बेंगलुरु भगदड़ मामले में आरसीबी और राज्य क्रिकेट संघ पर केस दर्ज , पुलिस कमिश्नर समेत कई अफसरों पर कार्रवाई

बेंगलुरु : चिन्नास्वामी स्टेडियम के पास मची भगदड़ के सिलसिले में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी), इवेंट मैनेजमेंट कंपनी डीएनए एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड, कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। एफआइआर में गैर इरादतन हत्या जैसा गंभीर आरोप लगाया गया है। आरसीबी द्वारा पहली बार आइपीएल का खिताब जीतने के जश्न में शामिल होने के लिए बुधवार को चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर लाखों की संख्या में प्रशंसक उमड़ पड़े थे। इस दौरान मची भगदड़ में 11 लोगों की मौत हो गई और 56 अन्य घायल हो गए। अधिकारियों ने बताया कि पुलिस निरीक्षक की शिकायत के बाद कब्बन पार्क थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई। मामले को जांच के लिए सीआइडी को सौंप दिया गया है। रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) के मार्केटिंग हेड निखिल सोसले को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। वहीं तीन लोगों को हिरासत में लिया गया है।
आवश्यक अनुमति नहीं ली गई
एफआइआर में आरसीबी को आरोपित नंबर 1, डीएनए एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड को आरोपित नंबर 2 और कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ प्रशासनिक समिति को आरोपित नंबर 3 बनाया गया है। एफआइआर में दावा किया गया है कि कार्यक्रम के आयोजन के लिए आवश्यक अनुमति नहीं ली गई थी। आरसीबी, डीएनए इवेंट मैनेजमेंट फर्म और राज्य क्रिकेट संघ ने आवश्यक अनुमति के बिना जीत का जश्न मनाया। आरसीबी ने कहा कि वह अपने खिलाफ दर्ज एफआइआर के बाद कानूनी कार्यवाही में सहयोग करेगा। फ्रेंचाइजी के एक सूत्र ने बताया, हम फिलहाल कानूनी कार्यवाही पर टिप्पणी नहीं कर सकते। लेकिन हम सभी सरकारी और न्यायिक अधिकारियों के साथ सहयोग करेंगे।
स्टेटस रिपोर्ट पेश करने का निर्देश
इस बीच कर्नाटक हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को मामले में स्टेटस रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। अदालत ने मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया और 10 जून तक विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट दायर करने को कहा। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश वी. कामेश्वर राव और जस्टिस सीएम जोशी की पीठ ने अदालत की रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह इस मामले को स्वत: संज्ञान जनहित याचिका के रूप में देखे।
एडवोकेट जनरल शशि किरण शेट्टी ने हाई कोर्ट को बताया कि स्टेडियम में मुफ्त प्रवेश की घोषणा के कारण गेट पर भारी भीड़ उमड़ पड़ी, जिससे भगदड़ मच गई। आरसीबी की खिताबी जीत के बाद पूरे शहर में जश्न के दौरान पुलिस और सुरक्षा कर्मियों की तैनाती का जिक्र करते हुए शेट्टी ने कहा कि चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर स्थिति अराजक हो गई। स्टेडियम की क्षमता 30 हजार थी, लेकिन 2.5 लाख से अधिक लोग इकट्ठा हो गए।
पुलिस कमिश्नर समेत 8 अफसरों को निलंबित करने का आदेश
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरमैया ने चिन्नास्वामी स्टेडियम के सामने मची भगदड़ के सिलसिले में बेंगलुरु के पुलिस कमिश्नर बी दयानंद और कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को कर्तव्य में लापरवाही के लिए निलंबित करने का आदेश दिया। वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी सीमांत कुमार सिंह को अगले आदेश तक बेंगलुरु का नया पुलिस आयुक्त नियुक्त किया गया है। मुख्यमंत्री ने आरसीबी, डीएनए इवेंट मैनेजर और कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ के प्रतिनिधियों की गिरफ्तारी का भी आदेश दिया है। मुख्यमंत्री ने कर्नाटक हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस माइकल कुन्हा की अध्यक्षता वाले एक सदस्यीय न्यायिक आयोग को मामले की जांच सौंप दी है। आयोग को 30 दिनों में रिपोर्ट देने को कहा गया है। राज्य सरकार ने कब्बन पार्क पुलिस स्टेशन के सर्किल पुलिस इंस्पेक्टर और उस क्षेत्र के सहायक पुलिस आयुक्त, मध्य क्षेत्र के पुलिस उपायुक्त, स्टेडियम के प्रभारी अतिरिक्त पुलिस आयुक्त और बेंगलुरु शहर के पुलिस आयुक्त को भी तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का निर्णय लिया है।
