HCS ज्यूडिशियल की भर्ती में डोमिसाइल के नियमों में फेरबदल, भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने उठाए सवाल

नरेंद्र सहारण, चंडीगढ़। हरियाणा सिविल सर्विस (HCS ) की न्यायिक शाखा के लिए चल रही भर्ती में अब दूसरे प्रदेशों के युवा भी आवेदन कर सकेंगे, जो लंबे समय से हरियाणा में रह रहे हैं, लेकिन उनके पास हरियाणा रिहायश प्रमाणपत्र (डोमिसाइल) नहीं है। इसी तरह हरियाणा मूल के युवा डोमिसाइल सर्टिफिकेट नहीं होने पर आनलाइन आवेदन करते समय स्व हस्ताक्षरित शपथपत्र दे सकते हैं कि वह हरियाणा के मूल नागरिक हैं। हरियाणा लोकसेवा आयोग (एचपीएससी) ने शुक्रवार को इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए हैं।

शपथपत्र देने का विकल्प दिया गया

 

शपथपत्र का फार्मेट जारी करते हुए स्पष्ट किया गया है कि भर्ती में हरियाणा के नागरिकों को मिलने वाले लाभ के लिए बाद में उन्हें डोमिसाइल सर्टिफिकेट देना होगा। आनलाइन आवेदन में आ रही दिक्कतों के कारण फिलहाल डोमिसाइल सर्टिफिकेट से छूट देते हुए शपथपत्र देने का विकल्प दिया गया है। आनलाइन आवेदन 31 जनवरी तक स्वीकार किए जाएंगे। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री और भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एचपीएससी के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि भर्ती में उन अभ्यर्थियों को अप्लाई करने की छूट देना गलत है, जिनके पास हरियाणा डोमिसाइल नहीं है। बिना डोमिसाइल के दूसरे राज्यों के युवा भी खुद को हरियाणा का नागरिक बता सकते हैं।

डोमिसाइल के नियमों में फेरबदल

 

इससे पहले भी सरकार हरियाणा डोमिसाइल के नियमों में फेरबदल करके 15 साल की शर्त को घटाकर पांच साल कर चुकी है। इसी तरह सहायक पर्यावरण अभियंता के पदों की भर्ती के सिलेबस से हरियाणा से जुड़े सामान्य ज्ञान को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि एचएसएससी और एचपीएससी की भर्तियों में लगातार गैर-हरियाणवियों को तरजीह देने के लिए यह नीति अपनाई जा रही है। एसडीओ, बीडीपीओ, लेक्चरर से लेकर सहायक पर्यावरण अभियंता तक हर भर्ती में हरियाणवियों के साथ इसी तरह की साजिश हो रही है।

पटवारियों एवं कानूनगो से धोखा : हुड्डा

 

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पटवारियों एवं कानूनगो का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार ने इनके साथ धोखा किया है। इसी तरह किसानों से धोखा करते हुए यूरिया बैग के वजन को 45 किलो से घटाकर 40 किलो कर दिया गया है, जबकि कीमत पहले जितनी ही चुकानी पड़ेगी। इससे पहले 50 किलो के बैग का वजन घटकर 45 किलो किया गया था। उन्होंने कहा कि लगातार खाद, बीज, दवाई और पेट्रोल-डीजल के रेट बढ़ाकर किसानों की लागत में इजाफा किया जा रहा है। इसके चलते खेती घाटे का सौदा बन गई है

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