प्रियंका गांधी के साथ आज संभल आएंगे राहुल गांधी, आसपास के जिलों में किया गया अलर्ट

नई दिल्‍ली, बीएनएम न्‍यूज : संभल में हालिया हिंसा ने न केवल जिले के माहौल को अशांत किया है, बल्कि राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में भी हलचल मचा दी है। जामा मस्जिद में हुए सर्वे के बाद उपजे विवाद और हिंसा के कारण जिले में बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर रोक लगाई गई है। बावजूद इसके कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) के नेताओं ने जिले में पहुंचकर अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने का प्रयास किया है।

कांग्रेस नेताओं की ‘चुपके’ से एंट्री और राहुल गांधी का आगामी दौरा

 

जिले में बाहरी लोगों के प्रवेश पर पाबंदी के बावजूद मंगलवार की तड़के कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव प्रदीप नरवाल, प्रदेश उपाध्यक्ष रिजवान कुरैशी और महासचिव सचिन चौधरी ने पुलिस को चकमा देकर हिंसा में मारे गए व्यक्तियों के परिवारों से मुलाकात की। ये नेता हयातनगर निवासी नोमान खां के घर पहुंचे, जो हिंसा के दौरान मारे गए थे। उनके बेटे अदनान ने बताया कि कांग्रेस नेताओं ने उनकी फोन पर राहुल गांधी से बात कराई। राहुल गांधी ने अदनान से दुख की घड़ी में साथ खड़े रहने का आश्वासन दिया और जल्द संभल आने का वादा किया। इसके बाद कांग्रेस नेता बिलाल अंसारी के घर भी पहुंचे और वहां के स्वजनों को सांत्वना दी।

कांग्रेस द्वारा जारी कार्यक्रम के मुताबिक, प्रियंका गांधी के साथ राहुल गांधी बुधवार को संभल पहुंचेंगे। उनका कार्यक्रम सुबह 10 बजे दिल्ली से रवाना होकर दोपहर 1 बजे हिंसा प्रभावित परिवारों से मुलाकात का है। हालांकि, जिला प्रशासन ने इस दौरे को लेकर सख्ती बरतने का संकेत दिया है। संभल जिले में सुरक्षा चौकसी बढ़ा दी गई है और डीएम राजेंद्र पैंसिया ने पड़ोसी जिलों के डीएम को पत्र लिखकर राहुल गांधी को संभल में प्रवेश से रोकने का अनुरोध किया है।

सपा नेताओं की जेल में ‘अवैध’ मुलाकात और प्रशासन की सख्ती

 

दूसरी ओर, सपा नेताओं ने मुरादाबाद जेल में बंद संभल हिंसा के आरोपितों से मुलाकात की, जिससे विवाद खड़ा हो गया। सोमवार को सपा के पूर्व सांसद डॉ. एसटी हसन, ठाकुरद्वारा विधायक नवाबजान और नौगंवा सादात (अमरोहा) से विधायक चौधरी समरपाल सिंह ने जेल जाकर हिंसा के आरोपितों से मुलाकात की।

यह मुलाकात अवैध तरीके से हुई और इस पर मुरादाबाद के डीएम अनुज सिंह ने संज्ञान लिया। प्रशासन ने पूरे मामले की रिपोर्ट शासन को भेजी और जेल प्रशासन के खिलाफ जांच शुरू कर दी। डीआईजी जेल कुंतल किशोर ने छापा मारकर जेल की व्यवस्थाओं की गहन जांच की। इसमें जेल अधीक्षक पीपी सिंह, जेलर विक्रम सिंह यादव और अन्य कर्मियों की लापरवाही उजागर हुई है। प्रशासन ने इस पर सख्त कार्रवाई का संकेत दिया है।

संभल में जेल नहीं होने के कारण हिंसा के आरोपित मुरादाबाद जेल में बंद हैं। जेल प्रशासन की लापरवाही और नेताओं की अवैध मुलाकात ने प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

भाजपा की प्रतिक्रिया: कांग्रेस और सपा पर निशाना

संभल हिंसा पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा प्रदेशाध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने कांग्रेस और सपा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि यह प्रकरण सपा की अंदरूनी खींचतान और वर्चस्व की लड़ाई का नतीजा है। चौधरी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस और सपा संवैधानिक संस्थाओं पर विश्वास नहीं करतीं और आम जनता के मन में अविश्वास का भाव पैदा करने की कोशिश करती हैं।

भाजपा नेता ने कांग्रेस और सपा के नेताओं द्वारा मृतकों के परिवारों से मिलने को ‘राजनीतिक पर्यटन’ करार दिया। उन्होंने कहा कि इन पार्टियों को मारे गए लोगों के परिवारों की कोई परवाह नहीं है और वे केवल वोट बैंक की राजनीति में लगे हुए हैं।

प्रशासनिक चुनौती और संवेदनशीलता का संकट

संभल हिंसा ने प्रशासन के सामने गंभीर चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। हिंसा के बाद जिले में शांति व्यवस्था बनाए रखना और बाहरी हस्तक्षेप रोकना प्राथमिकता बन गई है। इसके बावजूद राजनीतिक दलों के नेता अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने में लगे हैं, जिससे स्थिति और जटिल हो गई है।

जिला प्रशासन ने सुरक्षा बढ़ाने के साथ-साथ बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर रोक लगाई है, लेकिन नेताओं द्वारा नियमों का उल्लंघन प्रशासन की प्रभावशीलता पर सवाल खड़े करता है। जेल में नेताओं की अवैध मुलाकात और कांग्रेस नेताओं की चुपके से एंट्री ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि राजनीतिक दल संवेदनशील मुद्दों को भी अपने हित के लिए इस्तेमाल करने से पीछे नहीं हटते।

 

 

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