दोपहर में लग रही त्रयोदशी, पूरे दिन करें धनतेरस की खरीदारी, जानें पूजा मुहूर्त
नई दिल्ली, BNM News: धनतेरस हिन्दू धर्म का प्रमुख पर्व है। यह पर्व दिवाली से दो दिन पहले मनाया जाता है। इस साल धनतेरस का पर्व 10 नवंबर को है। धनतेरस के दिन पारंपरिक तौर पर मां लक्ष्मी, कुबेर देव और भगवान धन्वंतरि पूजा की जाती है। धनतेरस के दिन लोग अपने घरों की सफाई करते हैं और अच्छे से सजाते हैं। साथ ही धन और धन-संपत्ति में वृद्धि के लिए इस दिन घरों में विशेष पूजा-आराधना की जाती है। धनतेरस के दिन विशेष रूप से लोग सोने और चांदी के आभूषण, मूर्तियां या अन्य वस्तुओं की खरीददारी करते हैं, क्योंकि इसे धन की वृद्धि के लिए शुभ माना जाता है।
श्री समृद्धि कामना का पर्व धनतेरस कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। त्रयोदशी तिथि 10 नवंबर को दिन में 11:47 बजे लग रही है जो 11 नवंबर को दोपहर 1:14 बजे तक रहेगी। यमराज को दीपदान के लिए सायंकाल व्याप्त त्रयोदशी की प्रधानता है। अत: 10 नवंबर को सायंकाल त्रयोदशी प्राप्त होने से इसी दिन धनतेरस मनाया जाएगा। तिथि विशेष पर आरोग्य के देवता भगवान धनवन्तरि के साथ ही शुभ-लाभ व श्री-समृद्धि कामना से लक्ष्मी-गणेश का पूजन किया जाता है। ज्योतिर्विदों के अनुसार त्रयोदशी तिथि भले दोपहर में लग रही, लेकिन खरीदारी पूरे दिन-रात की जा सकती है।
ज्योतिर्विद के अनुसार प्रदोष काल सूर्यास्त से रात्रि पर्यंत धनतेरस पूजन का शुभ मुहूर्त होगा। धन त्रयोदशी पर गणेश लक्ष्मी की मूर्ति और स्थिर लक्ष्मी क्रय (संग्रह) की परंपरा है। दीपावली पर पूजन के लिए चांदी के बर्तन, स्वर्ण अलंकार या अन्य बर्तनादि का संग्रह भी इसी दिन किया जाता है। परंपरा अनुसार पर्व विशेष पर खरीदारी में स्थिर लग्न का प्राशस्त्य होता है। इसमें प्रातः 7:05 से 9:22 तक वृश्चिक, 1:15 से 2:46 तक कुंभ, 5:51 से 7:47 तक वृष आदि लग्न उत्तम है। वैसे संपूर्ण दिन-रात्रि क्रय कर सकते हैं।
धनवन्तरि जयंती
मान्यता है कि देव-असुरों द्वारा किए गए समुद्र मंथन में निकले 14 प्रमुख रत्नों में धनवन्तरि और लक्ष्मी प्रमुख रहीं। ऐसे में पांच दिवसीय दीप-ज्योति पर्व का प्रथम दिन धनतेरस श्री समृद्धि व आरोग्य कामना को समर्पित है। त्रयोदशी तिथि में आयुर्वेद के जनक धनवन्तरि की जयंती मनाई जाती है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय में ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय पांडेय के अनुसार शास्त्रों में असली धन स्वास्थ्य को कहा गया है। अत: आरोग्य की प्राप्ति के लिए तिथि विशेष पर भगवान धन्वन्तरि का पूजन करना चाहिए।
प्रथम दीपदान
स्कंद पुराण के अनुसार त्रयोदशी तिथि में अपमृत्युनाश के लिए सायंकाल घर से बाहर यमराज के लिए चतुर्वर्ती दीप (चार बत्तियों वाला) जलाने) का विधान है। यह दीप ज्योति पर्व शृंखला का पहला दीपदान होता है।