DU News: अच्छे कानून होंगे तभी समाज के लिए अच्छा कर पाएंगे न्यायाधीश: जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा

नई दिल्ली, बीएनएम न्यूज : DU News: न्यायाधीश हमेशा समाज के लिए कुछ अच्छा करना चाहते हैं, लेकिन अगर उन्हें अच्छे कानून देंगे तभी वो अच्छा कर पाएंगे। यह बात दिल्ली हाई कोर्ट की न्यायाधीश न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने कही। वे दिल्ली विश्वविद्यालय में तीन नए आपराधिक कानूनों को लेकर आयोजित जागरूकता अभियान के शुभारंभ अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहीं थीं।

ब्रिटिश युग के औपनिवेशिक कानूनों की जगह लेंगे ये तीनों कानून

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने तीन नए आपराधिक कानूनों अर्थात् भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इनके लिए 32 हजार लोगों ने अपने-अपने बहुमूल्य सुझाव भेजे थे, जिनके आधार पर कानूनों को बनाया गया है। यह तीनों कानून एक जुलाई 2024 से ब्रिटिश युग के औपनिवेशिक कानूनों क्रमशः भारतीय दंड संहिता 1860, आपराधिक प्रक्रिया संहिता 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश युग के कानूनों में दंड (पिनल) शब्द का इस्तेमाल किया गया था जबकि इनमें दंड की जगह अब न्याय शब्द प्रयोग किया गया है। इन शब्दों में बहुत बड़ा अंतर है। अंग्रेजों द्वारा दिया गया कानून उनके नजरिए से था जिसमें दंड पर ज़ोर था, लेकिन अब न्याय की बात की गई है।

बदलते दौर में हमें नई तकनीक की जरूरत

न्यायूमर्ति शर्मा ने कहा, हमें अंग्रेजों द्वारा दिए गए क़ानूनों और उनकी भाषा से भी स्वतंत्र होना है। मैं भारतीय पहले हूं और न्यायाधीश बाद में। नए कानूनों की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि बदलते दौर में हमें नई तकनीक की जरूरत है। नई तकनीक के आगमन के साथ नए अपराध भी सामने आएंगे। ऐसे में नए कानूनों की भी जरूरत होती है। इसलिए हमें इन कानूनों का सकारात्मकता से स्वागत करना चाहिए।

तीन नए कानून परिवर्तनकारी साबित होंगे

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डीयू के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए ये तीन नए कानून परिवर्तनकारी साबित होंगे। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और इसकी नींव कानून के शासन पर टिकी होती है। कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता मोनिका अरोड़ा ने तीनों नए क़ानूनों की पुराने कानूनों से तुलनात्मक व्याख्या प्रस्तुत की। कार्यक्रम के दौरान डीन आफ कालेजेज प्रो. बलराम पाणी, रजिस्ट्रार डा. विकास गुप्ता, प्राक्टर प्रो. रजनी अब्बी और डीन अकादमिक प्रो. के रत्नाबली सहित अनेकों शिक्षक और विद्यार्थी उपस्थित रहे।

 

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