हरियाणा में भाजपा नेता ने आत्महत्या की: कर्जदारों से परेशान होकर जहरीला पदार्थ निगला

हरीश गुलाटी उर्फ हन्नी गुलाटी।

नरेंद्र सहारण, भिवानी: Haryana News: हरियाणा के भिवानी जिले में एक दुखद घटना ने पूरे क्षेत्र को झकझोर दिया है। यहां एक भाजपा नेता और युवा मोर्चा के सदस्य हरीश गुलाटी (उर्फ हन्नी गुलाटी) ने जहरीला पदार्थ निगलकर जीवनलीला समाप्त कर ली है। इस घटना ने न केवल राजनीतिक हलकों में बल्कि आम जनता के बीच भी चिंता और आक्रोश को जन्म दिया है।

आत्महत्या की प्रारंभिक जानकारी

 

भिवानी जिले के भिवानी थाना क्षेत्र के भिवानी-हांसी रोड पर एक भाजपा नेता द्वारा आत्महत्या किए जाने की खबर ने इलाके को स्तब्ध कर दिया। मृतक की पहचान बवानीखेड़ा निवासी 34 वर्षीय हरीश गुलाटी के रूप में हुई, जो रेवेन्यू विभाग में एक कच्चे कर्मचारी के रूप में कार्यरत थे। घटना के समय उन्होंने जहरीला पदार्थ निगल लिया जिससे उनकी तत्काल मौत हो गई।

पुलिस एवं प्रशासनिक प्रतिक्रिया

 

मामले की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और घटनास्थल का निरीक्षण किया। मृतक के परिवारजन और स्थानीय लोगों के विरोध के कारण पुलिस को जाम भी लगाना पड़ा। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराया और घटना की जांच शुरू कर दी। परिजनों ने पुलिस की कार्यशैली और अधिकारियों के बयानों से नाराजगी जताई, जिसके कारण कुछ समय के लिए जाम लगा रहा। बाद में पुलिस ने समझाने-बुझाने के बाद जाम को खोलने का प्रयास किया।

मृतक का जीवन परिचय

 

हरीश गुलाटी का जन्म बवानीखेड़ा में हुआ था। उनके पिता का नाम गुलाटी है और वह परिवार में एक छोटे से किसान या व्यवसायी परिवार से संबंधित थे। उनके दो बच्चे हैं, जिनमें से एक का नाम नक्ष है और दूसरे का जीवांश। हरीश की पत्नी का नाम काजल है। परिवार पर करीब ढाई से तीन लाख रुपये का कर्ज था जो उनके आर्थिक संघर्ष का मुख्य कारण माना जा रहा है।

करियर और राजनीतिक जुड़ाव

 

हरीश ने अपने करियर की शुरुआत हरियाणा जनहित कांग्रेस (हजकां) से की थी, जहां वह जिला महासचिव पद पर कार्यरत थे। जब भाजपा के नेता कुलदीप बिश्नोई ने भाजपा का दामन थामा, तो हरीश भी भाजपा में शामिल हो गए। वह भाजपा युवा मोर्चा से जुड़े हुए थे और पार्टी के सक्रिय सदस्य थे। उनके राजनीतिक जीवन का उद्देश्य क्षेत्र की जनता की सेवा और पार्टी के कार्यों में भागीदारी था।

व्यक्तिगत जीवन और संघर्ष

 

हरीश का जीवन संघर्षपूर्ण था। आर्थिक परेशानियों, राजनीतिक दबावों और व्यक्तिगत चुनौतियों के बीच वह अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे थे। उनके जीवन में कई बार आर्थिक संकट आए और इन्हीं संकटों ने उनके मनोबल को प्रभावित किया। उनके साथ-साथ उनके परिवार को भी इन समस्याओं का सामना करना पड़ा।

कर्ज का दबाव

 

हरीश ने अपने सुसाइड नोट में स्पष्ट किया है कि वह कर्ज के बोझ तले दबे हुए थे। उनका कहना था कि उन्होंने कई तरह के कर्ज लिए थे और उसका भुगतान करने में असमर्थ थे। उनके पास करीब दो से तीन लाख रुपये का कर्ज था, जो उनके आर्थिक जीवन को मुश्किल बना रहा था।

