Delhi News: चचेरे देवर के साथ मिलकर नींद की गोली देकर पति को किया बेहोश, फिर बिजली के झटके दे की हत्या

सुष्मिता और उसका चचेरा देवर।

नई दिल्ली, बीएनएम न्‍यूज : Delhi New: नई दिल्ली के उत्तम नगर थाना क्षेत्र में महिला ने अपने चचेरे देवर के साथ मिलकर पति की बड़ी बेरहमी से हत्या कर दी। महिला ने काफी मात्रा में नींद की गोलियां खाने में मिलाकर पति को खिला दीं। इसके बाद बेसुध होने पर देवर के साथ मिलकर उसे करंट के झटके दिए, ताकि लोगों को यह हादसा लगे। लेकिन एक चैट ने इनकी साजिश से पर्दा उठा दिया। पुलिस ने आरोपित महिला सुष्मिता और उसके देवर राहुल देव को गिरफ्तार कर लिया है। अभी तक की जांच में महिला और उसके देवर के बीच प्रेम प्रसंग का मामला सामने आया है।

करण देव पत्नी सुष्मिता और छह साल के बेटे के साथ ओम विहार फेज-1 में रहते थे। वह निजी कंपनी में काम करते थे। इनकी शादी वर्ष 2014 में हुई थी। इनका छह साल का एक बेटा है। पिछले दो वर्ष से करण माता पिता से अलग पुराने घर के पास ही रह रहे थे। पुराने घर में करण के पिता कृष्ण देव, मां नीरू देव और छोटा भाई कुणाल रहते हैं। रविवार सुबह करीब साढ़े नौ बजे सुष्मिता पुराने घर आई और सभी को बताया कि करण उठ नहीं रहे हैं। उन्हें कुछ हो गया है। सुष्मिता द्वारा बताए जाने पर सभी घरवाले करण के घर पहुंचे। वहां सभी ने देखा कि करण बेड पर अचेत पड़े हैं। सभी तुरंत उन्हें पास के मग्गो अस्पताल ले गए, जहां उन्हें डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।

यहां से शुरू हुआ संदेह 

 

अस्पताल में करण को मृत घोषित करने तक किसी को किसी पर कोई संदेह नहीं था। संदेह तब हुआ जब अस्पताल में चिकित्सकों ने इस मौत को अप्राकृतिक पाया। उन्होंने सवाल उठाया कि करण की अंगुली व छाती में सेलोटेप के निशान हैं, वह कैसे लगे। करण के मुंह से झाग भी निकल रहा था, वह कैसे आया। सभी यह मानकर चल रहे थे कि संभव है कि मौत का कारण करंट हो, क्योंकि करण के शव के पास बिजली का तार पड़ा था। अस्‍पताल से पुलिस को मामले की जानकारी मिली।

पोस्टमार्टम न कराने की जिद पर अड़े

 

पुलिस पोस्टमार्टम पर जोर देती रही, लेकिन करण के घरवाले इस बात पर जोर देते रहे कि पोस्टमार्टम नहीं होगा। करण के भाई कुणाल ने बताया कि शव का पोस्टमार्टम न हो, इसे लेकर सबसे अधिक जोर सुष्मिता और राहुल का था। राहुल कहता था कि वह अपने प्यारे भाई के शव पर एक भी चीरा नहीं लगने देगा। उसका साथ सुष्मिता भी देती रही। अंत में शव का पोस्टमार्टम किया गया।

जब शव पहुंचा घर, तब सामने आया सच

 

कुणाल ने बताया कि सोमवार को पोस्टमार्टम के बाद जब शव घर लाया गया, तब घर में मची चीख पुकार के बीच राहुल ने अपना मोबाइल फोन अपने किसी जानकार को दे दिया, ताकि वह एम्बुलेंस से शव को निकालकर घर के सामने जरूरी धार्मिक कर्म कर सके। राहुल के जानने वाला ने यह सोचते हुए कि यह फोन कुणाल के पास सुरक्षित रहेगा, उसे दे दिया। कुणाल ने बताया कि मोबाइल का लाक खुला था। तब तक उनका कोई शक किसी पर नहीं था। सहसा उनकी नजर सुष्मिता के नंबर पर पड़ी। उन्होंने चैट पढ़ना शुरू किया, तब उनके पैरों तले जमीन खिसकनी शुरू हुई। चैट से साफ साफ जाहिर था कि मामला हत्या का है।

