टूट गया ‘INDIA’ गठबंधन? ममता बनर्जी ने बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने का किया ऐलान, जानें- यूपी-बिहार में क्या होगा

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने का एलान किया।

कोलकाता, BNM News: लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) से पहले विपक्षी इंडिया गठबंधन (INDIA Alliance) को पश्चिम बंगाल (West Bengal)में जोर का झटका लगा है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (TMC) की प्रमुख ममता बनर्जी (Mamata Benarjee)ने एकला चलो का नारा दे दिया है। ममता बनर्जी ने ऐलान कर दिया है कि टीएमसी लोकसभा चुनाव में अकेले ही चुनाव मैदान में उतरेगी। ममता के इस ऐलान के साथ ही विपक्षी इंडिया गठबंधन की तस्वीर और भविष्य पर संकट के बादल गहरे हो गए हैं।

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी भले ही आइएनडीआइए गठबंधन का हिस्सा है, मगर वह लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेगी। बुधवार को बर्दवान में प्रशासनिक बैठक में जाने से पहले जब ममता से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने गुस्से में कहा कि उनका बंगाल में कांग्रेस से कोई संबंध नहीं है। हम 42 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेंगे। इतना ही नहीं उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी का नाम दिए बगैर कहा कि वह शख्स हमारे राज्य में आ रहा है, मुझे एक बार भी नहीं बताया गया। ममता राहुल की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ के बारे में बात करना चाहती थीं।

ममता बनर्जी ने कहा कि इन सबको लेकर हमसे किसी भी तरह की कोई चर्चा नहीं की गई। ये पूरी तरह गलत है।  टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी कांग्रेस पर जमकर बरसीं और उन पर राहुल गांधी की कल की प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह कहने का भी कोई असर नजर नहीं आया। राहुल गांधी ने यह कहा था कि ममता बनर्जी और नीतीश कुमार समेत अन्य गठबंधन सहयोगियों के प्रमुख नेताओं को भी बुलाया जाएगा। ममता बनर्जी ने दो टूक कहा कि हमने पहले ही कह रखा है कि कांग्रेस 300 सीटों पर चुनाव लड़े और क्षेत्रीय दलों को अपने क्षेत्र में भाजपा से मुकाबला करने दिया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि क्षेत्रीय दल एक साथ रहेंगे लेकिन साथ ही यह भी स्पष्ट किया कि अगर वह हस्तक्षेप करेंगे तो हमें फिर से विचार करना होगा। उन्होंने गठबंधन का नेतृत्व कांग्रेस के करने को लेकर भी सवाल उठाए।

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ममता ने एक दिन पहले ही कांग्रेस को दी थी नसीहत

गौरतलब है कि बंगाल सीएम ने एक दिन पहले ही कांग्रेस को नसीहत दी थी। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस लोकसभा की 300 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है, लेकिन उसे कुछ क्षेत्रों को पूरी तरह क्षेत्रीय दलों के लिए छोड़ देना चाहिए। पर कांग्रेस अपनी मनमानी पर अड़ी है। उन्होंने कहा कि कोई भी भाजपा का उतना सीधा मुकाबला नहीं करता, जितना वह करती हैं। उन्होंने साफ कहा था कि अगर इंडिया गठबंधन की पार्टियां उनका साथ नहीं देतीं तो टीएमसी सभी 42 लोकसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं।

कांग्रेस को दो सीट देने के बयान पर बढ़ा तकरार

गौरतलब है कि टीएमसी ने साफ किया था कि वह कांग्रेस को दो सीटें देगी। कांग्रेस को 2019 के लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल की 42 में से दो सीटों पर जीत हासिल की थी। पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने इसे लेकर तल्ख बयान दिया था। अधीर ने कहा था कि दो सीट तो हमें तब भी जीते थे, अब भी जीत सकते हैं। हमें टीएमसी से कोई भीख नहीं चाहिए। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव को 28 विपक्षी पार्टियां इंडिया गठबंधन के बैनर तले एक मंच पर आई थीं। विपक्ष एकजुट होकर बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को पटखनी देने, चुनावी चुनौती देने का दम भर रहा था लेकिन अब ममता ने बंगाल में विपक्षी गठबंधन को बड़ा झटका दे दिया है।

