Kota Suicide Case: कोटा में कोचिंग छात्र-छात्राओं के बढ़ते आत्महत्या के मामलों में प्रशासन की नई पहल
जयपुर, BNM News: राजस्थान के कोटा में कोचिंग छात्र-छात्राओं के बढ़ते आत्महत्या के मामलों को देखते हुए प्रशासन ने अब नई पहल की है। जिला कलक्टर ने निर्देश दिए हैं कि अब प्रत्येक हास्टल में काउंसलर्स तैनात किए जाएंगे। ये काउंसलर्स छात्रों से नियमित तौर पर संवाद कर उनकी मानसिक स्थिति का आकलन करेंगे । यदि किसी छात्र में कोई अवसाद या तनाव के लक्षण दिखाई देते हैं तो उस बारे में तुरंत अधिकारियों को सूचित किया जाएगा। छात्रों के अभिभावकों को सूचना दी जाएगी।
हास्टल में छात्रों से संवाद करेंगे काउंसलर्स
काउंसलर्स छात्रों को किसी भी तरह की समस्या होने पर मदद के लिए प्रोत्साहित करेंगे । जिला प्रशासन ने एक पोस्टर भी तैयार किया है। इस पोस्टर में 24 घंटे छात्रों की मदद के लिए संचालित की जा रही हेल्पलाइन के नंबर,जिला प्रशासन के स्टूडेंट पोर्टल,कोटा पुलिस स्टूडेंट सेल के फोन नंबर व ई-मेल आईडी बताई गई है। ये पोस्टर सभी कोचिंग संस्थानों और हास्टल में लगाए जाएंगे जिला कलक्टर महावीर प्रसाद मीणा ने बताया कि छात्रों को जागरूक करने के लिए अलग-अलग टीम बनाई गई है।
हास्टल संचालकों के खिलाफ कार्रवाई होगी
ये टीम छात्रों से संवाद करने के साथ ही हास्टल की भी जांच करेगी। यह जांच करेगी कि हास्टल संचालक प्रशासन द्वारा तय की गई गाइडलाइन का पालन कर रहे हैं या नहीं कर रहे हैं। टीम यह देखेगी कि कमरों के पंखों में हैंगिंग डिवाइस है या नहीं, छात्रों के स्वास्थ्य की नियमित जांच की जा रही है या नहीं, इसके अलावा भोजन की गुणवत्ता और सुविधाओं की उपलब्धता है या नहीं है। यदि कोई कमी मिली तो हास्टल संचालकों के खिलाफ कार्रवाई होगी। उल्लेखनीय है कि कोटा में इस साल अब तक 27 छात्रों ने आत्महत्या की है।
सेल में खास पुलिसकर्मी…
कोटा के सहायक पुलिस अधीक्षक (एएसपी) चंद्रशील ठाकुर ने बताया कि सेल में एक नियंत्रण कक्ष है, जहां कर्मियों को कॉल रिसीव करने के लिए तैनात किया गया है। वे छात्रों की समस्याओं पर ध्यान देते हैं और यदि किसी छात्र को पेशेवर मदद की आवश्यकता होती है तो उन्हें परामर्शदाताओं के पास भेजते हैं। ठाकुर ने बताया कि सेल में 11 पुलिसकर्मी हैं। इनकी उम्र 40 के आसपास है और जिनके किशोर बच्चे हैं। इससे उनके लिए छात्रों की समस्याओं को समझना आसान होगा। गौरतलब है, इस साल अब तक 22 छात्रों के करने के मामले सामने आ चुके हैं।
ऐसे कर रही निगरानी
टीम छात्रावासों का औचक दौरा कर छात्रों से संवाद करती हैं। अगर छात्र में दबाव, तनाव या अवसाद के लक्षण दिखाई देते हैं तो उनके माता-पिता को सूचित किया जाता है। टीम सुबह नौ बजे काम शुरू कर देती है और प्रतिदिन करीब 15 छात्रावासों का दौरा करती है।
हर गतिविधि पर नजर
टीम अब तक करीब 60,000 छात्रों से संपर्क कर चुकी है। साथ ही वार्डन से भी संपर्क करते हैं ताकि जान सकें कि क्या उन्हें छात्र के व्यवहार में कोई बदलाव दिखा है, जैसे छात्र कक्षा में नहीं जा रहा है या भोजन नहीं ले रहा। हमारी कोशिश है कि ऐसे छात्रों की पहचान करके हम कोई घातक कदम उठाने से पहले ही उनकी मदद कर पाएं।