समाज में अनुशासन और देशभक्ति को बढ़ाना चाहता है संघ: मोहन भागवत
नरेंद्र सहारण, जींद : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि देश का युवा अनुशासित होकर ही देश को आगे बढ़ाने की दिशा में कार्य करेगा। पूर्व सैनिकों से कहा कि वह सेना में रहे हैं, उनके अंदर अनुशासन व देशभक्ति का भाव पहले ही भरा हुआ है। संघ भी समाज में अनुशासन व देशभक्ति के भाव को बढ़ाना चाहता है। वह जींद प्रवास के दूसरे दिन शनिवार को पूर्व सैनिक स्वयंसेवकों की बैठक में बोल रहे थे। उन्होंने प्रदेश भर से आए सभी पूर्व सैनिक स्वयंसेवकों का आह्वान किया कि गांव नगर बस्ती में चलने वाली शाखाओं से जुड़कर आने वाले समय में हरियाणा में शाखाओं को सुदूर गांव, गली तक ले जाने का कार्य करें। पूर्व सैनिक संघ को हरियाणा में संघ के कार्य को बढ़ाने में योगदान दें। इस अवसर पर उनके साथ क्षेत्र संघचालक सीताराम व्यास व प्रांत संघचालक पवन जिंदल भी मौजूद रहे। बैठक में 125 पूर्व सैनिक स्वयंसेवक मौजूद रहे।
पंच परिवर्तन से बदलेगा समाज
मोहन भागवत ने कहा कि संघ पांच नियमों को लेकर काम कर रहा है। इनमें स्वदेशी, नागरिक कर्तव्य, पर्यावरण, सामाजिक समरसता व कुटुंब प्रबोधन शामिल हैं। इसके तहत स्व का बोध अर्थात स्वदेशी, नागरिक कर्तव्य, पर्यावरण, सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन शामिल हैं। यह पंच परिवर्तन के कार्यों को पहुंचाने के लिए प्रयासरत है। पंच परिवर्तन के कार्यों से ही समाज में बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है। स्व के बोध से नागरिक अपने कर्तव्यों के प्रति सजग होंगे। नागरिक कर्तव्य बोध अथवा कानून के पालन से ही राष्ट्र समृद्ध व उन्नत होगा।
प्राचीन परिवार परंपरा को दें बढ़ावा
सामाजिक समरसता व सद्भाव से ऊंच-नीच और जाति भेद समाप्त होंगे। पर्यावरण से सृष्टि का संरक्षण होगा और कुटुंब प्रबोधन से परिवार बचेंगे। बच्चों में संस्कार बढ़ेंगे व समाज में बढ़ते एकल परिवार के चलन को रोककर भारत की प्राचीन परिवार परंपरा को बढ़ावा मिलेगा। स्वदेशी से राष्ट्र मजबूत होगा। नागरिक कर्तव्य से ही समाज के लोग पर्यावरण के प्रति सजग होंगे। पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाया जा सकेगा। समाज में बढ़ती जात-पात की खाई को पाटकर सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने के लिए समाज के सभी वर्ग आपस में मिलना-बैठना, एक दूसरे के सुख-दुख में हिस्सा लेना अपने स्वभाव में लाएं।