अरविंद केजरीवाल की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा, पीएमएलए एक्ट के तहत कंपनी की तरह हैं राजनीतिक पार्टियां

नई दिल्ली, बीएनएम न्यूज : Delhi Excise Scam: दिल्ली आबकारी घोटाले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की मुश्किलें व्यक्तिगत भूमिका के साथ ही पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक के तौर पर भी बढ़ने वाली हैं। धन-शोधन निवारण अधिनियम (PMLA)-2002 की धारा-70 के तहत राजनीतिक पार्टियों को कंपनी तरह मानने के जांच एजेंसी के तर्क को दिल्ली हाई कोर्ट ने स्वीकार किया है। न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा की पीठ ने कहा कि इस स्तर पर पीएमएलए की धारा 50 के तहत आप के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष एनडी गुप्ता द्वारा दिए गए बयान व ईडी द्वारा जारी समन पर केजरीवाल के 18 जनवरी, 2024 के जवाब से प्रथमदृष्टया स्पष्ट है कि केजरीवाल आम आदमी पार्टी के प्रभारी व इसके सभी कार्यों के लिए जिम्मेदार हैं। अदालत ने कहा कि प्रथमदृष्टया पीएमएलए की धारा 70(1) के तहत केजरीवाल पार्टी के मामलों के लिए उत्तरदायी होंगे।

राजनीतिक पार्टियां एक कंपनी की तरह हैं

अदालत ने स्पष्ट किया कि उचित समय पर केजरीवाल के पास यह साबित करने का अधिकार होगा कि पीएमएलए के प्रविधानों के तहत उनकी पार्टी द्वारा किए गए उल्लंघन की कोई जानकारी नहीं थी या उन्होंने इसे रोकने की कोशिश की थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने ईडी के तर्कों पर गौर करने के बाद माना कि पीएमएलए की धारा 70 के तहत राजनीतिक पार्टियां एक कंपनी की तरह हैं। अदालत ने कहा कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा-2 (एफ) के अनुसार, राजनीतिक दल की परिभाषा यह है कि राजनीतिक दल संघ या व्यक्तिगत निकाय हैं और पीएमएलए की धारा-70 के अनुसार यह एक ‘कंपनी’ अर्थात व्यक्तियों का संघ भी है।

केजरीवाल ही चुनाव के लिए फंड के सृजन व खर्च के लिए जिम्मेदार

अदालत ने कहा कि ईडी का तर्क है कि केजरीवाल राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के प्रभारी होने के साथ ही पार्टी के पीछे मुख्य प्रेरक शक्ति व इसकी सभी प्रमुख गतिविधियों को नियंत्रित करते हैं। ऐसे में केजरीवाल ही चुनाव के लिए फंड के सृजन व खर्च के लिए जिम्मेदार हैं। अदालत ने कहा कि ईडी का मामला यह है कि वह आबकारी घोटाले की साजिश में आंतरिक रूप से शामिल रहे हैं, जिसमें अपराध की कमाई का इस्तेमाल आम आदमी के गोवा चुनाव प्रचार में किया गया। यह न सिर्फ सोच समझकर बल्कि केजरीवाल की सक्रिय मिलीभगत से भी किया गया। ईडी के तर्कों व सामग्री को देखते हुए अदालत ने कहा कि इतना कहना पर्याप्त है कि केजरीवाल के संबंध में रिकार्ड पर पर्याप्त सामग्री है।

क्या है ईडी का तर्क

ईडी ने अदालत के समक्ष जिरह की कि पीएमएलए की धारा-70 के दायरे में कंपनी भी शामिल है और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 के अनुसार एक राजनीतिक दल व्यक्तियों/नागरिकों का एक संघ है। एजेंसी ने तर्क दिया था कि पीएमएलए की धारा-70 के तहत आम आदमी पार्टी को एक कंपनी माना जाएगा और याचिकाकर्ता इसका राष्ट्रीय संयोजक होने के नाते इसके तहत होने के वाले कामकाज का प्रभारी और जिम्मेदार होगा। इसके साथ ही वह पीएमएलए की धारा 70(1) के तहत उत्तरदायी है। वहीं, केजरीवाल की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि जांच एजेंसी का यह तर्क गलत है और अस्वीकार किए जाने योग्य है।

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Tag-Arvind Kejriwal, Delhi High Court, PMLA Act, Aam Aadmi Party, Delhi Excise Scam, Delhi Liquor Scam

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