कैथल में बर्बरता: मामूली बात पर दबंगों ने व्यक्ति को पीट-पीटकर किया अधमरा

नरेन्‍द्र सहारण, कैथल: Kaithal News: हरियाणा के कैथल जिले का गांव बिच्छियां हाल ही में एक ऐसी घटना का साक्षी बना है जो न केवल मानवता को शर्मसार करती है, बल्कि समाज में व्याप्त असंवेदनशीलता और कानून के प्रति अनादर को भी उजागर करती है। एक व्यक्ति द्वारा अपने घर के पास गली में पेशाब करने से रोकने जैसी छोटी सी बात पर छह आरोपियों ने मिलकर उस पर लाठियों और डंडों से जानलेवा हमला कर दिया। पीड़ित को तब तक पीटा गया और घसीटा गया जब तक वह बेहोश नहीं हो गया। यह घटना न केवल व्यक्तिगत द्वेष की पराकाष्ठा है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे कुछ असामाजिक तत्व कानून को अपनी जागीर समझने की भूल कर बैठते हैं। इस संबंध में पीड़ित की पत्नी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है, जिसके आधार पर पुलिस ने छह आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

विवाद की जड़: एक सामाजिक और नैतिक आग्रह

मामला कैथल जिले के चीका थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गांव बिच्छियां का है। यहां के निवासी कुलविंदर सिंह का परिवार अपने खेतों में बने मकान में रहता है। उनके पड़ोस में ही सुरेश और सुखदेव नामक व्यक्तियों के भी मकान हैं। शिकायतकर्ता नीलम, जो कुलविंदर सिंह की पत्नी हैं, ने पुलिस को दिए अपने बयान में बताया कि उनके पड़ोसी सुरेश कुमार द्वारा कई बार अपने घर से बाहर निकलकर उनकी गली में खुले में पेशाब किया जाता था। यह कृत्य न केवल स्वच्छता की दृष्टि से अनुचित था, बल्कि कुलविंदर के परिवार, विशेषकर महिलाओं के लिए भी असहज स्थिति उत्पन्न करता था।

कुलविंदर ने एक जिम्मेदार नागरिक और पड़ोसी होने के नाते सुरेश की इस हरकत पर कई बार आपत्ति जताई थी। उन्होंने सुरेश को समझाने का प्रयास किया कि ऐसा करना सामाजिक और नैतिक रूप से गलत है, और इससे गंदगी फैलती है। सभ्य समाज में इस प्रकार के आचरण की कोई जगह नहीं होती। परंतु, सुरेश पर इन बातों का कोई सकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा। कुलविंदर के बार-बार टोकने के कारण सुरेश और उसके परिवार के सदस्यों के मन में कुलविंदर के प्रति द्वेष भावना पनपने लगी थी। इसी बात को लेकर पहले भी कई बार दोनों पक्षों के बीच कहासुनी और छोटी-मोटी तकरार हो चुकी थी, लेकिन मामला कभी इतना गंभीर नहीं हुआ था।

तनाव की शुरुआत: 12 मई की शाम

घटना वाले दिन, यानी 12 मई को शाम करीब पांच बजे, स्थिति ने गंभीर रूप लेना शुरू कर दिया। सुरेश कुमार और सुखदेव के लड़के संजीव के साथ कुलविंदर की इसी बात को लेकर फिर से तकरार हो गई। कहासुनी कुछ बढ़ी, लेकिन आस-पास के लोगों या स्वयं दोनों पक्षों ने शायद यह अनुमान नहीं लगाया होगा कि यह मामूली विवाद रात में एक भयानक रूप ले लेगा। शाम की कहासुनी के बाद दोनों पक्ष अपने-अपने घरों को चले गए। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि मामला शांत हो गया है, लेकिन शायद आरोपियों के मन में प्रतिशोध की आग सुलग रही थी।

योजनाबद्ध तरीके से किया जानलेवा हमला

 

उसी रात, जब गांव की गतिविधियां शांत होने लगती हैं और परिवार अपने घरों में सिमट जाते हैं, लगभग साढ़े आठ बजे, सुरेश, उसका साथी संजीव और विक्रम नामक एक अन्य व्यक्ति कुलविंदर के घर पर आ धमके। वे कुलविंदर के घर के बाहर खड़े होकर ऊंची आवाज में ललकारने लगे और गालियां देने लगे। उनकी आवाजों में दिन की तकरार की शांति नहीं, बल्कि एक गहरा रोष और चुनौती का भाव था। इससे कुलविंदर का परिवार दहशत में आ गया।

स्थिति तब और बिगड़ गई जब आरोपियों में से एक संजीव कुमार, ने मुख्य गेट फांदकर कुलविंदर के घर के परिसर में प्रवेश किया। घर में घुसने के बाद उसने अंदर से गेट खोल दिया, जिसके बाद बाकी आरोपी – सुरेश और विक्रम – भी डंडे, लाठियां और अन्य संभावित हथियार लेकर घर में घुस आए। इस समय घर में कुलविंदर, उनकी पत्नी नीलम और शायद उनके बच्चे भी मौजूद रहे होंगे, जिनके लिए यह मंजर अत्यंत भयावह रहा होगा।

