हाई कोर्ट का फैसला- पति को छोड़ किया दूसरा विवाह, पत्नी स्थायी गुजारा भत्ते की हकदार नहीं

नरेंद्र सहारण, चंडीगढ़ । पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab And Haryana Highcourt) ने तलाक के आदेश को चुनौती देने वाली पत्नी की याचिका को खारिज करते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि पति को छोड़कर दूसरा विवाह करने वाली पत्नी स्थायी गुजारा भत्ता पाने की हकदार नहीं है।

2005 में दिया था हलफनामा, स्वीकारी थी दूसरे विवाह की बात

 

रेखा और संतोष का विवाह 2003 में अंबाला में हुआ था और आरोप के अनुसार रेखा 31 मई 2004 को घर छोड़कर चली गई थी। इसके बाद संतोष को पता चला कि रेखा ने दूसरा विवाह कर लिया है। इसके बाद रेखा ने 2005 में हलफनामा दिया, जिसमें उसने स्वीकार किया कि उसने दूसरा विवाह कर लिया है और वह अपने सभी गहने व अन्य सामान प्राप्त कर चुकी है। इसके बाद संतोष ने तलाक से जुड़ा केस कुरुक्षेत्र की अदालत में दाखिल किया। इस केस में कुरुक्षेत्र की अदालत से नोटिस जारी होने के बाद रेखा हाजिर हुई और दूसरा विवाह नकार दिया। इसके साथ ही आरोप लगाया कि जबरन उससे यह समझौता लिखवाया गया था। अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद संतोष के हक में फैसला सुनाते हुए तलाक को मंजूरी दे दी थी।

2008 में सुनाए गए तलाक के फैसले के खिलाफ पत्नी की याचिका खारिज

 

इसी फैसले को पत्नी ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने कहा कि हलफनामा जबरन लिया गया था। यह दलील याची ने 2007 में तलाक का केस दाखिल होने की बाद दी थी, जबकि 2005 से लेकर तलाक का केस दाखिल होने तक उसने पुलिस को कोई शिकायत नहीं दी। हाई कोर्ट ने तलाक के फैसले को सही करार देते हुए याचिका को खारिज कर दिया। हाई कोर्ट ने कहा कि तलाक के चलते स्थायी गुजारा भत्ता याची के पक्ष में जारी नहीं किया जा सकता, क्योंकि पत्नी ने ही पति को छोड़ा था और दूसरा विवाह किया था। ऐसे में वह गुजारे भत्ते की पात्र नहीं है।

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