धमकियां और मानसिक उत्पीड़न

 

हरीश का कहना है कि उन्हें उनके कर्जदारों एवं कुछ व्यक्तियों से धमकियां मिल रही थीं। उनका आरोप है कि कुछ लोग उन्हें जान से मारने की धमकी दे रहे थे। नोट में उन्होंने नाम भी लिए हैं, जिनमें केके गौरिया, नकुल गौरिया, सोनू, सीमा (भिवानी), निशांत बवानीखेड़ा, गोविंद बवानीखेड़ा, प्रिंस, सुशील, सुमित आदि शामिल हैं। इन धमकियों ने उनके मनोबल को तोड़ा और उनके जीवन के प्रति निराशा पैदा की।

धमकियों का विस्तार

 

हरीश का आरोप है कि इन धमकियों के कारण वह अपने घर और ऑफिस में सुरक्षित नहीं थे। लगातार फोन, मैसेज और व्यक्तिगत धमकियों से वह भयभीत थे। उन्होंने बताया कि इन लोगों ने उनके परिवार को भी नुकसान पहुंचाने की धमकी दी थी। उनके मुताबिक, इन धमकियों की वजह से वह अपने जीवन से हार गए।

नौकरी और आर्थिक धोखाधड़ी

 

हरीश ने अपने नोट में बताया कि कुछ दिनों पहले उन्होंने अपने ऑफिस में जॉब दिलवाने वाले लोगों से पैसे लिए थे। बाद में ये लोग उनसे पैसा मांगने लगे और धमकियां देने लगे। उन्होंने इन लोगों के नाम भी बताए हैं, जिनमें निशांत बवानीखेड़ा, गोविंद बवानीखेड़ा, सुमित, प्रिंस, सुशील आदि शामिल हैं। हरीश का आरोप है कि ये लोग पैसे खाने वाले हैं और इनकी धमकियों के कारण वह इतना परेशान हो गए कि उन्होंने आत्महत्या का कदम उठाया।

व्यक्तिगत संबंध और मानसिक तनाव

 

हरीश का कहना था कि उनके अपने परिवार में भी तनाव था। खासतौर पर, उनके भाई साहिल को धमकियां दी जा रही थीं, और उनके परिवार के सदस्यों को भी असुरक्षा का अनुभव हो रहा था। हरीश का मानना था कि ये सभी तनाव और दबाव ही उनके आत्महत्या का कारण बने।

सुसाइड नोट का विश्लेषण

 

हरीश गुलाटी का सुसाइड नोट दो पन्नों का था, जिसमें उन्होंने अपने जीवन के संघर्षों, आर्थिक परेशानियों, धमकियों, और व्यक्तिगत अनुभवों का विस्तृत वर्णन किया है। नोट में उन्होंने स्पष्ट किया है कि उनके परिवार, विशेष रूप से उनके भाई साहिल, माता किरण रानी, उनकी पत्नी काजल, और बच्चों पर उनका कोई जिम्मेदारी नहीं है। उन्होंने लिखा है कि उनकी मौत का कारण उनका कर्ज और उससे जुड़ी धमकियां हैं।

प्रमुख बिंदु

 

परिवार से जिम्मेदारी से इनकार: उन्होंने अपने परिवार को जिम्मेदार नहीं माना और कहा कि वे उनके प्रति जिम्मेदार नहीं हैं।
कर्ज और धमकियों का उल्लेख: उन्होंने बताया कि कर्ज और धमकियों के कारण वह आत्मघाती कदम उठा रहे हैं।

धमकाने वालों के नाम: उन्होंने कई लोगों के नाम लिए हैं, जो उन्हें परेशान कर रहे थे, जैसे केके गौरिया, नकुल गौरिया, सोनू, सीमा, निशांत, गोविंद, प्रिंस, सुशील, सुमित आदि।

आर्थिक धोखाधड़ी का जिक्र: उन्होंने जॉब दिलाने के नाम पर पैसे लेने और फिर धमकाने का भी उल्लेख किया है।
आगे की जीवन की इच्छा: उन्होंने अपने बच्चों और पत्नी का ध्यान रखने की अपील की है और उनके हिस्से की जमीन वगैरह को उनके नाम पर करने का अनुरोध किया है।