पूरी रात चली मारने की कोशिश

 

कुणाल बताते हैं कि चैट में सुष्मिता व राहुल के बीच जो बातें हुई हैं, उसमें इस पूरी घटना का सिलसिलेबार ब्योरा है। पूरी योजना के तहत सुष्मिता ने पहले दही में नींद की कुछ गोलियां दीं। लेकिन बात नहीं बनीं। यह बात सुष्मिता ने राहुल को बताई। तब तय हुआ कि खाने में नींद की गोलियां दी जाएंगी। तब करीब 15 गोलियां दी गईं। तब भी बात जब नहीं बनीं तब बिजली के झटके देने का फैसला इन्होंने किया। झटके कैसे देना है, इसे लेकर राहुल सुष्मिता को बताता रहा कि कैसे हाथ बांधना है। सेलोटेप लगाना है। बातों ही बातों में इन्होंने यह भी तय कर लिया कि लोग जब पूछेंगे तब क्या कहना है। एक समय ऐसा भी आया जब सुष्मिता को लगा कि करण नहीं मरेगा, तब उसने उसे वीडियो काल कर करण ही हालत दिखाई। इधर राहुल समय समय पर गली के चक्कर लगाता रहा। बीच-बीच में तय किया गया कि बिजली के झटके देने से पहले कुछ देर तक इंतजार किया जाए। क्या पता करण की मौत हो जाए। लेकिन जब सुष्मिता ने पाया कि करण की सांसें चल रही हैं, तब करण को बिजली का झटका दिया गया।

 

मोबाइल की लोकेशन चेक करने में पूरे दिन जुटा रहा राहुल

साजिश रचने वाला चाहे लाख समझदार हो, लेकिन वह कोई न कोई ऐसी हरकत जरूर कर देता है, जिससे उसका भेद खुल ही जाता है। करण की हत्या में उसकी पत्नी व उसका चचेरा भाई शामिल है, यह बात शायद किसी को पता नहीं चलती, अगर राहुल का मोबाइल किसी और के हाथ से कुणाल के हाथ नहीं लग जाता।

कुणाल बताते हैं कि जब राहुल को लगा कि उसका मोबाइल फोन किसी और के हाथ लग गया है, तो उसने मोबाइल ढूंढना शुरू किया। घरवालों से वह पूछता रहा कि क्या किसी ने उसका मोबाइल फोन लिया है। इधर कुणाल मौका मिलते ही उसके चैट को पढ़ता रहा। लेकिन कुणाल ने राहुल को एक बार भी भनक नहीं लगने दी कि उसका मोबाइल उसके हाथ लग चुका है और वह सारी बातें जान चुका है।

राहुल ने बताया कि जब वह चैट पढ़ चुका था, तब उसकी पहली प्राथमिकता शव का अंतिम संस्कार करना था। शव के अंतिम संस्कार में राहुल भी शामिल हुआ। उसने पूरा दिखावा किया कि वह अपने चचेरे भाई की मौत से काफी दुखी है। इधर वह मोबाइल फोन की लोकेशन को मोबाइल से अटैच वाच के जरिए भी ढूंढता रहता था। जब उसे पता चला कि मोबाइल करण के पुराने वाले घर में ही है, तो उसने घर में सभी से मोबाइल के बारे में पूछना शुरू कर दिया।

राहुल बताते हैं कि मोबाइल ढूंढने की उसकी सनक को देखकर साफ साफ पता चलता था कि उसे डर हो चुका था कि मोबाइल में सुष्मिता के साथ जो उसकी चैट है, वह कोई न पढ़ ले। एक बार तो राहुल को शक हो गया कि मोबाइल करण के हाथ लग चुका है। उसने कुणाल से मोबाइल मांगा तो उसने कहा कि उसे मोबाइल मिल जाएगा, अभी घर के हालात सही नहीं है, थोड़ा इंतजार कर ले। इससे पहले कि राहुल की जिद बढ़ती, कुणाल मोबाइल लेकर सीधे उत्तम नगर थाना पहुंच गया, और सारी बात पुलिस को बता दी।