अमानवीय क्रूरता: बेहोशी तक पीटा और घसीटा

घर में घुसते ही आरोपियों ने कुलविंदर पर हमला बोल दिया। वे उसे मारते-पीटते हुए घर से बाहर खींचकर ले गए। नीलम के अनुसार, आरोपी उसके पति को घसीटते हुए पास ही में पड़े गोबर के एक ढेर तक ले गए। वहां, उन्होंने कुलविंदर पर डंडों और लाठियों से ताबड़तोड़ प्रहार करना शुरू कर दिया। हमलावरों की संख्या अधिक थी और वे हथियारों से लैस थे, जबकि कुलविंदर निहत्था था। आरोपियों ने क्रूरता की सारी हदें पार करते हुए कुलविंदर को तब तक बेरहमी से पीटा जब तक वह गंभीर रूप से घायल होकर बेहोश नहीं हो गया।

इतने पर भी हमलावरों का मन नहीं भरा। इसी बीच, राजकुमार और सुखदेव (संजीव का पिता) भी मौके पर पहुंच गए। उन्होंने भी बेहोश पड़े कुलविंदर को लात-घूंसों से मारा, जो उनकी संवेदनहीनता और क्रूर मानसिकता को दर्शाता है। यह स्पष्ट रूप से एक जानलेवा हमला था, जिसका उद्देश्य शायद कुलविंदर को गंभीर नुकसान पहुंचाना या उससे भी बुरा कुछ करना था।

जब आस-पास के लोगों ने शोर-शराबा और मारपीट की आवाजें सुनीं और वे घटनास्थल की ओर आने लगे, तो आरोपियों को पकड़े जाने का डर सताया। लोगों को अपनी ओर आता देख, सभी आरोपी कुलविंदर और उसके परिवार को जान से मारने की धमकी देते हुए मौके से फरार हो गए।

पीड़ित परिवार की आपबीती

इस पूरी भयावह घटना की प्रत्यक्षदर्शी और पीड़ित कुलविंदर की पत्नी नीलम ने हिम्मत दिखाते हुए चीका थाना में पुलिस को शिकायत दी। अपने बयान में उन्होंने विस्तार से बताया कि कैसे उनके पति को मामूली बात पर निशाना बनाया गया और किस बर्बरता से उन पर हमला किया गया। उन्होंने बताया कि वे अपने खेतों में मकान बनाकर शांतिपूर्वक रह रहे हैं, लेकिन पड़ोसियों की इस हरकत ने उनके जीवन में भय और असुरक्षा का माहौल पैदा कर दिया है। नीलम ने आरोपियों सुरेश, संजीव, विक्रम, राजकुमार और सुखदेव तथा एक अन्य अज्ञात व्यक्ति (कुल छह आरोपी) के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की है। उसका आरोप है कि यह हमला पूर्व नियोजित था और आरोपियों का इरादा उनके पति को गंभीर चोट पहुंचाना या जान से मारना था।

खेतों में असुरक्षित जीवन: एकांत का अभिशाप

यह घटना इस बात पर भी प्रकाश डालती है कि खेतों में या आबादी से कुछ दूर बने घरों में रहने वाले परिवारों की सुरक्षा कितनी নাजुक हो सकती है। ऐसे स्थानों पर पड़ोसी ही सबसे करीबी सहारा होते हैं, लेकिन जब वही पड़ोसी दुश्मन बन जाएं तो स्थिति अत्यंत गंभीर और असुरक्षित हो जाती है। रात के समय, जब मदद पहुंचने में समय लग सकता है, ऐसे परिवार असामाजिक तत्वों के लिए आसान निशाना बन सकते हैं। कुलविंदर का परिवार भी इसी प्रकार की स्थिति का शिकार हुआ, जहां उनके अपने ही पड़ोसियों ने उनके घर में घुसकर उन पर हमला किया।

पुलिस की कार्रवाई: कानून का पहला कदम

नीलम की शिकायत के आधार पर चीका थाना पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए नामजद छह आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है। इनमें मारपीट, घर में अनाधिकृत प्रवेश, जान से मारने की धमकी देना और अन्य संबंधित धाराएं शामिल हो सकती हैं। चीका थाना प्रभारी, बलबीर सिंह ने मीडिया को बताया कि पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है और मामले की गहनता से जांच की जा रही है। उन्होंने आश्वासन दिया कि जांच के आधार पर जो भी तथ्य सामने आएंगे, उनके अनुसार आगामी कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। पुलिस द्वारा आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास भी किए जा रहे हैं।

सार्वजनिक स्थानों पर अभद्रता और स्वच्छता का सवाल

 

