हरियाणा चुनाव के बीच हुड्डा से जुड़े मामले में ED का बड़ा एक्शन, 1128.22 करोड़ की संपत्तियां अटैच

नरेन्द्र सहारण, चंडीगढ़ : Haryana News: हरियाणा में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बिल्डर लाबी के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल से जुड़े मामले में ईडी ने गुरुवार को 834 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच (जब्त) की है। इसमें ईएमएएआर (एम्मार) इंडिया लिमिटेड की 501.13 करोड़ रुपये की संपत्ति और एमजीएफ डेवलपमेंट्स लिमिटेड की 332.69 करोड़ रुपये की संपत्ति शामिल है। इन दोनों कंपनियों ने 834.03 करोड़ रुपये कीमत की 401.65 एकड़ जमीन को अस्थायी रूप से कुर्क कर लिया है। यह जमीन हरियाणा के गुरुग्राम और दिल्ली के आसपास 20 गांवों में स्थित है। आरोप है कि तत्कालीन सरकार ने किसानों को जमीन अधिग्रहण का डर दिखाकर उन्हें औने-पौने दामों पर बिल्डरों को बेचने के लिए मजबूर किया था। इसके अलावा, ईडी ने सन स्टार ओवरसीज की 294.19 करोड़ रुपये की प्रापर्टी को अटैच किया है।
संपत्तियों में सोनीपत, अमृतसर और गुरुग्राम की जमीन शामिल
पीएमएलए 2002 के तहत दर्ज मामले में कार्रवाई करते हुए अटैच की गई संपत्तियों में सोनीपत, अमृतसर और गुरुग्राम में 210.6 करोड़ रुपये के बाजार मूल्य वाली 72 एकड़ जमीन तथा इमारत (कृषि भूमि सहित) शामिल है। साथ ही दिल्ली के सिविल लाइंस इलाके में 5000 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल वाले 77 करोड़ रुपये मूल्य के दो आवासीय मकान, करनाल में 1.54 करोड़ रुपये की कीमत के चार फ्लैट, 1.27 करोड़ रुपये का बैंक बैलेंस और 3.78 करोड़ रुपये मूल्य की बैंक जमा राशि शामिल है। ईडी द्वारा सीबीआइ की उस एफआइआर के आधार पर जांच की जा रही है, जिसमें उसकी चंडीगढ़ शाखा ने सन स्टार ओवरसीज लिमिटेड (एसओएल) के पूर्व निदेशकों के खिलाफ धोखाधड़ी समेत अन्य मामले दर्ज कर रखे हैं।
भूमि मालिकों, किसानों और प्राधिकरण को हुआ नुकसान
ईडी की ओर से ईएमएएआर (एम्मार) इंडिया लिमिटेड और एमजीएफ के विरुद्ध मनी लांड्रिंग से जुड़े एक केस में जांच की जा रही है, जिसमें 18 नवंबर, 2010 को गुरुग्राम के सेक्टर 65 और 66 में एक आवासीय प्लाट कालोनी विकसित करने हेतु टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (डीटीसीपी) विभाग से प्राप्त किया गया था। ईडी ने जांच में पाया कि दोनों कंपनियों ने धोखाधड़ी से अधिसूचित भूमि पर आशय पत्र (एलओआइ) या लाइसेंस प्राप्त किए, जिससे संबंधित भूमि मालिकों, किसानों और हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण को काफी नुकसान हुआ। इसी केस में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत सीबीआइ ने एफआइआर दर्ज कर जांच शुरू की।
किसानों से जमीन हड़पने के बाद कर लिया था बंटवारा
ईडी की जांच से पता चला कि ईएमएएआर एमजीएफ लैंड ने 27.306 एकड़ भूमि के लिए किसानों के साथ छह पुराने विकास समझौते किए थे, जिसमें दावा किया गया था कि विकास समझौते अप्रैल 2009 में हुए थे, लेकिन वास्तव में उन्हें मार्च 2010 में किया गया था। पता चला कि तथाकथित सहयोग समझौते पुराने और मनगढ़ंत थे और गलत तरीके से धारा 4 के तहत अधिसूचना जारी होने से पहले दर्ज किए गए दिखाए गए थे, ताकि डीटीसीपी से लाइसेंस प्राप्त करने में किसी तरह की परेशानी ना आए। 25.887 एकड़ भूमि पर लाइसेंस के रूप में गलत आय अर्जित की गई, जिसका वर्तमान मूल्य 1,229.17 करोड़ रुपये है। बाद में ईएमएएआर एमजीएफ लैंड नाम की कंपनी को ईएमएएआर इंडिया और एमजीएफ डेवलपमेंटस में विभाजित कर दिया गया, जिनकी संयुक्त संपत्तियों में 60.11% और 39.89% शेयर थे।
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