यूट्यूब पर मोबाइल टावर का विज्ञापन देख फंसा शख्स, हिसार के दो शातिर ठग गिरफ्तार, कैथल पुलिस ने किया धोखाधड़ी का पर्दाफाश

नरेंद्र सहारण, कैथल : Kaithal News: डिजिटल युग जहां एक ओर अपार संभावनाएं लेकर आया है, वहीं दूसरी ओर साइबर अपराधियों के लिए नए रास्ते भी खोल दिए हैं। ऐसा ही एक मामला हरियाणा के कैथल जिले में सामने आया है, जहां मोबाइल टावर लगवाने का झांसा देकर एक व्यक्ति से लाखों रुपये की ठगी कर ली गई। कैथल पुलिस की साइबर क्राइम टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए इस संगठित धोखाधड़ी में शामिल दो मुख्य आरोपियों को हिसार से गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है। आरोपियों ने सीवन निवासी हरीश कुमार से किश्तों में कुल 1 लाख 48 हजार 740 रुपये की ठगी की थी। इस घटना ने एक बार फिर ऑनलाइन विज्ञापनों और अपरिचित कॉल्स पर आंख मूंदकर भरोसा करने के खतरों को उजागर किया है।

यूट्यूब का एक विज्ञापन और सुनहरे सपनों का जाल

 

कहानी शुरू होती है 18 अप्रैल, 2025 को, जब कैथल जिले के सीवन कस्बे के निवासी हरीश कुमार यूट्यूब पर वीडियो देख रहे थे। इसी दौरान उनकी नजर एक आकर्षक विज्ञापन पर पड़ी, जिसमें घर की छत या खाली जमीन पर मोबाइल टावर लगवाकर हर महीने मोटी रकम कमाने का प्रलोभन दिया गया था। विज्ञापन इतना लुभावना था कि हरीश कुमार, जो शायद अपनी आय बढ़ाने या किसी निष्क्रिय संपत्ति का सदुपयोग करने का सोच रहे थे, तुरंत इसके प्रभाव में आ गए। विज्ञापन में दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए उन्होंने बिना ज्यादा सोचे-समझे मोबाइल टावर लगवाने के लिए ऑनलाइन आवेदन कर दिया। उन्हें उम्मीद थी कि यह उनके लिए एक अतिरिक्त और स्थिर आय का जरिया बन सकता है।

धोखाधड़ी की पहली किश्त

ऑनलाइन आवेदन करने के ठीक अगले दिन, 19 अप्रैल को हरीश कुमार के पास एक अनजान नंबर से कॉल आई। फोन करने वाले ने खुद को “राजेश मिश्रा” बताया और कहा कि वह उसी कंपनी से बोल रहा है, जहां हरीश ने मोबाइल टावर के लिए आवेदन किया था। उसने हरीश से आवेदन की पुष्टि की और टावर इंस्टॉलेशन प्रक्रिया के बारे में कुछ बातें कीं। बातचीत संक्षिप्त थी, और शायद जानबूझकर अधूरी छोड़ी गई ताकि हरीश की उत्सुकता बनी रहे। इसके बाद आरोपी ने फोन काट दिया।

दो दिन के अंतराल के बाद, 21 अप्रैल को “राजेश मिश्रा” ने हरीश को दोबारा कॉल किया। इस बार उसकी बातों में अधिक औपचारिकता और प्रक्रिया का हवाला था। उसने हरीश को बताया कि टावर लगाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए उन्हें सबसे पहले 1150 रुपये की रजिस्ट्रेशन फीस जमा करनी होगी। विश्वास जमाने के लिए आरोपी ने हरीश को एक क्यूआर कोड स्कैनर भेजा और कहा कि इस पर भुगतान करते ही उनकी फाइल आगे बढ़ जाएगी। हरीश, जो अब तक “राजेश मिश्रा” की बातों और कंपनी की प्रक्रिया को वास्तविक मान चुके थे, उन्होंने तुरंत स्कैनर पर 1150 रुपये भेज दिए। यह उस बड़ी धोखाधड़ी की पहली किश्त थी, जिसका शिकार वह होने वाले थे।

बढ़ती मांगें और टूटता विश्वास

 

