शहीद लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की पत्नी हिमांशी का मार्मिक संदेश : नफरत नहीं, न्याय और शांति की चाह

शहीद की पत्नी हिमांशी

नरेन्‍द्र सहारण, करनाल : पहलगाम में हुए कायराना आतंकी हमले में भारतीय नौसेना के वीर सपूत लेफ्टिनेंट विनय नरवाल ने देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। इस हृदयविदारक घटना के बाद शहीद की पत्नी हिमांशी ने गुरुवार को एक अत्यंत महत्वपूर्ण और मार्मिक संदेश दिया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि इस दुखद घड़ी में मुस्लिमों और कश्मीरियों का विरोध नहीं होना चाहिए। उनकी एकमात्र इच्छा न्याय और शांति की स्थापना है। हिमांशी ने आतंकवाद का जड़ से सफाया करने और दोषियों को कड़ी सजा दिलाने की पुरजोर मांग की, ताकि उनके परिवार और पूरे देश को शांति मिल सके।

जन्मतिथि पर रक्तदान शिविर

हिमांशी ने शहीद लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की जन्मतिथि पर आयोजित एक रक्तदान शिविर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए अपनी गहरी वेदना और दृढ़ संकल्प को व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि कुछ लोग जिस तरह से मुस्लिमों और कश्मीरियों के खिलाफ अपनी नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं, वह उचित नहीं है। हिमांशी ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह किसी भी समुदाय या क्षेत्र के प्रति नफरत नहीं रखती हैं। उन्होंने पूरे देश से अपने पति विनय के लिए प्रार्थना करने का आग्रह किया।

हिमांशी ने व्रत रखा

सोमवार को आयोजित रक्तदान शिविर में हिमांशी ने अपने दिवंगत पति को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए व्रत रखा। इस अवसर पर उनके साथ विनय की मां आशा रानी और पिता राजेश नरवाल भी मौजूद थे। हालांकि, डॉक्टरों ने अस्वस्थ होने के कारण उन्हें रक्तदान की अनुमति नहीं दी। मंच पर हिमांशी और उनका पूरा परिवार गहरे शोक और भावनात्मक क्षणों से गुजरा। इस शिविर में 218 लोगों ने स्वेच्छा से रक्तदान किया, जो शहीद के प्रति उनके सम्मान और संवेदना का प्रतीक था।

बलिदानी का दर्जा दिया जाए

 

एक पत्रकार के सवाल का जवाब देते हुए हिमांशी ने दृढ़ता से कहा कि उनके पति विनय ने देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया है, इसलिए उन्हें आधिकारिक तौर पर “बलिदानी” का दर्जा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह न केवल उनकी परिवार की मांग है, बल्कि पूरे प्रदेश और देश की भावना है। आतंकवादियों पर कड़ी कार्रवाई के संबंध में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में हिमांशी ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि सरकार इस कायराना हरकत का मुंहतोड़ जवाब देगी और वारदात को अंजाम देने वाले आतंकियों को उनके किए की सजा जरूर मिलेगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार आतंकवाद का सफाया करने के लिए निर्णायक कदम उठाएगी।

 हिमांशी का दृढ़ संकल्प

 

अपने गहरे दुख को व्यक्त करते हुए हिमांशी ने कहा कि जो दुखद घटना उनके साथ हुई है, वह किसी और के साथ नहीं होनी चाहिए। जब उनसे पूछा गया कि उनके पति ने देश सेवा का मार्ग चुना था, तो क्या वह भी इसी राह पर आगे बढ़ेंगी, तो उन्होंने दृढ़ता से “हां” में उत्तर दिया। उनका यह जवाब उनके अदम्य साहस और देशभक्ति की भावना को दर्शाता है।

गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने शहीद लेफ्टिनेंट विनय नरवाल के परिवार को 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की है। इसके अतिरिक्त, भारतीय नौसेना भी हिमांशी को नौकरी का प्रस्ताव दे सकती है, जो शहीद के परिवार को संबल प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

शहीद के परिवार का शोक और सम्मान

 

रक्तदान शिविर में शहीद विनय नरवाल की मां आशा रानी और पिता राजेश नरवाल की उपस्थिति ने माहौल को और भी गमगीन कर दिया। अपने बेटे को खोने का गहरा दुख उनके चेहरों पर स्पष्ट रूप से झलक रहा था। हालांकि, उन्होंने अपनी बहू हिमांशी के साहस और दृढ़ संकल्प का समर्थन किया। डॉक्टरों द्वारा रक्तदान की अनुमति न दिए जाने के बावजूद, वे शिविर में मौजूद रहे और लोगों की संवेदनाओं के प्रति आभार व्यक्त किया।

समाज का समर्थन और संवेदना

 

पहलगाम आतंकी हमले के बाद पूरे देश में शोक की लहर है। विभिन्न क्षेत्रों के लोगों ने शहीद लेफ्टिनेंट विनय नरवाल के बलिदान को नमन किया है और उनके परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की है। रक्तदान शिविर में बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति शहीद के प्रति उनके सम्मान और परिवार के प्रति उनकी सहानुभूति का प्रमाण है। समाज के सभी वर्गों ने एक स्वर में आतंकवाद की कड़ी निंदा की है और सरकार से इस खतरे को जड़ से खत्म करने की मांग की है।

सरकार की कार्रवाई और जनता की अपेक्षाएं

 

आतंकी हमले के बाद, सरकार ने कड़ी कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है। जनता की अपेक्षा है कि सरकार न केवल इस हमले के दोषियों को जल्द से जल्द पकड़ेगी और उन्हें कड़ी सजा देगी, बल्कि भविष्य में ऐसे हमलों को रोकने के लिए भी प्रभावी कदम उठाएगी। शहीद हिमांशी की मांग के अनुरूप, आतंकवाद का सफाया करके देश में स्थायी शांति स्थापित करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए।

सांप्रदायिक सद्भाव और राष्ट्रीय एकता का संदेश

 

शहीद लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की पत्नी हिमांशी का यह महत्वपूर्ण बयान ऐसे समय में आया है जब कुछ असामाजिक तत्व इस दुखद घटना का इस्तेमाल सांप्रदायिक विद्वेष फैलाने की कोशिश कर सकते हैं। हिमांशी ने नफरत और विरोध की नकारात्मकता को खारिज करते हुए न्याय और शांति का संदेश दिया है। उनका यह बयान राष्ट्रीय एकता और सांप्रदायिक सद्भाव की भावना को मजबूत करता है। उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि आतंकवाद का कोई धर्म या क्षेत्र नहीं होता है, और इस लड़ाई में सभी भारतीयों को एकजुट होकर मुकाबला करना होगा।

महत्वपूर्ण संदेश

 

पहलगाम आतंकी हमले में शहीद हुए लेफ्टिनेंट विनय नरवाल का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। उनकी पत्नी हिमांशी के साहसपूर्ण और मार्मिक संदेश ने पूरे देश को झकझोर दिया है। उन्होंने न केवल न्याय और शांति की मांग की है, बल्कि सांप्रदायिक सद्भाव और राष्ट्रीय एकता का भी महत्वपूर्ण संदेश दिया है। सरकार और समाज दोनों को हिमांशी की भावनाओं का सम्मान करते हुए आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर लड़ना होगा और देश में स्थायी शांति स्थापित करनी होगी। शहीद विनय नरवाल का बलिदान हमेशा याद रखा जाएगा और उनकी वीरता आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।

You may have missed