Bihar Politics: नीतीश कुमार छोड़ेंगे गठबंधन का साथ, बिहार विधानसभा चुनाव भी लोकसभा के साथ होने की अटकलें!
पटना, BNM News। इंडिया गठबंधन से नाराज नीतीश कुमार के एनडीए खेमे में वापसी करने की चर्चाएं तेज हैं। यदि ऐसा होता है तो लोकसभा चुनाव के ठीक पहले यह सबसे बड़ा उलटफेर होगा। इसके बाद नरेंद्र मोदी का बिहार का किला भी मजबूत हो जाएगा। जहां पिछले लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन ने 40 में से 39 सीटों पर जीत हासिल की थी। नीतीश व लालू के साथ आने के बाद बिहार में भाजपा के लिए मुश्किल पैदा होने की संभावना जताई जा रही थीं। माना जा रहा है कि नीतीश कुमार विधानसभा के भंग करने की सिफारिश कर सकते हैं। बिहार में लोकसभा व विधानसभा के चुनाव साथ-साथ हो सकते हैं। नीतीश कुमार ने अपने सभी विधायकों को पटना मं रहने के लिए कहा है। जेडीयू नेता ललन सिंह और विजय चौधरी ने नीतीश कुमार से मुलाकात की।
बिहार के भाजपा नेताओं और शीर्ष नेताओं के बीच चर्चा
केंद्रीय गृह मंत्री एवं भाजपा के बड़े रणनीतिकार अमित शाह व भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने गुरुवार रात बिहार भाजपा के नेताओं के साथ बड़ी बैठक की। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, बिहार के राजनीतिक हालात को लेकर विस्तार से चर्चा की। इस बैठक में भाजपा राष्ट्रीय महासचिव एवं बिहार भाजपा के प्रभारी विनोद तावड़े, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी, पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और पूर्व उपमुख्यमंत्री रेणु देवी सहित बिहार से जुड़े कई नेता अमित शाह के घर हुई बैठक में मौजूद रहे। हालांकि, सम्राट चौधरी ने पत्रकारों से बातचीत में नीतीश कुमार पर किसी प्रकार की चर्चा होने से इंकार किया है।
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क्यों पैदा हुई नाराजगी
लेकिन बड़ा प्रश्न यह है कि नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव के बीच यह उलझनें कैसे पैदा हो गईं? नीतीश कुमार के एक करीबी ने बताया कि बिहार भाजपा के कुछ नेताओं के बयानों से नाराज नीतीश कुमार को पार्टी को लेकर भी चिंता होने लगी थी। इसके बाद ही उन्होंने लालू यादव से संपर्क कर जदयू को राजद के साथ लाने का निर्णय किया था। लेकिन इस समझौते में लालू यादव की तरफ से तेजस्वी को बिहार का अगला मुख्यमंत्री बनाने और नीतीश कुमार को केंद्र की राजनीति में राजद की तरफ से सहयोग देने की बात कही गई थी।
जदयू नेता ने कहा कि जब ममता बनर्जी खरगे को इंडिया गठबंधन का नेता बनाने की बात कह रही थी, तब यदि लालू प्रसाद यादव चाहते तो नीतीश कुमार का नाम संयोजक के तौर पर आगे बढ़ा सकते थे। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। नीतीश कुमार ने माना कि लालू प्रसाद यादव उनसे विश्वासघात कर रहे हैं। इसके बाद ही नीतीश कुमार उस बैठक के बाद तुरंत पटना लौट आए थे।
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