एक बार जब हरीश ने पहली रकम भेज दी, तो आरोपियों का असली खेल शुरू हुआ। इसके बाद उनसे विभिन्न प्रकार के शुल्कों और खर्चों के नाम पर लगातार पैसे मांगे जाने लगे। कभी सिक्योरिटी डिपॉजिट, कभी एनओसी चार्ज, कभी इंश्योरेंस फीस, तो कभी इंस्टॉलेशन टीम के एडवांस खर्चे के नाम पर उनसे पैसे ऐंठे गए। हरीश जो टावर लगने के सपने देख रहे थे, आरोपियों द्वारा बताई गई हर “आधिकारिक” लगने वाली मांग को पूरा करते रहे। इस तरह किश्तों में उनसे कुल 1 लाख 48 हजार 740 रुपये ठग लिए गए।

जब आरोपियों की पैसों की मांग थमने का नाम नहीं ले रही थी और हर बार कोई नया खर्चा बताकर और पैसे मांगे जा रहे थे, तब हरीश कुमार को शक होने लगा। उन्होंने जब हिसाब लगाया और पूरी प्रक्रिया पर गौर किया, तो उन्हें यह समझने में देर नहीं लगी कि वह किसी शातिर धोखाधड़ी का शिकार हो चुके हैं। जिस सुनहरे भविष्य का सपना उन्हें दिखाया गया था, वह एक भयावह जाल साबित हुआ।

साइबर क्राइम थाने में मामला दर्ज और पुलिस की सक्रियता

 

अपने साथ हुई इस ठगी का अहसास होते ही हरीश कुमार ने तुरंत इसकी शिकायत कैथल स्थित साइबर क्राइम पुलिस थाने में दर्ज कराई। उन्होंने पुलिस को पूरी घटना, यूट्यूब विज्ञापन, “राजेश मिश्रा” नामक व्यक्ति से हुई बातचीत और विभिन्न चरणों में भेजे गए पैसों का विस्तृत ब्यौरा दिया।

कैथल पुलिस अधीक्षक ने मामले की गंभीरता को देखते हुए साइबर क्राइम थाना प्रभारी और उनकी टीम को तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए। पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि मामले की जांच का जिम्मा थाना साइबर क्राइम की विशेष टीम को सौंपा गया। टीम ने सबसे पहले हरीश कुमार द्वारा उपलब्ध कराए गए मोबाइल नंबरों, बैंक खातों के विवरण और क्यूआर कोड की जानकारी के आधार पर तकनीकी जांच शुरू की।

हिसार से जुड़े तार: आरोपियों की पहचान और गिरफ्तारी

 

साइबर क्राइम टीम ने अपनी तकनीकी दक्षता और खुफिया जानकारी का इस्तेमाल करते हुए पैसे के लेन-देन (मनी ट्रेल) और कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) का विश्लेषण किया। जांच में यह बात सामने आई कि इस धोखाधड़ी के तार हिसार जिले से जुड़े हुए हैं। कई दिनों की कड़ी मशक्कत और विभिन्न डिजिटल फुटप्रिंट्स को ट्रैक करने के बाद, पुलिस टीम आरोपियों के गिरेबान तक पहुंचने में कामयाब रही।

पुलिस ने हिसार में दबिश देकर दो मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। पकड़े गए आरोपियों की पहचान महाबीर कॉलोनी, हिसार निवासी योगेश सैनी और सेक्टर 15ए, हिसार निवासी अमित कुमार के रूप में हुई है। पुलिस ने उनके पास से कुछ मोबाइल फोन, सिम कार्ड और संभवतः कुछ दस्तावेज भी बरामद किए होंगे, जिनका इस्तेमाल वे ठगी करने के लिए करते थे।

पूछताछ जारी: बड़े नेटवर्क का हो सकता है खुलासा

 

