अब खून के लिए नहीं देने पड़ेंगे अनाप-शनाप दाम, देशभर में जारी किए निर्देश

नई दिल्ली, एजेंसी: जरूरतमंदों को अब खून के लिए अनाप-शनाप दाम नहीं देने पड़ेंगे। अस्पताल और ब्लड बैंक अब रक्त के लिए केवल प्रोसेसिंग फीस ले सकेंगे। भारतीय औषधि महानियंत्रक (DCGI) ने प्रोसेसिंग फीस और रक्त आपूर्ति को छोड़कर अन्य सभी तरह के शुल्क वसूलने पर प्रतिबंध लगा दिया है। शीर्ष दवा नियामक ने खून के लिए अधिक दाम वसूलने की प्रथा पर रोक लगाने के मकसद से ये अहम कदम उठाया है। इस संबंध में देशभर में निर्देश जारी कर दिए गए हैं। इसमें कहा गया है कि खून बेचने के लिए नहीं होता है।

DCGI ने प्रोसेसिंग फीस को छोड़कर अन्य सभी तरह के शुल्क किए खत्म

 

सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के औषधि नियंत्रक कम लाइसेंसिंग प्राधिकारियों को भेजे गए संदेश में डीसीजीआइ ने कहा कि खून के बदले मनमाने दाम नहीं वसूले जा सकते। पत्र में साफ कहा गया है कि ‘रक्त बिक्री के लिए नहीं है।’ इसमें कहा गया है कि प्रोसेसिंग फीस और आपूर्ति शुल्क के अलावा अन्य सभी तरह के शुल्क खत्म करने का फैसला किया गया है।

खून संबंधी अवयवों के लिए केवल प्रोसेसिंग शुल्क लगाया जा सकता है

 

औषधि परामर्श समिति की बीते वर्ष 26 सितंबर को हुई 62वीं बैठक का उल्लेख करते हुए डीसीजीआइ ने 26 दिसंबर को लिखे पत्र में कहा गया है कि खून और खून संबंधी अवयवों के लिए केवल प्रोसेसिंग शुल्क लगाया जा सकता है। संशोधित दिशा-निर्देश में कहा गया है कि प्रोसेसिंग शुल्क 250 रुपये से लेकर 1550 रुपये तक हो सकता है। साथ ही डीसीजीआइ ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश के दवा नियंत्रकों से कहा है कि वे अपने अधिकार क्षेत्र के तहत सभी रक्त केंद्रों और अस्पतालों को संशोधित दिशा-निर्देशों का पालन करने का निर्देश दें। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार रक्तदान न करने की स्थिति में निजी अस्पतालों द्वारा प्रति यूनिट रक्त की कीमत 3,000 रुपये से 8,000 रुपये के बीच वसूली जाती है। यही नहीं, रक्त की कमी होने पर या फिर दुर्लभ ब्लड ग्रुपों के मामलों में तो यह शुल्क और भी अधिक हो जाता है।

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