Aditya-L1: भारत ने फिर रचा इतिहास, सूर्य को ‘हेलो’ बोलेगा आदित्य एल-1, खुलेंगे कई महत्वपूर्ण रहस्य

नई दिल्ली, एजेंसी: ISRO Successful Mission Aditya l1: भारत ने अंतरिक्ष अभियान में फिर एक बार डंका बजा दिया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की ओर से सोलर मिशन के तहत भेजे गए आदित्य-L1 शनिवार शाम करीब चार बजे के आसपास गंतव्य स्थान एल-1 प्वाइंट पर पहुंच गया है। इसरो ने इसे कमांड देकर L1 पॉइंट की हेलो ऑर्बिट पर पहुंचा दिया है। अब धरती से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर से आदित्य सैटेलाइट सूरज की स्टडी अगले 2 साल तक करता रहेगा। 2 सितंबर को आंध्र के श्रीहरिकोटा से सूर्य की ओर शुरू हुई 15 लाख किमी की यह यात्रा मुकाम पर पहुंच गई है। पीएम मोदी ने इस बड़ी कामयाबी के लिए देश को बधाई दी है।

जैसा अनुमान लगाया गया था वैसा ही हुआ

आदित्य-L1 के हेलो ऑर्बिट में प्रवेश करने पर ISRO प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि यह हमारे लिए बहुत संतुष्टिदायक है क्योंकि यह एक लंबी यात्रा का अंत है। लिफ्ट-ऑफ से लेकर अब तक 126 दिन बाद यह अंतिम बिंदु पर पहुंच गया है। इसलिए अंतिम बिंदु तक पहुंचना हमेशा एक चिंताजनक क्षण होता है, लेकिन हम इसके बारे में बहुत आश्वस्त थे। तो जैसा अनुमान लगाया गया था वैसा ही हुआ।

क्यों अहम है L1 और इसकी हेलो ऑर्बिट?

 

L1 यानी लैगरेंज पॉइंट-1 उन पांच पोजिशन में से एक है, जहां सूर्य और पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्तियां एक-दूसरे को संतुलित रखती हैं। इन पांचों स्थितियों में L1 सबसे स्थिर जगह है। आदित्य इस L1 पॉइंट पर पहुंच चुका है। अब बस इसे हेलो ऑर्बिट में पहुंचाना था, जो LI की ऐसी कक्षा है, जहां सेटलाइट और स्पेसक्राफ्ट स्थिर रहते हुए काम कर सकते हैं। अगर यह यान इस ऑर्बिट में नहीं पहुंचा तो यह लगातार सूर्य की ओर यात्रा करता रहेगा और फिर उसमें समा जाएगा। हेलो ऑर्बिट से आदित्य विभिन्न कोणों से सूर्य का अध्ययन कर सकेगा। यहां सूर्य ग्रहण की बाधा भी नहीं पड़ेगी। यह ऑर्बिट L1 पॉइंट के इर्द-गिर्द उसी तरह चक्कर लगाती है, जैसे धरती सूर्य के चारों ओर घूमती है।

मिशन में क्या करेगा आदित्य L1?

 

अब तक इसरो धरती पर लगे टेलिस्कोप से सूर्य का अध्ययन करता था, लेकिन इससे सूर्य के वातावरण का गहराई से पता नहीं चलता था। इसकी बाहरी परत कोरोना इतनी गर्म क्यों है और इसका तापमान कितना है, इसका पता नहीं चलता है। लेकिन आदित्य के साथ गए उपकरण इस पर रोशनी डालेंगे, इसके अलावा अन्य जानकारी भी मिल सकेगी।

वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण

 

पीएम नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा कि भारत ने एक और उपलब्धि हासिल की। भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य-एल1 अपने गंतव्य तक पहुंची। यह सबसे जटिल और पेचीदा अंतरिक्ष अभियानों को साकार करने में वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है। हम मानवता के लाभ के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे।’ उधर, केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा, ‘ भारत के लिए यह साल शानदार रहा। पीएम मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में टीम ISRO द्वारा लिखी गई एक और सफलता की कहानी। सूर्य-पृथ्वी कनेक्शन के रहस्यों की खोज के लिए आदित्य एल1 अपनी अंतिम कक्षा में पहुंच गया है।’

 

 

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