दोनों आरोपियों को कैथल लाया गया है, जहां उनसे गहन पूछताछ की जा रही है। पुलिस यह जानने का प्रयास कर रही है कि क्या वे किसी बड़े संगठित गिरोह का हिस्सा हैं, उन्होंने इस तरह की कितनी और वारदातों को अंजाम दिया है, और उनके नेटवर्क में और कौन-कौन लोग शामिल हैं। पुलिस यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि ठगी गई रकम को उन्होंने कहां खपाया है और क्या उसकी बरामदगी संभव है। प्रारंभिक पूछताछ में यह बात सामने आ सकती है कि आरोपी इसी तरह के लुभावने विज्ञापन विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर डालकर भोले-भाले लोगों को अपना शिकार बनाते थे।

साइबर धोखाधड़ी का बढ़ता जाल और बचाव के उपाय

 

यह घटना कोई अकेली नहीं है। आजकल साइबर अपराधी নিত্যনতুন तरीके अपनाकर लोगों को ठग रहे हैं। मोबाइल टावर लगवाने के नाम पर ठगी, नौकरी दिलाने का झांसा, केवाईसी अपडेट के बहाने, लॉटरी जीतने का लालच, बिजली बिल बकाया होने का डर दिखाकर, या आकर्षक निवेश योजनाओं का प्रलोभन देकर ठगी करना आम बात हो गई है।

ऐसे में आम जनता को अत्यधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है। साइबर विशेषज्ञ और पुलिस निम्नलिखित सावधानियां बरतने की सलाह देते हैं:

अज्ञात स्रोतों पर भरोसा न करें: किसी भी अनजान व्यक्ति या कंपनी द्वारा दिए गए आकर्षक ऑफर पर तुरंत विश्वास न करें। विशेषकर यदि वे भारी मुनाफे का वादा करते हों।
कंपनी की सत्यता जांचें: यदि कोई कंपनी मोबाइल टावर या कोई अन्य सेवा देने का दावा करती है, तो उसकी आधिकारिक वेबसाइट, रजिस्टर्ड ऑफिस का पता और संपर्क नंबरों की गहनता से जांच करें। ट्राई (TRAI) या दूरसंचार विभाग की वेबसाइट पर भी अधिकृत कंपनियों की जानकारी मिल सकती है।
अग्रिम भुगतान से बचें: कोई भी प्रतिष्ठित कंपनी आमतौर पर सेवाओं के लिए भारी-भरकम अग्रिम भुगतान या विभिन्न अज्ञात शुल्कों की मांग नहीं करती। रजिस्ट्रेशन फीस के नाम पर हजारों या लाखों रुपये मांगना धोखाधड़ी का स्पष्ट संकेत हो सकता है।
क्यूआर कोड और अनजान लिंक से सावधान: किसी अनजान व्यक्ति द्वारा भेजे गए क्यूआर कोड को स्कैन न करें और न ही किसी संदिग्ध लिंक पर क्लिक करें। इससे आपका बैंक खाता खाली हो सकता है या आपके फोन में मैलवेयर इंस्टॉल हो सकता है।
व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें: अपने बैंक खाते का विवरण, आधार नंबर, पैन नंबर, ओटीपी या अन्य संवेदनशील जानकारी किसी भी अनजान व्यक्ति के साथ साझा न करें।
लालच में न पड़ें: “जल्दी अमीर बनने” या “घर बैठे लाखों कमाने” जैसे प्रलोभनों से दूर रहें। यदि कोई ऑफर सच होने के लिए बहुत अच्छा लग रहा है, तो शायद वह सच नहीं है।
जागरूकता ही बचाव: अपने परिवार और दोस्तों को भी इस तरह की धोखाधड़ी के बारे में जागरूक करें।

पुलिस की अपील और भविष्य की कार्रवाई

 

कैथल पुलिस ने आम जनता से अपील की है कि वे किसी भी प्रकार के ऑनलाइन प्रलोभनों के झांसे में न आएं और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत पुलिस या साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर दें। पुलिस प्रवक्ता ने विश्वास दिलाया है कि गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ कानून के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी और इस तरह के साइबर अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस विभाग निरंतर प्रयासरत है।

हरीश कुमार का मामला एक चेतावनी है कि डिजिटल दुनिया में सतर्कता ही सबसे बड़ा हथियार है। उम्मीद है कि इस मामले में गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ में और भी खुलासे होंगे और पुलिस इस तरह के धोखाधड़ी नेटवर्क को ध्वस्त करने में सफल होगी।

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