डॉ. कन्हैया सिंह का निधन साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति: योगी आदित्यनाथ

लखनऊ, BNM News। उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष और अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय संरक्षक डॉ. कन्हैया सिंह के निधन पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शोक व्यक्त किया है। उन्होंने डॉ सिंह के निधन को परिवार और साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति बताया है। उनके बेटे चित्रसेन सिंह को पत्र लिखकर मुख्यमंत्री ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि पिता का निधन किसी भी पुत्र के लिए अत्यन्त दुखदायी है। सीएम योगी ने अपने एक्स अकाउंट पर भी डॉ कन्हैया सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा कि ”वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. कन्हैया सिंह जी का असामयिक निधन साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान व शोकाकुल परिजनों को यह अपार दुःख सहने की शक्ति दें।

डा. कन्हैया सिंह का जीवन परिचय

डा. कन्हैया सिंह की गिनती प्रदेश के मूर्धन्य साहित्यकारों में होती है। डा. कन्हैया आजमगढ़ की सदर तहसील के जहानागंज विकास खंड के धरवारा गांव के रहने वाले थे। कन्हैया सिंह वर्ष 1960-61 तक अधिवक्ता के रूप में कार्य करना शुरू किया। इसके बाद वह टीडी कालेज जौनपुर में 1961 में प्रवक्ता विधि के पद पर तैनात हुए। इसके बाद 1962 में डीएवी पीजी कालेज में प्रवक्ता हिंदी के पद पर तैनात हुए। फिर 1967 में इसी पद पर आगरा विश्वविद्यालय में नियुक्त हुए। फिर डीएवी पीजी कालेज में हिंदी विभागाध्यक्ष पद पर 1967 में तैनात हुए। 1978 में प्राचार्य महाविद्यालय भटवली बाजार गोरखपुर के प्राचार्य बने। इसके बाद 1982 में वह एक फिर डीएवी पीजी कालेज में हिंदी विभागाध्यक्ष रहे।

डॉ. कन्हैया सिंह ने कहानी, संस्मरण, निबंध और आलोचना की कुल 40 से अधिक महत्वपूर्ण पुस्तकों का सृजनकर हिदी साहित्य को समृद्ध करने का कार्य किया। साहित्यिक सक्रियता के साथ ही सामाजिक और राजनीतिक जीवन में भी डॉक्टर कन्हैया सिंह सक्रिय रहे। महज 35 वर्ष की अवस्था में आजमगढ़ नगर पालिका के अध्यक्ष रहे। उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष रहे, अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री, राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष तथा राष्ट्रीय संरक्षक के रूप में काम करते रहे। उन्हें गोरक्षनाथ सम्मान समेत कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।

 

 

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