Ahmedabad Plane Crash: विमान हादसे में कुरुक्षेत्र की महिला की मौत: बेटी से मिलने के लिए लंदन जा रही थीं, टेक ऑफ से पहले पिता को किया फोन

अंजू शर्मा, जिनकी अहमदाबाद विमान हादसे में मौत हो गई।
नरेंद्र सहारण, कुरुक्षेत्र/अहमदाबाद: Ahmedabad Plane Crash: गुरुवार को अहमदाबाद में हुए एअर इंडिया के विमान हादसे ने 241 जिंदगियों को एक झटके में खत्म कर दिया। यह सिर्फ आंकड़ों की त्रासदी नहीं है बल्कि 241 अनकही कहानियों, अधूरे सपनों और टूटे हुए वादों का एक अंतहीन दर्द है। इन्हीं कहानियों में से एक कहानी है 55 वर्षीय अंजू शर्मा की, जो हरियाणा की मिट्टी से जुड़ी एक मां थीं और जिनकी ममता भरी यात्रा का अंत इतना भयानक होगा, यह किसी ने नहीं सोचा था। उनकी कहानी एक मां के अपनी बेटी के प्रति प्रेम, एक बेटी के अपने बीमार पिता के प्रति कर्तव्य और एक आखिरी वीडियो कॉल पर किए गए उस वादे की है, जो अब कभी पूरा नहीं हो सकेगा।
अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उस दिन गहमागहमी थी। सैकड़ों यात्री अपनी-अपनी मंजिलों की ओर जाने की तैयारी में थे। इन्हीं में से एक थीं अंजू शर्मा। उनके चेहरे पर लंदन में अपनी बेटी निम्मी से मिलने की खुशी और उत्साह था, लेकिन दिल के एक कोने में हरियाणा के कुरुक्षेत्र में अपने बीमार पिता के लिए चिंता भी थी। टेक-ऑफ से कुछ ही समय पहले, उन्होंने वह काम किया जो आज के दौर में दूर रहते हुए भी अपनों से जुड़े रहने का सबसे बड़ा जरिया है – एक वीडियो कॉल।
स्क्रीन पर उनके पिता जगदीश शर्मा का चेहरा उभरा जो बीमारी के कारण बिस्तर पर थे। बेटी को देखकर पिता के चेहरे पर हल्की मुस्कान आई होगी। अंजू ने उनकी सेहत का हाल पूछा, उन्हें हिम्मत बंधाई और फिर वही शब्द कहे जो शायद अब उनके परिवार के कानों में हमेशा गूंजेंगे: “पापा, आप चिंता मत करना, अपना ध्यान रखना। मैं बस 6 महीने के लिए लंदन जा रही हूँ। लौटकर सबसे पहले आपसे ही मिलने आऊंगी।”
यह एक बेटी का अपने पिता से किया गया वादा था। एक आश्वासन था कि दूरी चाहे कितनी भी हो, वह वापस आएगी। लेकिन किसे पता था कि यह उनकी आखिरी बातचीत होगी? किसे पता था कि जिस विमान में बैठकर वह यह वादा कर रही थीं, वह कुछ ही मिनटों में आग का गोला बनकर उनके सारे सपनों और वादों को राख कर देगा?
कौन थीं अंजू शर्मा: जड़ों से जुड़ी एक मां की कहानी
अंजू शर्मा की जड़ें हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के शांत और साधारण से गांव रामशरण माजरा से जुड़ी थीं। यहीं उनके पिता जगदीश शर्मा और मां संतोष आज भी रहते हैं। जगदीश शर्मा आबकारी विभाग में क्लर्क के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। अंजू का बचपन इसी गांव की गलियों में बीता।
1990 में उनकी शादी पंजाब के पटियाला के अलाना गांव के पवन शर्मा से हुई। शादी के बाद उनकी जिंदगी का एक नया अध्याय शुरू हुआ। पति पवन शर्मा एक जोखिम भरा काम करते थे; वह औद्योगिक प्लांटों में गैस लीकेज को बंद करने के विशेषज्ञ थे। परिवार की बेहतर संभावनाओं के लिए वे गुजरात के वडोदरा में आकर बस गए। यहीं उनकी दो बेटियों, हन्नी और निम्मी ने जन्म लिया और उनका पालन-पोषण हुआ।
जिंदगी चल रही थी, लेकिन करीब चार साल पहले शर्मा परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। एक हादसे में पति पवन शर्मा का निधन हो गया। पति की असमय मृत्यु ने अंजु को तोड़ दिया, लेकिन उन्होंने एक मजबूत माँ की तरह खुद को और अपनी बेटियों को संभाला। उन्होंने अकेले ही दोनों बेटियों की परवरिश की और उन्हें अपने पैरों पर खड़ा किया। आज उनकी दोनों बेटियां शादीशुदा हैं। बड़ी बेटी हन्नी अपने पति अमित के साथ वडोदरा में ही रहती हैं, जबकि छोटी बेटी निम्मी अपने पति राहुल के साथ लंदन में बस गई हैं। अंजु शर्मा का भाई, मिलिन शर्मा, जो एक फिल्म डायरेक्टर हैं, वह भी वडोदरा में ही रहते हैं और इस मुश्किल घड़ी में परिवार का सहारा बने हुए हैं।
लंदन की अधूरी यात्रा
पति के जाने के बाद अंजु की दुनिया उनकी बेटियों के इर्द-गिर्द ही घूमती थी। वडोदरा में बड़ी बेटी हन्नी तो पास ही थीं, लेकिन लंदन में बसी छोटी बेटी निम्मी से मिलने के लिए उनका दिल तरसता था। उन्होंने निम्मी के पास जाकर कुछ समय बिताने की योजना बनाई। यह कोई छोटी-मोटी यात्रा नहीं थी; वह पूरे 6 महीने अपनी बेटी और दामाद के साथ रहने के लिए जा रही थीं।