लोगों को नहीं हो रहा यकीन

 

ओम विहार गली संख्या सात के लोगों को यकीन नहीं हो रहा है कि सीधी सादी दिखने वाली बहू ने ऐसा गंदा काम कर दिया है, जिससे एक व्यक्ति हमेशा के लिए गहरी नींद में सो चुका है। मोहल्ले वालों का कहना है कि आखिर हत्या की क्या जरुरत थी, जब पति से नहीं बन रही थी, तो उसे छोड़ देती, तलाक दे देती, घर छोड़ देती, लेकिन किसी की जान लेना किसी भी तरह से सही नहीं है। खुद करण की मां कहती हैं कि उन्हें कभी इस बात की भनक तक नहीं लगी कि उनकी बहू के मन में उनके बेटे के लिए इतनी नफरत है।

वे कहती हैं कि यह तो अच्छा हुआ कि घटना वाली रात उनका पोता उनके साथ था, नहीं तो क्या पता, उसे भी ये लोग ठिकाने लगा देते। करण की मां का कहना है कि अब करण की निशानी के तौर पर यह बेटा ही है। करण के परिवार वालों ने बताया कि करण जिस कंपनी में काम करता था, वह कई कई दिनों के लिए नाइट डयूटी लगती थी। इधर करण की पत्नी ने एक महीने पूर्व नौकरी छोड़ दी थी। इस दौरान राहुल अक्सर इनके घर आता जाता था, लेकिन भाभी देवर का संबंध होने के कारण किसी को कभी कोई शक नहीं हुआ।

एक दिन की पुलिस हिरासत में भेजा

 

पति की हत्या में गिरफ्तार सुष्मिता और इसके चचेरे देवर राहुल को पुलिस ने कोर्ट में पेश किया। पेशी के दौरान पुलिस ने मामले की छानबीन के लिए जरूरी पूछताछ के लिए इनके हिरासत की मांग की, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया है। कोर्ट ने इन्हें रविवार तक के लिए हिरासत की मंजूरी दी है। हिरासत के दौरान पुलिस दोनों से पूछताछ कर इस पूरे घटनाक्रम को समझने की कोशिश करेगी। संभव है कि पुलिस दोनों को साथ लेकर घटनास्थल का भी दौरा करे और क्राइम सीन को समझने की कोशिश करे।

पुलिस का कहना है कि अभी तक की छानबीन से पता चला है कि सुष्मिता व राहुल के बीच करीब डेढ़ वर्षों से नजदीकियां थीं। नजदीकियां तब बढ़ने लगी जब सुष्मिता व करण के बीच झगड़े होने लगे। गाली गलौच होने लगी। तब सुष्मिता इन झगड़ों की बात राहुल से साझा करने लगी। सुष्मिता यदि झगड़े की बात किसी और से कहती थी, तो उधर से केवल यह सुनने को मिलता था कि पति पत्नी के बीच अनबन ऐसी ही होती रहती है, सब ठीक हो जाएगा। लेकिन जब राहुल से वह पति के साथ होने वाली अनबन व झगड़े की बात कहती थी, तो राहुल बड़े ध्यान से सुनता था और सहानुभूति जताता था। यहीं से दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ने लगीं।

लंबे समय की नजदीकी के बाद इन्होंने तय कर लिया कि अब चाहे कुछ हो जाए, दोनों अब साथ रहेंगे। लेकिन सबसे बड़ी अड़चन सुष्मिता के पति का जीवित रहना था। जब तक करण जिंदा था, दोनों एक साथ नहीं रह सकते थे। एक विकल्प तलाक का था, लेकिन तब भी तलाक के बाद एक ही परिवार में सुष्मिता की दूसरी शादी नहीं हो सकती थी। तमाम बातों को देखते हुए ही दोनों ने करण के रास्ते से हटाने का फैसला किया।

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