महिला द्वारा अपने पति के साथ शारीरिक संबंध बनाने से इन्कार करना ‘मानसिक क्रूरता’: हाई कोर्ट

भोपाल, BNM News: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने हाल ही में एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि एक महिला द्वारा अपने पति के साथ शारीरिक संबंध बनाने से इन्कार करना “मानसिक क्रूरता” है और यह उसके लिए (पति) हिंदू विवाह अधिनियम के तहत तलाक लेने का वैध आधार है। सुदीप्तो साहा और मौमिता साहा से जुड़े एक मामले में कोर्ट ने यह आदेश 3 जनवरी को पारित किया। जस्टिस शील नागू और न्यायमूर्ति विनय सराफ की खंडपीठ ने फैमिली कोर्ट के 2014 के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसने सुदीप्तो को तलाक देने से इनकार कर दिया था। हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि शादी पूरी ना होना और शारीरिक अंतरंगता से इनकार करना मानसिक क्रूरता के बराबर है।

महिला ने पति से कहा था, उसे उसके प्रेमी को सौंप दें

सुदीप्तो द्वारा दायर याचिका के अनुसार, उन्होंने मौमिता से तलाक की मांग की थी। मौमिता ने 12 जुलाई 2006 को शादी के दिन से लेकर 28 जुलाई 2006 को पति के भारत से बाहर चले जाने तक लगातार संबंध बनाने से इनकार कर शादी को संपन्न नहीं होने दिया था। सुदीप्तो के मुताबिक, मौमिता ने उससे कहा कि उसके माता-पिता ने उसे शादी करने के लिए मजबूर किया था और उसने सुदीप्तो के साथ शारीरिक संबंध बनाने से इनकार कर दिया क्योंकि उसका पहले से ही एक प्रेमी था। याचिका के अनुसार, पश्चिम बंगाल में अपनी शादी के बाद, उसने सुदीप्तो से कहा था कि वह उसे उसके प्रेमी को सौंप दे। भोपाल में अपने घर पहुंचने के बाद भी उसने उनकी शादी से इनकार कर दिया। सुदीप्तो ने बताया कि मौमिता ने सितंबर 2006 में भोपाल में अपना वैवाहिक घर छोड़ दिया और फिर कभी वापस नहीं लौटीं।

पत्नी ने ‘झूठी शिकायत’ दर्ज कर ऐंठ लिए 10 लाख

उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी पूर्व पत्नी ने 2013 में उनके और उनके माता-पिता के खिलाफ “झूठी शिकायत” भी दर्ज कराई थी और कहा था कि दहेज के मामलों को लेकर उन्होंने उसे परेशान किया और प्रताड़ित किया। इसके अलावा, मौमिता ने आरोप लगाया कि सुदीप्तो और उसके परिवार ने साड़ी से उसका गला घोंटने की कोशिश की और उसे आग लगाने की कोशिश की। इसकी वजह से सुदीप्तो के माता-पिता ने लगभग 23 दिन हिरासत में बिताए। सुदीप्तो ने बताया कि उमौमिता ने समझौते के तौर पर उसके पिता (सुदीप्तो के) से 10,00,000 रुपये प्राप्त किए और भोपाल के एक पुलिस स्टेशन में एक और रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद तलाक की याचिका पर हस्ताक्षर किए।

पैसे लेने के बाद भी तलाक देने से किया था इनकार

हालाँकि, बाद में पत्नी ने सक्षम अदालत के समक्ष हस्ताक्षरित याचिका प्रस्तुत करने से इनकार कर दिया। इसके बाद सुदीप्तो ने तलाक के लिए भोपाल कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन कोर्ट ने यह कहते हुए उनके अनुरोध को खारिज कर दिया कि तलाक के लिए कोई आधार नहीं है। इसके बाद उन्होंने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, जिसने अंततः उनके तलाक को मंजूरी दे दी।

भोपाल हाई कोर्ट ने मंजूर किया तलाक

याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा कि समझौते के तौर पर उसे 10,00,000 रुपये प्राप्त देने पड़े। भोपाल के एक पुलिस स्टेशन में एक और रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद तलाक की कोर्ट में अर्जी दी। इसके बाद पति ने तलाक के लिए भोपाल कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन कोर्ट ने यह कहते हुए उनके अनुरोध को खारिज कर दिया कि तलाक के लिए कोई आधार नहीं है। इसके बाद उन्होंने मध्य प्रदेश हईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। अब कोर्ट ने तलाक के फैसले पर मुहर लगा दी।

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