इस यात्रा को लेकर उन्होंने कई सपने बुने होंगे। माँ-बेटी ने मिलकर लंदन घूमने, साथ में वक्त बिताने और उन सभी बातों को साझा करने की योजना बनाई होगी जो फोन पर अधूरी रह जाती थीं। अंजु ने शायद अपनी बेटी के पसंदीदा व्यंजन बनाने के लिए भारत से मसाले भी पैक किए होंगे। यह यात्रा उनके लिए सिर्फ एक छुट्टी नहीं, बल्कि अपनी बेटी के जीवन का हिस्सा बनने, उसकी दुनिया को करीब से देखने का एक सुनहरा अवसर था।
परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़
गुरुवार की दोपहर जब अहमदाबाद में एअर इंडिया के विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने की खबर टीवी चैनलों पर फ्लैश होने लगी, तो देश भर में सनसनी फैल गई। लेकिन वडोदरा में शर्मा परिवार और कुरुक्षेत्र के रामशरण माजरा गांव के लिए यह सिर्फ एक खबर नहीं थी, बल्कि उनकी दुनिया के उजड़ने का ऐलान था।
वडोदरा में बेटी हन्नी और भाई मिलिन ने जैसे ही सुना कि अहमदाबाद से लंदन जा रही उड़ान AI-171 क्रैश हो गई है, उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। उन्होंने कांपते हाथों से अंजु के फोन पर कॉल किया, जो बंद आ रहा था। एयरलाइन के हेल्पलाइन नंबरों पर अंतहीन कोशिशों के बाद जब उन्हें यह पुष्टि हुई कि अंजु शर्मा उसी विमान में सवार थीं, तो परिवार पर मानो बिजली गिर गई।
वहीं, सैकड़ों किलोमीटर दूर, रामशरण माजरा गांव में बीमार पिता जगदीश शर्मा और माँ संतोष इस अनहोनी से पूरी तरह अनजान थे। उन्हें यह बताने की हिम्मत कौन करता कि जिस बेटी ने कुछ घंटे पहले ही लौटकर आने का वादा किया था, वह अब कभी नहीं लौटेगी? अंजु के चचेरे भाई वैभव शर्मा ने रुंधे गले से बताया कि परिवार सदमे में है और किसी को समझ नहीं आ रहा कि बुजुर्ग और बीमार माता-पिता को यह दुखद समाचार कैसे दिया जाए।
पहचान की दर्दनाक प्रक्रिया: बेटी के DNA से होगा मिलान
इस हादसे की क्रूरता यहीं खत्म नहीं होती। विमान में लगी आग इतनी भीषण थी कि ज्यादातर शवों की पहचान करना लगभग असंभव हो गया है। अधिकारियों के सामने अब हर मृतक की पहचान सुनिश्चित करने की भारी चुनौती है। सूत्रों के अनुसार, अंजु शर्मा की पहचान की पुष्टि के लिए पुलिस और फोरेंसिक टीम वडोदरा में रहने वाली उनकी बेटी हन्नी शर्मा का डीएनए सैंपल लेगी। इस सैंपल का मिलान दुर्घटनास्थल से मिले अवशेषों से किया जाएगा।
यह कल्पना करना भी दर्दनाक है कि एक बेटी को अपनी माँ के होने की पुष्टि के लिए डीएनए जैसी वैज्ञानिक और भावनाहीन प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा। यह इस त्रासदी की उस परत को उजागर करता है, जहाँ दुःख व्यक्तिगत भावनाओं से परे एक ठंडी, सरकारी प्रक्रिया का हिस्सा बन जाता है।
आखिरी मुलाकात और वो अंतिम यादें
अंजु शर्मा सिर्फ फोन पर ही अपने परिवार से नहीं जुड़ी थीं। अपनी लंदन यात्रा से ठीक 10 दिन पहले, वह विशेष रूप से अपने बीमार पिता से मिलने के लिए कुरुक्षेत्र के अपने गांव रामशरण माजरा आई थीं। उनके पिता की तबीयत ठीक नहीं थी और डॉक्टरों ने उन्हें पूरी तरह से बेड रेस्ट की सलाह दी थी। पिता की बीमारी की खबर सुनकर वह लंबे समय बाद गांव आई थीं।
वैभव शर्मा याद करते हैं, “वह अपने पापा को लेकर तित थीं। उन्होंने यहां कुछ दिन बिताए, उनकी सेवा की और परिवार के साथ पुरानी यादें ताजा कीं।” किसी को क्या पता था कि यह उनकी आखिरी मुलाकात साबित होगी? उस समय जब वह अपने पिता के पास बैठी उनका हाथ थामे हुए होंगी, तो किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि कुछ ही दिनों में वह उनसे हमेशा के लिए बिछड़ जाएंगी।
वह आखिरी मुलाकात और एयरपोर्ट से की गई वह आखिरी वीडियो कॉल अब शर्मा परिवार के लिए एक कभी न मिटने वाली याद बन गई है। एक ऐसी याद जो खुशी से ज्यादा दर्द देती है। यह कहानी सिर्फ एक विमान हादसे में हुई एक मौत की नहीं है। यह एक माँ की कहानी है जो अपनी बेटी के पास जा रही थी। यह एक बेटी की कहानी है जिसने अपने बीमार पिता की देखभाल का जिम्मा उठाया था। यह एक विधवा की कहानी है जिसने अकेले अपने परिवार को पाला। और अंत में, यह उस अधूरे वादे की कहानी है जो अब हरियाणा के एक छोटे से गांव के एक घर में हमेशा के लिए गूंजता रहेगा – “पापा, मैं लौटकर आऊंगी।”