बंगाल पुलिस ने भाजपा के केंद्रीय दल और कांग्रेस नेताओं को संदेशखाली जाने से रोका

कोलकाता, BNM News : पुलिस ने भाजपा सांसदों के एक केंद्रीय दल और कांग्रेस नेताओं को शुक्रवार को बंगाल के संदेशखाली का दौरा करने से रोक दिया। वहां ग्रामीणों महिलाओं पर तृणमूल नेताओं के कथित अत्याचार को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है। केंद्रीय मंत्री प्रतिमा भौमिक ने कहा कि पुलिस ने धारा 144 के तहत लागू की गई निषेधाज्ञा का हवाला देते हुए केंद्रीय दल को जाने की अनुमति नहीं दी। रास्ते में रोके जाने के बाद भाजपा का छह सदस्यीय दल धरने पर बैठ गया। पुलिस के साथ उनकी हल्की धक्कामुक्की भी हुई।
अधीर रंजन धरने पर बैठे
संदेशखाली में बड़ी संख्या में महिलाओं ने तृणमूल कांग्रेस के नेता शाहजहां शेख और उनके समर्थकों पर जबरदस्ती जमीन हड़पने और यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया है। वहीं, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष व सांसद अधीर रंजन चौधरी को भी पुलिस ने संदेशखाली जाने से रोक दिया। इस पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच भी धक्कामुक्की हुई। इसके बाद अधीर भी धरने पर बैठ गए। उन्होंने भाजपा के केंद्रीय दल को रोके जाने पर कहा है कि वह लोग संदेशखाली बम लेकर तो नहीं जा रहे थे।
दोषियों को बचाने की कोशिश
भाजपा की दल की संयोजक अन्नापूर्णा देवी ने आरोप लगाया कि पुलिस दोषियों को बचाने की कोशिश कर रही है। केंद्रीय दल ने आरोप लगाया है कि उत्तर 24 परगना जिले में कानून-व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है। केंद्रीय दल ने बाद में कोलकाता में राज्यपाल सीवी आनंद बोस से भी मुलाकात की। केंद्रीय दल ने कहा है कि वह संदेशखाली जाने की अनुमति मांगने के लिए अदालत का रुख करेगा।
मालूम हो कि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने संदेशखाली का दौरा करने के लिए पार्टी सांसदों की छह सदस्यीय समिति का गठन किया है। समिति में सुनीता दुग्गल, कविता पाटीदार, संगीता यादव और उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी बृजलाल शामिल है। अभिनेता व भाजपा नेता मिथुन चक्रवर्ती ने कहा कि संदेशखाली की महिलाओं की आवाज दबाई नहीं जानी चाहिए। इधर तृणमूल नेता शांतनु सेन ने कहा कि पुलिस ने भाजपा प्रतिनिधिमंडल को रोककर सही काम किया। उसका इरादा राज्य का माहौल खराब करने का है।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका
संदेशखाली मामला बंगाल से बाहर ले जाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है। याचिका में संदेशखाली घटना की जांच शीर्ष अदालत की निगरानी में विशेष जांच दल (एसआइटी) या सीबीआइ द्वारा कराने की मांग गई है। जनहित याचिका अधिवक्ता अलख आलोक श्रीवास्तव ने दायर की है। उनके मुताबिक संदेशखाली से जो जानकारी सामने आई है, उससे बंगाल में निष्पक्ष जांच होना संभव नहीं है।
हाई कोर्ट से संदेशखाली जाने की अनुमति मांगी
नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने शुक्रवार को कलकत्ता हाई कोर्ट में याचिका दायर कर राज्य सरकार को यह निर्देश देने की मांग की कि उन्हें संदेशखली का दौरा करने की अनुमति दी जाए क्योंकि पुलिस ने उन्हें दूसरी बार वहां जाने से रोका था। याचिका पर सोमवार को सुनवाई होने की संभावना है। इधर कलकत्ता हाई कोर्ट में जनहित मामला दायर कर संदेशखाली में केंद्रीय बलों की तैनाती का अनुरोध किया गया है।
बच्चे को फेंके जाने की जांच की मांग
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने संदेशखाली में 10 फरवरी को बदमाशों द्वारा एक महिला की गोद से उसके बच्चे को छीनकर फेंके जाने की घटना पर संज्ञान लिया और उत्तर 24-परगना के जिलाधिकारी को नोटिस जारी कर मामले की शीघ्र जांच करने को कहा है।
राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा की
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) की पूर्ण पीठ ने संदेशखाली की यात्रा के 24 घंटे के भीतर राष्ट्रपति भवन को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है, जिसमें हर कदम पर बंगाल पुलिस द्वारा असहयोग से लेकर जांच में लापरवाही समेत कई और आरोप लगाकर राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा की गई है।
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