Bihar Politcs: बिहार विधानसभा में शक्ति परीक्षण से पहले लालू के रडार से RJD के 12 विधायक बाहर

पटना, BNM News: Bihar Politics: बिहार विधानसभा में शक्ति परीक्षण से दो दिन पहले राजद के लगभग 12 विधायक लालू प्रसाद के रडार से बाहर हैं। उनकी खोज-खबर ली जा रही है। फोन मिलाया जा रहा है लेकिन कोई अता-पता नहीं चल रहा है। उनके नजदीकियों के पास ‘विशेष दूत’ भेजकर जानने का प्रयास किया जा रहा है कि वे कहां हैं और संपर्क में रहने से कन्नी क्यों काट रहे हैं। सूचना है कि अबतक लगभग एक दर्जन विधायकों से लालू का संपर्क नहीं हो पा रहा है। जो विधायक संपर्क में भी हैं, उनके बारे में भी संशय कम नहीं हो पा रहा है। लालू की पहुंच से दूर रहने वाले विधायक माय (मुस्लिम-यादव) समीकरण से अलग हैं।

चेतन आनंद और नीलम देवी का बदला खेमा

हालांकि, राजद पहले से ही मानकर चल रहा कि उसके दो विधायक आनंद मोहन के पुत्र चेतन आनंद और मोकामा की नीलम देवी का खेमा बदल चुका है। दोनों का राजद से मोहभंग हो चुका है, किंतु ताजा परेशानी लगभग दस अन्य विधायकों के कन्नी काटने से जुड़ी है। सूत्रों का दावा है कि राजद के एक पूर्व मंत्री के आवास पर तीन-चार दिन पहले गुप्त बैठक हुई थी, जिसमें राजद में रहकर क्या खोया और क्या पाया के आधार पर आत्म-विश्लेषण किया गया था। इस बैठक का निष्कर्ष अन्य विकल्पों पर विचार करने का भी था।

कुछ विधायक सदन में अनुपस्थित हो सकते हैं

सूत्र का यह भी दावा है कि राजद के विपरीत दिशा में चलने का रास्ता यहीं से निकला। तेजस्वी यादव स्पीकर के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के लिए शक्ति परीक्षण के दिन जिस ‘खेला’ होने की बात कर रहे हैं, बहुत संभव है कि वह स्वयं ही उससे प्रभावित हो जाएं और जरूरत के वक्त उनके कुछ विधायक सदन में अनुपस्थित रहें। राजद-कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा के साथ बनी बिहार की नई सरकार की विधानसभा में 12 फरवरी को शक्ति परीक्षण है। इसी दिन विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होगी, जिससे साफ हो जाएगा कि किसके पक्ष में कितने विधायक हैं।

विधायकों पर रखी जा रही नजर

 

अब तक कांग्रेस विधायकों के सबसे ज्यादा टूटने का डर था। यही कारण है कि 19 में से उसके 16 विधायकों को करीब हफ्ते भर से बिहार से बाहर हैदराबाद के रिसार्ट में रखा गया है, जहां कांग्रेस की सरकार है। भाजपा-जदयू की तरफ से भी एहतियात बरता जा रहा है। विधायकों पर नजर रखी जा रही है।

अनहोनी पर भरपाई की व्यवस्था

 

दरअसल, कुछ दिन पहले राजद नेता तेजस्वी यादव के उस बयान का मतलब निकाला जा रहा है, जिसमें उन्होंने कहा था कि खेल अभी खत्म नहीं हुआ है। तेजस्वी का संकेत सदन में नीतीश कुमार की नई सरकार को बहुमत साबित करने के लिए आवश्यक संख्या से है। बिहार में बहुमत साबित करने के लिए कम से कम 122 विधायक चाहिए। सत्ता पक्ष के पास अभी 128 विधायक हैं। किंतु चार विधायकों वाली पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) को विश्वसनीय नहीं माना जा रहा है। पार्टी प्रमुख जीतनराम मांझी ने पहले ही यह बताकर सत्तापक्ष को सशंकित कर दिया है कि लालू प्रसाद की तरफ से उन्हें सीएम पद का आफर दिया गया था। यदि उन्होंने निष्ठा बदल ली और सत्ता पक्ष में कोई ‘अनहोनी’ हो गई तो भरपाई के लिए राजद के असंतुष्ट विधायकों का सहारा चाहिए। ऐसे में राजद के कुछ विधायक अनुपस्थित रहकर सत्ता पक्ष को मदद पहुंचा सकते हैं।

 

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