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बिहार में सीट बंटवारे को लेकर असहमति

दरअसल बिहार में जेडीयू और आरजेडी के बीच ही लोकसभा सीटों के बंटवारे को लेकर सहमति नहीं बन सकी है। उसके बाद कांग्रेस और सीपीआई का भी पेच है। कांग्रेस करीब आधा दर्जन सीटें बिहार में मांग रही है और नीतीश कुमार एवं लालू यादव उसे इतना मौका देने के पक्ष में नहीं हैं। ऐसा ही हाल यूपी का है। पिछले दिनों अखिलेश यादव के साथ कांग्रेस की गठबंधन समिति की मीटिंग हुई थी। कहा जाता है कि इस बैठक में कांग्रेस ने 20 सीटों की मांग रख दी थी। उसने 2009 के फॉर्मूले को रखते हुए मध्य यूपी की ज्यादातर सीटों पर दावा ठोका और अखिलेश से 20 सीटें मांग लीं।

अखिलेश भी ले सकते हैं ममता जैसा निर्णय

उसके इस प्रस्ताव को लेकर समाजवादी पार्टी भी खुश नहीं है। सपा को लगता है कि भाजपा से सीधे मुकाबले में कांग्रेस कमजोर होगी और उसके लिए सीट निकालना संभव नहीं होगा। वह भी ऐसे दौर में जब खुद राहुल गांधी अमेठी की सीट से सांसद नहीं रह गए हैं। कांग्रेस सुल्तानपुर, अमेठी, रायबरेली, शाहजहांपुर, धौरहरा, गाजियाबाद समेत करीब 20 सीटों पर दावा कर रही है। उसका कहना है कि हमने यहां 2004 या 2009 में जीत हासिल की थी। इसलिए ये सीटें हमें दे दी जाएं। वहीं अखिलेश यादव 2017 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए मान रहे हैं कि कांग्रेस को सीटें देना जीत की संभावना को कमजोर करना होगा।

पंजाब में भी संकट, अलगाव पर सहमति बनने की खबर

तब कांग्रेस को सपा ने 100 सीटें दी थीं, लेकिन उसे 7 पर ही जीत मिली थी। इलेक्शन रिजल्ट के बाद इस फैसले को सपा की गलती माना गया था। फिर 2022 में सपा ने बड़े दलों से दूर ही रहने की बात कह कांग्रेस को साथ नहीं लिया था। अब एक बार फिर से टकराव की ही स्थिति है। कुछ ऐसा ही हाल पंजाब का है। यहां आम आदमी पार्टी राज्य की सत्ता में है और उसे लगता है कि लोकसभा इलेक्शन में भी वही सफलता दोहरा लेगी। दूसरी तरफ कांग्रेस मान रही है कि 8 सांसद उसके हैं और उससे कम पर वह नहीं लड़ेगी। सूत्रों के अनुसार यहां मतभेद इतने हैं कि आखिर में कांग्रेस और AAP में अलग लड़ने पर ही सहमति बन गई है।

भाजपा ने किया कटाक्ष

ममता बनर्जी के अकेले चुनाव लड़ने पर भाजपा ने कटाक्ष किया है। भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर कहा कि यह हताशा का संकेत है। तृणमूल कांग्रेस ‘इंडिया’ गठबंधन के सबसे मजबूत साझेदारों में से एक है। मालवीय ने एक पोस्ट में कहा कि ममता बनर्जी का पश्चिम बंगाल में अकेले लड़ने का फैसला हताशा का संकेत है। अपनी राजनीतिक जमीन बचाने में असमर्थ, वह सभी सीटों पर लड़ना चाहती हैं, इस उम्मीद में कि चुनाव के बाद भी वह प्रासंगिक रहेंगी।

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