बड़े आयोजनों के लिए बनेगी नई एसओपी
भगदड़ की घटना से सबक लेते हुए कर्नाटक सरकार ने बड़े आयोजनों के लिए नई मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) बनाने का फैसला किया है। गृह मंत्री जी परमेश्वर ने गुरुवार को बताया कि कर्नाटक सरकार बड़े आयोजनों, सभाओं और जश्न के लिए एक नई एसओपी तैयार करेगी, ताकि भविष्य में किसी भी अप्रिय घटना को टाला जा सके। परमेश्वर ने संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कहा कि आरसीबी की खिताबी जीत के जश्न में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए थे। सरकार उन खामियों का पता लगाएगी, जिनकी वजह से यह हादसा हुआ। अब से कोई भी बड़ा आयोजन या समारोह पुलिस विभाग द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार ही आयोजित किया जाएगा। नई एसओपी इस तरह से बनाई जाएगी कि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
आरसीबी ने मृतकों के परिवारों को 10-10 लाख रुपये देने की घोषणा की
आइपीएल चैंपियन रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु ने जीत के जश्न के दौरान चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर मची भगदड़ में मारे गए 11 समर्थकों के परिवारों को 10-10 लाख रुपये की वित्तीय सहायता देने की घोषणा की है। आरसीबी ने कहा कि इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने हमें बहुत पीड़ा और दर्द दिया है। इस घटना में 50 से अधिक लोग घायल भी हुए। उनकी सहायता के लिए एक कोष स्थापित किया जा रहा है। इससे पहले राज्य सरकार भी मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा कर चुकी है।
ज्यादातर घायलों को अस्पताल से छुट्टी दी गई
भगदड़ में घायल ज्यादातर लोगों को अस्पतालों से छुट्टी दे दी गई है। कुछ घायलों का इलाज अभी जारी है, लेकिन वे खतरे से बाहर हैं। बेंगलुरु के बोरिंग एंड लेडी कर्जन अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक टी केंपाराजू ने बताया कि अस्पताल में भर्ती 10 में से आठ मरीजों को छुट्टी दे दी गई है। दो अन्य का इलाज अभी जारी है। अस्पताल लाए जाने वाले ज्यादातर मरीजों को मामूली खरोंच, सांस लेने में तकलीफ और घबराहट की शिकायत थी। वैदेही सुपर स्पेशियलिटी हास्पिटल के प्रवक्ता ने बताया कि अस्पताल में कुल 16 मरीज लाए गए थे। इनमें से चार को मृत घोषित कर दिया गया था, जबकि 12 अन्य को भर्ती कर लिया गया था। 10 मरीजों को इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई है, जबकि दो अन्य को निगरानी में रखा गया है।
बेंगलुरु पुलिस की त्वरित कार्रवाई से भगदड़ टली
बेंगलुरु पुलिस ने गुरुवार को बताया कि तीन जून की रात को आरसीबी की जीत पर जश्न के दौरान यहां राज्य सचिवालय के पास भगदड़ की आशंका को त्वरित कार्रवाई से टाल दिया गया। हैदराबाद में प्रशंसक आरसीबी की जीत का जश्न मनाने के लिए सड़कों पर उतर आए। कुछ स्थानों पर, खासकर सचिवालय के पास अराजक स्थिति उत्पन्न हो गई। इसके कारण पुलिस को अतिरिक्त बल भेजना पड़ा। अराजक तरीके से व्यवहार कर रहे लोगों को तितर-बितर करने के लिए हल्का बल प्रयोग करना पड़ा।
केस दर्ज कराने के लिए चार घंटे इंतजार पड़ा
चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर भगदड़ में मरने वाली 15 वर्षीय दिव्यांशी के परिवार ने कहा कि उसे एफआइआर दर्ज कराने से पहले करीब चार घंटे इंतजार करना पड़ा। गुरुवार को शोकाकुल परिवार के घर पर रिश्तेदार एकत्रित हुए, जब किशोरी का शव अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया। किशोरी के पिता शिवकुमार ने बताया कि कैसे गेट नंबर 15 पर धक्का दिए जाने के बाद उनकी बेटी गिर गई। उन्होंने कहा कि उस समय उनकी पत्नी भी मौजूद थीं। अधिकारी आए और बाद में मिले, लेकिन कोई उचित सहायता नहीं दी गई। उन्होंने उचित प्राथमिक उपचार भी नहीं दिया। अंत में मेरी बेटी को पुलिस की सहायता के बिना एक आटो में ले जाया गया। यहां तक कि एफआइआर दर्ज कराने के लिए भी हमें चार घंटे इंतजार करना पड़ा। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को पूरी जिम्मेदारी लेनी चाहिए।