Loksabha Election 2024: क्या नए वर्ष में बंगाल के लिए तृणमूल INDIA गठबंधन में निभा पाएगी अहम भूमिका?

कोलकाता, BNM News: Bengal Politics: बंगाल में घोटालों व भ्रष्टाचार के विभिन्न मामलों में घिरे होने के बावजूद तृणमूल कांग्रेस का दबदबा कायम है। तृणमूल को हिंसात्मक घटनाओं के बीच हुए पंचायत चुनाव में भारी जीत मिली और अब उसका अगला लक्ष्य 2024 के लोकसभा से पहले विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए में महत्वपूर्ण भूमिका हासिल करना है।

भाजपा बंगाल के ग्रामीण क्षेत्रों मे पकड़ मजबूत करने की कवायद में जुटी

दूसरी ओर 2023 में बंगाल में भाजपा को कई नेताओं के पार्टी छोड़ने और चुनावी झटकों का सामना करना पड़ा। पार्टी के प्रदेश नेतृत्व ने ममता बनर्जी की सरकार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर उसे घेरने की कोशिश की। तृणमूल 2024 के लोकसभा चुनाव में अपने राजनीतिक प्रभुत्व को बरकरार रखना चाहती है इसीलिए संसदीय चुनाव से पहले एक मजबूत विपक्ष बनाने में सक्रिय योगदान दे रही है। इसके समानांतर भाजपा ग्रामीण इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत करने की कवायद में जुटी हुई है।

तृणमूल ने किया अपनी पकड़ को मजबूत करने का प्रयास

 

हाल के वर्षों में भाजपा के हाथों मुख्य विपक्षी दल का दर्जा खोने वाली माकपा के नेतृत्व वाले वाममोर्चा ने उपचुनावों और पंचायत चुनाव में अपनी स्थिति में थोड़ा सुधार किया है। अल्पसंख्यक बहुल सागरदिघी सीट कांग्रेस-वाममोर्चा गठबंधन से हारने, विभिन्न राज्यों के चुनावों में खराब प्रदर्शन के कारण तृणमूल ने राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खो दिया। सागरदिघी सीट पर हार के बाद तृणमूल ने जमीनी स्तर पर अपनी पकड़ को मजबूत करने का प्रयास किया, जिसके तहत पार्टी में महत्वपूर्ण संगठनात्मक पुनर्गठन किया गया और उसने कांग्रेस के एक विधायक को भी अपने खेमे में शामिल कर लिया।

तृणमूल ने जनसंपर्क अभियान ‘तृणमूल ए नबज्वार’ शुरू किया

 

कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो’ यात्रा के मुकाबले में तृणमूल ने जनसंपर्क अभियान ‘तृणमूल ए नबज्वार’ (तृणमूल में नई लहर) शुरू किया। तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी के भतीजे और पार्टी में दूसरे स्थान पर माने जाने वाले अभिषेक बनर्जी ने इसका नेतृत्व किया। तृणमूल ने अपने अभियान की बदौलत राज्य के पंचायत चुनावों में जीत हासिल की। इसने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जिला परिषद की 928 में से 880 सीट जीतीं, जबकि भाजपा ने 31, कांग्रेस-वाममोर्चा गठबंधन ने 15 और शेष दो सीटें अन्य ने जीतीं। केंद्र द्वारा मनरेगा योजना का बकाया रोका जाना राज्य में एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दा बन गया। अभिषेक बनर्जी ने तृणमूल विधायकों, सांसदों, मंत्रियों और मनरेगा कार्यकर्ताओं के साथ नई दिल्ली में जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया। कोलकाता में राजभवन के बाहर पांच दिनों तक धरना भी दिया गया।

घोटालों का रहा बोलबाला

 

 

तृणमूल नेतृत्व को भर्ती व राशन घोटाले में सीबीआइ और ईडी की जांच के साथ-साथ कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। राशन वितरण घोटाले में मंत्री एवं तृणमूल के वरिष्ठ नेता ज्योतिप्रिय मल्लिक की गिरफ्तारी ने पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दीं। नववर्ष में प्रवेश करने के साथ ही तृणमूल का लक्ष्य 2019 में भाजपा के खाते में गईं लोकसभा सीटों को फिर से हासिल करना, राज्य में अपनी स्थिति को मजबूत करना और अगर लोकसभा चुनाव में भाजपा बहुमत हासिल नहीं कर पाती है तो विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना है। राज्य की 42 लोकसभा सीटों में से 35 पर जीत का लक्ष्य रखते हुए भाजपा ने तृणमूल को घेरने और चुनौती देने का नया प्रयास शुरू किया है। वर्ष 2021 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद से भाजपा में संगठनात्मक सुधार की कोशिश के बीच आंतरिक विद्रोह और आपसी बयानबाजी हावी रही। धुपगुड़ी विधानसभा उपचुनाव भाजपा तृणमूल से हार गई, लेकिन दूसरा स्थान बरकरार रखा।

 

 

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