Unique Love Story: धर्मांतरण का अनूठा किस्सा, प्रेमी सिपाही बना मुस्लिम, प्रेमिका बनी हिंदू

अमरोहा, बीएनएम न्यूज : उत्तर प्रदेश के अमरोहा में एक अनोखी प्रेम ने न सिर्फ स्थानीय बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना, जिन्होंने प्रेम के नाम पर संघर्ष, धर्मांतरण और सांप्रदायिक पहचान की जटिलताओं का सामना किया। यह कहानी प्रेम, समर्पण, और धार्मिक पहचान की है, जिसमें सिपाही पुष्पेंद्र सिंह और उसकी प्रेमिका जैनब की यात्रा ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है। अनूठी प्रेम कहानी में सिपाही प्रेमी के लिए प्रेमिका ने हिंदू बन आर्य समाज मंदिर में सात फेरे लिए। उसके बाद प्रेमिका से पत्नी बनी महिला ने पति के सामने मुस्लिम बनने की शर्त रख दी। कहा कि मैं तुम्हारे लिए हिंदू बन सकती हूं तो तुम मेरे लिए मुस्लिम नहीं। सिपाही ने पत्नी की मानी और पुष्पेंद्र से रेहान बन गया। दोनों ने निकाह भी किया।
सिपाही की पहचान
पुष्पेंद्र सिंह, जोकि 2021 बैच के पुलिस सिपाही हैं, की तैनाती 2024 में मथुरा जिले के जोया पुलिस चौकी पर थी। निम्न मध्यम वर्गीय परिवार से तालुक रखने वाले पुष्पेंद्र ने अपनी सेवा में कई चुनौतियों का सामना किया था। मथुरा के इस सिपाही का जीवन एक नई दिशा तब घूम गया, जब उसकी मुलाकात जैनब से हुई। जैनब, एक मुस्लिम परिवार से तालुक रखती थीं, और पहले से ही अपने धार्मिक और सांस्कृतिक सिद्धांतों से जुड़ी हुई थीं।
प्रेम कहानी का आरंभ
पुष्पेंद्र और जैनब के बीच प्रेम की शुरुआत एक सामान्य दोस्ती से हुई जो धीरे-धीरे गहरे संबंध में बदल गई। दोनों ने एक-दूसरे के प्रति सामंजस्य और सम्मान की भावना विकसित की। हालांकि, जैसे-जैसे उनका संबंध आगे बढ़ा, वे इस विचार के साथ संघर्ष करने लगे कि क्या उनका प्रेम धार्मिक मतभेदों से परे जा सकता है या नहीं। जब जैनब को यह पता चला कि पुष्पेंद्र केवल एक हिंदू है और मुस्लिम नहीं तो उसने अपनी भावनाओं को व्यक्त किया और इस रिश्ते को लेकर अनिश्चितता का सामना किया।
धर्मांतरण की आवश्यकता
यहां पर जैनब ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया। उसने पुष्पेंद्र से कहा कि अगर वह उसके साथ अपने रिश्ते को आगे बढ़ाना चाहता है, तो उसे मुसलमान बनना होगा। वह चाहती थी कि पुष्पेंद्र उसके लिए अपना धर्म बदल दे। पुष्पेंद्र ने अपनी प्रेमिका की भावनाओं को समझा और उसके परिवार को मनाने की कोशिश की, ताकि वे उनकी शादी को स्वीकृत करें। जैनब ने यह तय किया कि वह हिंदू धर्म को स्वीकारते हुए आर्य समाज मंदिर में शादी करे जाएगी और अपने नाम को जाह्नवी रखेगी।
शादी और परिवर्तित पहचान
तीन दिसंबर 2024 को आर्य समाज मंदिर में दोनों का विवाह हुआ। जैनब, जो अब जाह्नवी के नाम से जानी जाती थीं, ने अपनी नई पहचान को अपनाने में कोई संकोच नहीं किया। शादी के बाद, पुष्पेंद्र ने अपनी पहचान बदलकर रेहान रखने का निर्णय लिया। इस कदम ने उनकी प्रेम कहानी को और भी अनोखा बना दिया। जैनब और पुष्पेंद्र के नए नामों ने उनके प्रेम और समर्पण की कहानी को एक नया मोड़ दिया।
समुदाय की प्रतिक्रिया
जैसे ही स्थानीय समुदाय में इस अनूठी प्रेम कहानी की भनक लगी, वह एक चर्चा का विषय बन गई। बजरंग दल जैसे संगठनों ने इस मामले पर अपनी नजरें जमाने लगीं और इसका विरोध करना शुरू कर दिया। उनके कार्यकर्ताओं ने पुलिस को सूचित किया कि यह एक संवेदनशील मामला है और इसकी जांच होनी चाहिए। पुलिस ने तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए पुष्पेंद्र को हिरासत में ले लिया, जिससे इस प्रेम कहानी में एक नया मोड़ आया।
विवाह के कार्ड की गुत्थी
इसी बीच, विवाह के निमंत्रण पत्र ने भी लोगों का ध्यान खींचा। जैनब के परिवार द्वारा छपे निमंत्रण में उसका नाम जैनब लिखा गया था, जबकि पुष्पेंद्र की ओर से छपे निमंत्रण में जैनब का नाम जाह्नवी रखा गया था। यह दो कार्ड न केवल उस प्रेम कहानी की जटिलताओं को दर्शाते थे, बल्कि विभिन्न धार्मिक पहचान और स्वीकार्यता की समस्याओं को भी उजागर करते थे।
सिपाही की गिरफ्तारी
पुलिस द्वारा सिपाही को उठाए जाने के बाद, जैनब और उसकी मां ने कोतवाली पहुंचकर पुष्पेंद्र की खोज शुरू की। लेकिन उन्हें जानकारी नहीं मिल पाई कि पुष्पेंद्र को कहां ले जाया गया है। यह स्थिति जैनब के लिए बहुत कठिन थी, क्योंकि उसने विवाह के बाद अपने पति के साथ एक नए जीवन की शुरुआत करने की योजना बनाई थी।
प्रेम कहानी का नया अध्याय
इस घटनाक्रम ने ना केवल पुष्पेंद्र और जैनब के लिए, बल्कि समाज के लिए भी एक सबक दिया है। यह हमें बताता है कि प्रेम किसी भी धार्मिक या सांस्कृतिक सीमाओं से परे हो सकता है। हालांकि, जटिलताएं और चुनौतियां हमेशा हमारे मार्ग में आएंगी। हमें समझना होगा कि प्रेम की शक्ति किसी भी बाधा को पार कर सकती है, लेकिन इसे समाज का स्वीकार प्राप्त करना हमेशा आसान नहीं होता।
प्यार, त्याग और पहचान का संघर्ष
यह प्रेम कहानी प्यार, त्याग और पहचान के संघर्ष का एक प्रतिनिधित्व है। जैनब और पुष्पेंद्र ने यह दिखाया है कि प्रेम की कोई सीमाएं नहीं होतीं, लेकिन समाज की संस्कार और धारणा की दीवारें बहुत मजबूत होती हैं। इस कहानी को सुनते हुए, हम सबको यह याद रखना चाहिए कि प्यार में बलिदान करने की भावना मजबूत होती है, लेकिन उसे विश्वास और सहयोग की आवश्यकता भी होती है।
जैनब और पुष्पेंद्र की यह कहानी हमारे समाज में चर्चा का विषय बनी रहेगी, क्योंकि यह न केवल व्यक्तिगत प्रेम का मामला है, बल्कि यह हमारे सांस्कृतिक और धार्मिक विविधताओं का प्रतीक भी है।