मनोवैज्ञानिक विश्लेषण

 

हरीश का नोट दर्शाता है कि वह अत्यधिक दबाव और मानसिक तनाव से गुजर रहे थे। आर्थिक संकट, धमकियां, व्यक्तिगत अपमान, और परिवार की जिम्मेदारी ने उनके जीवन में निराशा और हताशा का वातावरण बना दिया था। उनका यह कदम पूरी तरह से उनके इन संघर्षों का परिणाम प्रतीत होता है।

पुलिस और प्रशासन की जांच

 

भिवानी पुलिस ने इस घटना की प्राथमिक जांच शुरू कर दी है। पुलिस के अनुसार, मृतक के परिजनों के बयान दर्ज किए गए हैं और मामले की जांच के आधार पर ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। पुलिस का कहना है कि मामले में हर पहलू से जांच की जाएगी।

परिजनों का आक्रोश

 

मृतक के परिवारजन पुलिस की कार्यशैली से नाराज थे। उन्होंने पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की और हांसी-भिवानी रोड जाम कर दिया। परिजनों का आरोप है कि पुलिस कुछ मामलों में सही तरीके से जांच नहीं कर रही है। हालांकि, बाद में पुलिस ने समझाने-बुझाने के बाद जाम को खोल दिया।

सामाजिक और राजनीतिक पहलू

 

हरीश ने भाजपा युवा मोर्चा से जुड़ा होने के साथ-साथ हरियाणा जनहित कांग्रेस (हजकां) में जिला महासचिव का पद भी संभाला था। उनके जीवन का एक बड़ा हिस्सा राजनीति में भी था। हालांकि इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि राजनीतिक जुड़ाव उनके जीवन में संघर्ष का कोई समाधान नहीं रहा।

सामाजिक मुद्दे

 

यह मामला केवल व्यक्तिगत संघर्ष का ही नहीं है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक संकट का भी प्रतीक है। कर्ज, दबंगई, धमकियां, और मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी जैसे मुद्दे इस घटना को और भी गंभीर बनाते हैं। यह घटना इस ओर ध्यान आकर्षित करती है कि कैसे आर्थिक और सामाजिक दबावों के कारण लोग अपना जीवन समाप्त कर लेते हैं।

क्‍या है संदेश

 

हरीश गुलाटी की आत्महत्या एक त्रासदीपूर्ण घटना है, जो अनेक सामाजिक, आर्थिक, और मानसिक कारकों का परिणाम है। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि:

आर्थिक संकट का समाधान जरूरी है: कर्ज और वित्तीय दबाव को नियंत्रित करने के लिए बेहतर योजनाएं और सहायता प्रणाली होनी चाहिए।
मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए: मानसिक तनाव से गुजर रहे लोगों के लिए समर्थन और परामर्श सेवाएं उपलब्ध होनी चाहिए।
धमकियों और धमकाने वालों के खिलाफ कठोर कार्यवाही होनी चाहिए: धमकियों को खत्म करने के लिए कानूनी कदम जरूरी हैं।
सामाजिक जागरूकता जरूरी है: समाज में जागरूकता फैलाकर इस तरह के मामलों को रोकना चाहिए।

यह घटना हमें यह भी सिखाती है कि जीवन की कीमत कितनी अनमोल है और हमें अपने आस-पास के लोगों की मानसिक स्थिति का ध्यान रखना चाहिए। परिवार, समाज, और सरकार सभी को मिलकर ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाने चाहिए ताकि किसी और के जीवन का अंत न हो।

अंतिम शब्द

 

हरियाणा के भिवानी में हुई यह घटना एक कड़वी सच्चाई को उजागर करती है कि आर्थिक, सामाजिक, और व्यक्तिगत संघर्ष यदि समय रहते नहीं सुलझाए गए, तो उसका परिणाम बहुत ही भयावह हो सकता है। हमें चाहिए कि हम सभी मिलकर ऐसी घटनाओं को रोकने के प्रयास करें, ताकि जीवन के मूल्य को समझते हुए हम एक सहायक और समर्थ समाज का निर्माण कर सकें।

 

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