यह घटना एक छोटी सी बात, यानी सार्वजनिक रूप से पेशाब करने, से शुरू हुई। यह कृत्य न केवल सामाजिक रूप से अशोभनीय है, बल्कि यह स्वच्छता और स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है। भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे “स्वच्छ भारत अभियान” जैसे कार्यक्रमों के बावजूद, आज भी कई लोगों में नागरिक बोध (civic sense) की भारी कमी दिखाई देती है। खुले में शौच या पेशाब करना, कूड़ा कहीं भी फेंक देना जैसी आदतें समाज की प्रगति में बाधक हैं। जब कोई व्यक्ति इस प्रकार की अभद्रता पर आपत्ति जताता है, तो उसे दोषी व्यक्ति के क्रोध का सामना करना पड़ता है, जैसा कि कुलविंदर के मामले में हुआ।

पड़ोसियों के बीच बिगड़ते संबंध

 

पड़ोसी समाज की एक महत्वपूर्ण इकाई होते हैं। अच्छे पड़ोसी सुख-दुःख में भागीदार बनते हैं और एक सुरक्षित माहौल प्रदान करते हैं। लेकिन इस मामले में पड़ोसियों ने ही पीड़ित परिवार का जीवन दूभर कर दिया। यह घटना दर्शाती है कि समाज में सहिष्णुता का स्तर कितना गिर गया है। छोटी-छोटी बातों पर लोग हिंसक हो जाते हैं और बदला लेने पर उतारू हो जाते हैं। संवाद और आपसी समझ की बजाय अहंकार और आक्रामकता रिश्तों पर हावी हो रही है।

कानून का डर या दबंगई?

 

आरोपियों का व्यवहार यह भी दिखाता है कि उनमें कानून का कोई भय नहीं है। दिन में हुई कहासुनी का बदला लेने के लिए रात में योजनाबद्ध तरीके से हमला करना, घर में घुसना, और एक व्यक्ति को जान से मारने की हद तक पीटना – यह सब दबंगई और गुंडागर्दी का परिचायक है। ऐसा प्रतीत होता है कि आरोपी यह मानकर चल रहे थे कि वे कुछ भी कर सकते हैं और उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा। इस प्रकार की मानसिकता समाज के लिए अत्यंत घातक है।

ग्रामीण परिवेश में न्याय और सुरक्षा की चुनौतियां

हालांकि यह घटना किसी भी शहरी या ग्रामीण क्षेत्र में हो सकती है, लेकिन ग्रामीण परिवेश में कई बार ऐसे मामलों में पीड़ित पक्ष पर दबाव बनाने या समझौते के लिए मजबूर करने की कोशिशें भी की जाती हैं। पीड़ित परिवार, जो पहले से ही शारीरिक और मानसिक आघात झेल रहा होता है, उसे न्याय पाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ सकता है। खेतों में बने एकांत घरों की सुरक्षा भी एक महत्वपूर्ण पहलू है जिस पर ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।

आगे की राह और न्याय की उम्मीद

पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है, जो न्याय की दिशा में पहला कदम है। अब आवश्यकता इस बात की है कि:

निष्पक्ष और त्वरित जांच

 

पुलिस को बिना किसी दबाव के निष्पक्ष जांच करनी चाहिए और सभी साक्ष्यों को एकत्रित करना चाहिए। आरोपियों की शीघ्र गिरफ्तारी: फरार आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाना चाहिए ताकि वे जांच को प्रभावित न कर सकें या पीड़ित परिवार को और डरा-धमका न सकें। पीड़ित को सुरक्षा और सहायता: पीड़ित कुलविंदर सिंह को उचित चिकित्सा सुविधा और पीड़ित परिवार को सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए। उन्हें मानसिक आघात से उबरने के लिए परामर्श भी उपलब्ध कराया जा सकता है।

कठोर कानूनी कार्रवाई

यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो दोषियों को कानून के तहत सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए ताकि भविष्य में कोई और इस तरह का अपराध करने का दुस्साहस न कर सके।

सामाजिक जागरूकता

समाज में नागरिक बोध, सहिष्णुता और कानून के प्रति सम्मान की भावना को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए।

स्याह पहलू

कैथल के गांव बिच्छियां की यह घटना एक अकेली घटना नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज के उस स्याह पहलू को दर्शाती है जहां छोटी सी बात पर भी लोग हिंसक हो उठते हैं और कानून को हाथ में लेने से नहीं हिचकते। यह घटना स्वच्छता, सामाजिक व्यवहार, पड़ोसियों के संबंधों और कानून व्यवस्था जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर गंभीर प्रश्न खड़े करती है। उम्मीद है कि पुलिस इस मामले में त्वरित और निष्पक्ष कार्रवाई करेगी और पीड़ित कुलविंदर सिंह तथा उनके परिवार को न्याय मिलेगा। साथ ही, समाज को भी इस घटना से सबक लेते हुए अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों के प्रति अधिक सचेत और संवेदनशील होने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सके। एक सभ्य और सुरक्षित समाज का निर्माण तभी संभव है जब प्रत्येक नागरिक कानून का सम्मान करे और दूसरों के अधिकारों और भावनाओं के प्रति संवेदनशील हो।

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