण निष्कर्षों को प्रस्तुत किया गया, जिससे संगोष्ठी के विमर्श का सार सभी के सामने आ सका।

सफलता का आधार

 

इस राष्ट्रीय संगोष्ठी की सबसे बड़ी विशेषता राजभाषा कार्यान्वयन समिति के सभी सदस्यों की पूर्ण उपस्थिति और सक्रिय भागीदारी रही। समिति के सदस्यों ने संगोष्ठी के आयोजन, संचालन, तथा विचार-विमर्श में अहम योगदान दिया और इसकी सफलता सुनिश्चित की।

आभार व्यक्त और प्रमाण पत्र वितरण

 

सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। समिति की संयोजक एवं महाविद्यालय के शिक्षकों ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया।

संगोष्ठी का महत्व: नए आयामों का विस्तार

 

यह राष्ट्रीय संगोष्ठी न केवल हिंदी भाषा के संवर्धन और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के भाषायी प्रावधानों की उपयोगिता पर विमर्श का मंच बनी, बल्कि इसने हिंदी के अकादमिक और व्यावहारिक विस्तार के नए आयाम भी खोले। विद्वानों के सारगर्भित विचारों और समिति की सक्रिय उपस्थिति के कारण यह आयोजन अत्यंत सफल एवं स्मरणीय बन गया। संगोष्ठी संयोजक डॉ. दीनदयाल, प्रो. संध्या गर्ग, प्रो. निशा मलिक, डॉ. राहुल प्रसाद, डॉ. विवेक शर्मा, डॉ. मीनाक्षी, डॉ. सीमा शर्मा आदि ने इस सफल आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

 

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