लखनऊ, BNM News: Solar Expressway: उत्तर प्रदेश सरकार ने बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे को राज्य के पहले सोलर एक्सप्रेसवे में बदलने की योजना बनाई है। इसके लिए 1700 हेक्टेयर जमीन की पहचान भी कर ली गई है। यूपीडा केउच्चाधिकारियों के अनुसार, इस परियोजना का अपेक्षित जीवनकाल 25 वर्ष है। इससे 500 मेगावॉट सौर उर्जा के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) इस परियोजना के लिए निवेशक कंपनियों के प्रस्तावों का अध्ययन कर रहा है। 8 प्रमुख सोलर पावर डेवलपर्स ने अपना प्रेजेंटेशन पूरा कर लिया है। इनमें टस्को , टोरेंट पावर ., सोमाया सोलर सॉल्यूशंस ., 3 आर मैनेजमेंट , अवाडा एनर्जी , एरिया बृंदावन पावर , एरिशा ई मोबिलिटी और महाप्राइट शामिल हैं।
एक्सप्रेसवे की ऊर्जा आवश्यकताओं की होगी पूर्ति
इस परियोजना के पूर्ण होने पर बड़ी मात्रा में ग्रीन एनर्जी जेनरेट होगी। ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन कम होगा और जलवायु परिवर्तन की दर में कमी आएगी। एक एनर्जी सोर्स में वृद्धि होगी, जिससे ओपन ग्रिड एक्सेस के रूप में आर्थिक गतिविधियों में भी इजाफा होगा। एक्सप्रेसवे पर इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग और अन्य ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति होगी। यही नहीं, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे को सोलर एक्सप्रेसवे के रूप में विकसित करने से यूपीडा को भी बड़े पैमाने पर लाभ होगा। इसके माध्यम से यूपीडा को लीज रेंट के रूप में 4 करोड़ रुपये की आय की संभावना है। साथ ही, उत्पन्न ऊर्जा के विक्रय के भाग के रूप में उसे 50 करोड़ रुपये वार्षिक लाभ मिल सकता है। साथ ही बुंदेलखंड, पूर्वांचल, आगरा-लखनऊ और गोरखपुर एक्सप्रेसवे पर सोलर प्लांट्स लगने से उसे ऊर्जा खपत पर सालाना 6 करोड़ रुपये का लाभ हो सकता है।
सोलर प्लांट के लिए उपयुक्त है बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे
बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे, सोलर पावर प्लांट्स के लिए पूरी तरह उपयुक्त है। सबसे प्रमुख वजह यहां भूमि की आसान उपलब्धता है। इसके अलावा यह ड्राई रीजन (शुष्क क्षेत्र) है और साफ मौसम के साथ ही यहां प्रति वर्ष लगभग 800-900 मिमी औसत वर्षा होती है। बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे के दोनों के बीच लगभग 15 से 20 मीटर चौड़ाई की पट्टी वाला क्षेत्रफल पूरे एक्सप्रेस-वे में फिलहाल खाली है जिसे कृषि भूमि से अलग करने व बाड़ लगाने के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।