कलायत अनाज मंडी में गहराया संकट: व्यापारियों और ट्रक यूनियन के बीच तनाव, धान की खरीद-लोडिंग ठप, किसान एमएसपी से वंचित

 

नरेन्द्र सहारण कैथल हरियाणा के कलायत अनाज मंडी में व्यापारियों और नवगठित ट्रक यूनियन के बीच उत्पन्न तनाव ने मंडी की कार्यप्रणाली को पूरी तरह ठप कर दिया है। पिछले दो दिनों से धान की खरीद और लोडिंग बंद होने से मंडी में अराजकता का माहौल है। व्यापारियों ने ट्रक यूनियन पर मनमानी करने और धान के उठान में बाधा डालने के गंभीर आरोप लगाए हैं, जबकि यूनियन ने इन आरोपों को खारिज करते हुए व्यापारियों पर ओवरलोडिंग जैसे अनुचित कार्यों का इल्जाम लगाया है। इस विवाद का सबसे अधिक खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है, जो न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से वंचित होकर औने-पौने दामों पर धान बेचने को मजबूर हैं।

 

### व्यापारियों के आरोप: ट्रक यूनियन की मनमानी

मंडी एसोसिएशन के प्रधान अनिल गालव के नेतृत्व में व्यापारियों ने बृहस्पतिवार को अग्रवाल धर्मशाला में एक आपातकालीन बैठक आयोजित की। इस दौरान व्यापारियों ने ट्रक यूनियन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि यूनियन के सदस्य एजेंसी द्वारा आवंटित वाहनों को मंडी में प्रवेश करने से रोक रहे हैं और धान के उठान के लिए केवल अपनी गाड़ियों का उपयोग करने का दबाव बना रहे हैं। व्यापारियों का कहना है कि यूनियन के सदस्य बाहर से आए चालकों को धमकाने और मंडी में जगह-जगह वाहन खड़े करके जाम की स्थिति पैदा करने में लगे हैं। इस अव्यवस्था के चलते व्यापारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक मंडी में पारदर्शी और व्यवस्थित कार्यप्रणाली सुनिश्चित नहीं की जाती, वे धान की खरीद शुरू नहीं करेंगे। व्यापारियों ने इस स्थिति को “निजी स्वार्थों के लिए मंडी में अराजकता फैलाने” की साजिश करार दिया।

 

### ट्रक यूनियन का जवाब: व्यापारियों पर ओवरलोडिंग का आरोप

दूसरी ओर, ट्रक यूनियन से जुड़े निजी वाहन संचालकों ने यूनियन के गठन से ही इनकार कर दिया। उनका कहना है कि व्यापारी जानबूझकर बाहर से वाहन मंगवाकर मंडी में अव्यवस्था पैदा कर रहे हैं। वाहन संचालकों ने व्यापारियों पर ओवरलोडिंग का आरोप लगाते हुए कहा कि वे तय दरों पर काम करने को तैयार हैं और व्यापारियों की मांग के अनुसार समय पर वाहन उपलब्ध करा सकते हैं। उन्होंने दावा किया कि उनकी ओर से कोई बाधा नहीं डाली जा रही, बल्कि व्यापारी ही अनुचित मांगों के जरिए स्थिति को बिगाड़ रहे हैं।

 

### किसानों की पीड़ा: एमएसपी से वंचित, मजबूरी में सस्ते दाम

इस विवाद का सबसे बड़ा नुकसान किसानों को उठाना पड़ रहा है। धान की खरीद ठप होने से किसान सरकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से वंचित हैं। किसानों का आरोप है कि व्यापारी नमी की मात्रा को बहाना बनाकर खरीद से बच रहे हैं, जिसके चलते उन्हें अपनी फसल औने-पौने दामों पर बेचनी पड़ रही है। कई किसानों ने प्रशासन से इस मामले की गहन जांच और एमएसपी की अवहेलना रोकने के लिए विशेष जांच दल गठित करने की मांग की है।

 

### प्रशासन का हस्तक्षेप: सख्त कार्रवाई की चेतावनी

विवाद की सूचना मिलने पर थाना प्रभारी सतपाल पोसवाल पुलिस बल के साथ मंडी पहुंचे और व्यापारियों व अन्य पक्षों के साथ लगभग चार घंटे तक चली बैठक में स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास किया। उन्होंने व्यापारियों को हरसंभव सहायता का आश्वासन देते हुए स्पष्ट चेतावनी दी कि मंडी में कानून-व्यवस्था भंग करने या धान के उठान में बाधा डालने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। व्यापारियों ने प्रशासन से मंडी में सुचारु व्यवस्था और शांति बनाए रखने की मांग की है।

 

निष्कर्ष: समाधान की राह मुश्किल

कलायत अनाज मंडी में चल रहा यह विवाद न केवल व्यापारियों और वाहन संचालकों के बीच तनाव का प्रतीक है, बल्कि यह किसानों की आजीविका पर भी गहरा असर डाल रहा है। मंडी में धान की खरीद और लोडिंग का ठप होना न केवल आर्थिक नुकसान का कारण बन रहा है, बल्कि क्षेत्र में सामाजिक तनाव को भी बढ़ा रहा है। प्रशासन के हस्तक्षेप से स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन जब तक सभी पक्षों के बीच सहमति और पारदर्शी व्यवस्था स्थापित नहीं होती, इस संकट का समाधान मुश्किल नजर आता है। किसानों, व्यापारियों और प्रशासन के समन्वित प्रयास ही मंडी में सामान्य स्थिति बहाल कर सकते हैं।

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