मप्र हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- ज्ञानवापी की तर्ज पर हो भोजशाला सरस्वती मंदिर का सर्वे

इंदौर, BNM News। ज्ञानवापी की तर्ज पर मप्र के धार जिले में स्थित भोजशाला सरस्वती मंदिर का सर्वे कराने के निर्देश मप्र हाई कोर्ट की इंदौर पीठ ने दिया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के पांच वरिष्ठ अधिकारी अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर यह पता लगाएंगे कि क्या भोजशाला परिसर स्थित कमाल मौला मस्जिद को सरस्वती मंदिर में तोडफोड़ कर बनाया गया था। सर्वेक्षण की रिपोर्ट छह सप्ताह में हाई कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करनी होगी। एएसआइ की टीम भोजशाला के 50 मीटर परिक्षेत्र में जीपीआर, जीपीएस तकनीकों से जांच करेगी। कोर्ट ने एएसआइ से यह भी कहा है कि वह परिसर में स्थित हर चल-अचल वस्तु, दीवाल, पिलर, फर्श सहित सभी की कार्बन डेटिंग तकनीक से जांच करें। इसके अलावा भी उसे लगता है कि वास्तविकता तक पहुंचने के लिए कुछ अन्य जांच करनी है तो भोजशाला परिसर में मौजूद वस्तुओं को नुकसान पहुंचाए बिना करें। अगली सुनवाई 29 अप्रैल को होगी।

भोजशाला को लेकर मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ के समक्ष अलग-अलग याचिकाएं दायर हैं। इन्हीं में से एक याचिका वाराणसी की ज्ञानवापी के सर्वे को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर करने वाली लखनऊ की संस्था हिंदू फ्रंट फार जस्टिस की है। भोजशाला को लेकर प्रस्तुत याचिका में संस्था ने अंतरिम आवेदन प्रस्तुत कर ज्ञानवापी की तर्ज पर भोजशाला का भी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से सर्वे करवाने की मांग की थी। याचिका में कहा है कि मुसलमानों को भोजशाला में नमाज पढ़ने से रोका जाए और हिंदुओं को नियमित पूजा का अधिकार दिया जाए। हर मंगलवार हिंदू भोजशाला में यज्ञ कर उसे पवित्र करते हैं और शुक्रवार को मुसलमान नमाज के नाम पर उन्हीं यज्ञ कुंडों में थूककर उन्हें अपवित्र कर देते हैं। 19 फरवरी को सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया था, जो सोमवार को जारी हुआ। 34 पेज के इस आदेश में कोर्ट ने यह भी कहा है कि पूजा के अधिकार को लेकर कोर्ट एएसआइ की सर्वे रिपोर्ट प्रस्तुत होने के बाद ही विचार करेगी।

121 वर्ष बाद होगा सर्वे

 

धार भोजशाला परिसर में एएसआइ का सर्वे करीब 121 वर्ष बाद होने जा रहा है। इसके पहले वर्ष 1902 में भी एएसआइ ने यहां का सर्वे किया था। एएसआइ ने वर्ष 1902 में हुए सर्वे की जांच रिपोर्ट भी बहस के दौरान कोर्ट में प्रस्तुत की थी। इस रिपोर्ट के साथ एएसआइ ने फोटोग्राफ भी संलग्न किए थे। इनमें भगवान विष्णु, कमल स्पष्ट नजर आ रहे हैं। इस सर्वे रिपोर्ट में यह भी कहा था कि भोजशाला में मंदिर के स्पष्ट संकेत मिले थे। भोजशाला विवाद सदियों पुराना है। परमार वंश के राजा भोज ने 1034 में धार में सरस्वती सदन की स्थापना की थी। यह एक महाविद्यालय था जो बाद में भोजशाला के नाम से विख्यात हुआ। राजा भोज के शासनकाल में ही यहां मां सरस्वती (वाग्देवी) की मूर्ति स्थापित की गई थी, जो भोजशाला के पास खोदाई में मिली थी। 1880 में इसे लंदन पहुंचा दिया गया था। 1456 में महमूद खिलजी ने मौलाना कमालुद्दीन के मकबरे और दरगाह का निर्माण करवाया गया।

ज्ञानवापी में 91 दिन चला एएसआइ सर्वे, 38 दिन में तैयार हुई रिपोर्ट

 

अदालत के आदेश पर ज्ञानवापी परिसर में एएसआइ की ओर से सर्वे चार अगस्त 2923 से दो नवंबर 2023 तक चला। इस दौरान ज्ञानवापी परिसर में वैज्ञानिक विधि से जांच-सर्वे करने के लिए पुरातत्वविद्, रसायनशास्त्री, भाषा विशेषज्ञों, सर्वेयर, फोटोग्राफर समेत तकनीकी विशेषज्ञों की टीम जांच करती रही। परिसर की बाहरी दीवारों (खासतौर पर पश्चिमी दीवार), शीर्ष, मीनार, तहखानों में परंपरागत तरीके से और जीपीएस, ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) आदि समेत अन्य अत्याधुनिक मशीनों के जरिए साक्ष्यों की जांच की गई। दो नवंबर को सर्वे पूरा होने के बाद 38 दिनों में रिपोर्ट तैयारी की गई। सर्वे टीम में रसायन शास्त्री, भाषा विशेषज्ञ, सर्वेयर, अत्याधुनिक मशीनों को संचालित करने वालों विशेषज्ञ व साफ-सफाई करने वाले शामिल थे। एक फोटोग्राफर व एक वीडियोग्राफर दिल्ली से आए थे।

 

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