कौन हैं कैथल के रामपाल, जिन्हें मोदी ने जूते पहनाए: ताना सुनकर प्रण लिया, बेटे की शादी भी नंगे पैर की

रामपाल कश्यप जब जूते पहन रहे थे तो मोदी ने नीचे झुककर उनके फीते बांधने में मदद की।
नरेन्द्र सहारण, कैथल। हरियाणा के यमुनानगर में 14 अप्रैल को एक अनूठा दृश्य देखा गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वहां भाजपा के कार्यकर्ता रामपाल को जूते पहनाए। यह पल केवल एक साधारण कार्यकर्ता के लिए नहीं था, बल्कि यह एक व्यक्ति के समर्पण और विश्वास की कहानी है। रामपाल ने पिछले 14 सालों से नंगे पांव रहने का प्रण लिया था, जब उन्होंने यह तय किया कि तब तक जूते या चप्पल नहीं पहनेंगे जब तक कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं बन जाते और भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिलता। यह न केवल एक अनोखा व्रत था, बल्कि यह रामपाल के राजनीतिक निष्ठा का भी प्रतीक था।
रामपाल का प्रसिद्ध प्रण
55 वर्षीय रामपाल, जो कैथल के गांव खेड़ी गुलाम अली के निवासी हैं, विज्ञान और औसत जीवन की सीमाओं को चुनौती देने वाले एक अद्वितीय चरित्र के रूप में उभरे हैं। वह 5वीं पास हैं और गांव में मजदूरी करके अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं। उनके परिवार में पत्नी और तीन बच्चे हैं, जिनमें दो बेटे और एक बेटी शामिल हैं। रामपाल का यह प्रण एक सीधे-सादे युवक की गहरी राजनीतिक चेतना और व्यक्तिगत प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
रामपाल ने कहा, “मैं BJP से 40 सालों से जुड़ा हुआ हूं। भाजपा मजदूरों की आवाज उठाती है, इसलिए मैं इस पार्टी से जुड़ा हूं।” उनके अनुसार, बचपन में इनेलो के नेता डॉक्टर इंद्र ने उन्हें अपनी पार्टी में शामिल होने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन रामपाल ने दृढ़ता से कहा कि वह भाजपा का झंडा उठाएंगे।
नंगे पैर रहकर दिए गए कई चुनौतियां
रामपाल के व्रत के दौरान उन्होंने न केवल गर्मी और सर्दी में नंगे पांव रहने का निर्णय लिया, बल्कि उन्होंने अपने बेटे की शादी जैसे महत्वपूर्ण अवसरों पर भी जूते नहीं पहने। उन्होंने कहा, “बेटे की शादी में सभी ने कहा कि मैं जूते पहन लूं, लेकिन मैंने साफ मना कर दिया।” यह एक ऐसा संकल्प था जिसे उन्होंने निभाया, भले ही उन्हें तानों का सामना करना पड़ा।
गांव के अन्य लोग जब उन्हें बिना चप्पल के देखते थे, तो वे मजाक उड़ाते थे और तानों से उन्हें चिढ़ाते थे। हालांकि, इन सबका उन पर कोई असर नहीं पड़ा। रामपाल ने अपने प्रण का पालन करते हुए शादी-ब्याह तथा अन्य समारोहों में केवल कुर्ता-पायजामा पहनकर हिस्सा लिया।
कठिनाइयों का सामना
इस दौरान, रामपाल ने सर्दियों में भी काम करते समय जूते नहीं पहनने की आदत डाल ली थी। उन्होंने कहा, “शुरुआत में थोड़ी दिक्कत हुई, लेकिन बाद में मुझे इसकी आदत हो गई।” एक साधारण किसान का जीवन बिताते हुए उन्होंने कई बार कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन अपने व्रत के प्रति उनकी दृढ़ता कभी कमजोर नहीं हुई।
भाजपा और रामपाल का संबंध
रामपाल की भाजपा के प्रति निष्ठा स्पष्ट है। वे लंबे समय से पार्टी के कार्यकर्ता रहे हैं। 40 सालों से भाजपा के साथ जुड़े रहने के कारण उनके मन में पार्टी के प्रति गहरा लगाव है। उनके करीबी दोस्त रिंकू शर्मा ने बताया कि रामपाल के मन में हमेशा से भाजपा की विचारधारा थी। हालांकि, उन्होंने RSS में शामिल होने की भी कोशिश की, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। वह भाजपा के छोटे से कार्यकर्ता हैं लेकिन उनका सपना था कि नरेंद्र मोदी एक दिन प्रधानमंत्री बनेंगे।
गांव में सियासी चर्चाएं
रामपाल के गांव में एक व्यक्ति ने उन्हें ताना मारा था कि न तो भारत में भाजपा की सरकार आएगी और न ही हरियाणा में। उस ताने का रामपाल पर गहरा असर हुआ और उन्होंने प्रण लिया कि जब तक नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं बनते और भाजपा की सरकार नहीं बनती, तब तक वह जूते नहीं पहनेंगे। इस प्रकार, उनका 14 साल का वनवास श्रीराम के उसी 14 साल के वनवास का प्रतीक बन गया।
पीएम मोदी का सम्मान
14 अप्रैल 2023 को, जब पीएम मोदी ने रामपाल को जूते पहनाए, यह केवल एक प्रतीकात्मक Gesture नहीं था, बल्कि यह एक व्यक्ति के समर्पण और उसकी मेहनत को मान्यता देने का एक तरीका था। पीएम मोदी ने इस अवसर पर कहा, “ऐसा व्रत दोबारा न करें।” यह टिप्पणी रामपाल की निष्ठा की सराहना करने के साथ-साथ उन्हें भविष्य में आत्म-देखभाल की याद भी दिलाने के लिए थी।
रामपाल का भविष्य
अब, जबकि रामपाल का प्रण पूरा हो चुका है और उन्होंने जूते पहने हैं, भविष्य में वह किस तरह के लक्ष्यों की ओर अग्रसर होंगे, यह ध्यान देने योग्य है। क्या वह अपनी राजनीति के प्रति इसी तरह की निष्ठा बनाए रखेंगे? क्या वह आगे चलकर किसी बड़े राजनीतिक पद का सपना देखेंगे? यह समय ही बताएगा।
समर्पण और निष्ठा
रामपाल की कहानी यह दर्शाती है कि व्यक्ति का राजनीतिक और सामाजिक विचारधारा केवल उसके शैक्षणिक स्तर या आर्थिक स्थिति पर निर्भर नहीं करती, बल्कि उसके समर्पण और निष्ठा पर आधारित होती है। रामपाल का अद्वितीय पहलू यह है कि उन्होंने एक साधारण जीवन जीते हुए भी अपने विश्वासों के प्रति गहरी प्रतिबद्धता दिखाई। यह कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणा के रूप में काम कर सकती है जो अपने जीवन के लक्ष्यों और दृष्टिकोणों में सच्चे रहते हैं।
सिर्फ रामपाल ही नहीं, बल्कि ऐसे कई लोग हैं जो अपने सपनों के लिए संघर्ष करते हैं और परिस्थितियों का सामना करते हैं। उनकी यह कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर हिम्मत और समर्पण हो, तो कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।